Mahakumbh 2025: महाकुंभ में रोजाना 150 दूध से बना रहे खोवा, कौन हैं श्रद्धालुओं को 'रबड़ी प्रसाद' बांटने वाले बाबा; जिनकी भक्ति के आगे अफसर भी नतमस्तक
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Mahakumbh 2025: महाकुंभ में रोजाना 150 दूध से बना रहे खोवा, कौन हैं श्रद्धालुओं को 'रबड़ी प्रसाद' बांटने वाले बाबा; जिनकी भक्ति के आगे अफसर भी नतमस्तक

Who is Rabdi Wale Baba: प्रयागराज महाकुंभ में एक बाबा रोजाना सुबह 150 लीटर दूध गर्म करने बैठ जाते हैं. इसके बाद उस दूध की रबड़ी बनाकर वहां आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में बांटते हैं. उनकी भक्ति देखकर आम लोग ही नहीं, अफसर भी नतमस्तक हैं.

 

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में रोजाना 150 दूध से बना रहे खोवा, कौन हैं श्रद्धालुओं को 'रबड़ी प्रसाद' बांटने वाले बाबा; जिनकी भक्ति के आगे अफसर भी नतमस्तक

Rabdi Wale Baba in Prayagraj Mahakumbh 2025: संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में साधु-संत अपनी वेशभूषा और अनूठी साधना के लिए सुर्खियां बटोर रहे हैं. इन्हीं में से एक महंत देव गिरि जी महाराज हैं, जो महानिर्वाणी अखाड़े से ताल्लुक रखते हैं. वह रबड़ी वाले बाबा के नाम से भी जाने जाते हैं. गुजरात से आए महंत देवगिरी जी महाराज अपने शिविर के बाहर एक कड़ाही में रबड़ी बनाते हैं. बाबा इस रबड़ी को खुद ही तैयार करते हैं और इसके बाद वह अपने शिविर में आने वाले श्रद्धालुओं को रबड़ी खिलाते हैं.

6 फरवरी तक चलगी 'रबड़ी' की सेवा

महंत देव गिरि जी महाराज उर्फ रबड़ी वाले बाबा ने बताया कि साल 2019 में लगे मेले के दौरान हमने भगवान कपिल मुनि को डेढ़ महीने तक रबड़ी चढ़ाई थी. अब महाकुंभ में 9 दिसंबर से रबड़ी बनानी शुरू की है, जो 6 फरवरी तक चालू रहेगी. रबड़ी बनने के बाद 33 कोटि के देवी-देवताओं को भोग लगाया जाता है. इसके बाद सभी साधु-संतों में रबड़ी बांटी जाती है. फिर उसे मीडियाकर्मियों, पुलिसकर्मियों और सफाईकर्मियों में वितरित किया जाता है.

रोजाना 150 लीटर दूध से बनाई जा रही रबड़ी

उन्होंने कहा, "मैं उत्तर गुजरात के पाटन जिले से आया हूं और हमारे यहां रोजाना करीब 150 लीटर दूध से रबड़ी बनाई जाती है. यह मेरा पांचवा कुंभ है और मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि सभी लोग भारी तादाद में महाकुंभ में शामिल हों और स्नान करें."

'कुंभ में आकर लोग सनातन के बारे में जानें'

बाबा ने बताया कि मेरे पास 15 बीघा खेती है और खुद ही खेतों में काम करता हूं. अपने पास से ही भोग का इंतजाम करता हूं और इसके लिए मैं किसी से भी आर्थिक मदद नहीं लेता हूं. उन्होंने कहा कि मैं जब 13 साल का था, तभी संन्यास लिया था. अब मेरी उम्र 53 साल हो गई है. मैं सभी लोगों से अपील करूंगा कि यहां आकर सनातन धर्म के बारे में जानें.

संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा. ऐसा महाकुंभ 144 साल बाद आया है. इसके चलते हर कोई स्नान के लिए संगम नगरी प्रयागराज पहुंच रहा है.

(एजेंसी आईएएनएस)

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