Saif Ali Khan News: लीगल एक्सपर्ट्स से इतर देश की आम जनता यानी आम आदमी की बात करें तो हल्की धाराओं में पुलिस के शिकंजे से छूटा आरोपी आगे कुछ और कांड करके अन्य लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है.
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Saif Ali Khan stabbing case: सैफ अली खान लीलावती अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंच गए. इस बीच कुछ कानूनी जानकारों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर हैरानी जताते हुए एक सवाल पूछा है. लीगल एक्सपर्ट्स ने मुंबई पुलिस से पूछा है कि जिस हमले में बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान को गंभीर चोंटों के चलते पांच दिन लीलावती अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा, इसके बावजूद उन्होंने सैफ के हमलावर शहजाद के खिलाफ हत्या के प्रयास की धारा अब तक क्यों नहीं लगाई?
पुलिस रिमांड में क्राइम सीन रि-क्रिएट
आरोपी पुलिस रिमांड में है. मंगलवार को मुंबई पुलिस ने क्राइम सीन रीक्रिएट किया. इससे पहले वकीलों को सैफ के हमलावर पर अटैंप्ट टू मर्डर की धारा न लगाने की वजह हैरान कर रही है. 'TOI' की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीनियर एडवोकेट प्रणव बधेका ने कहा, 'पुलिस भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत ये धारा जोड़ सकती है, क्योंकि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों और आरोपों के मुताबिक, किए गए अपराध के लिए प्रथम दृष्टया इस धारा का मामला बनता है.'
इन धाराओं में दर्ज हो चुका केस
सैफ के हमलावर शहजाद पर भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 311 (डकैती, मौत/गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास के साथ डकैती), BNS की धारा 312 (घातक हथियार से लैस होकर डकैती या डकैती करने का प्रयास), धारा 331 (4) (6) के तहत मामला दर्ज हुआ. शुरुआती जांच के बाद Foreigners Act 1946 के तहत अन्य धाराएं भी जोड़ी गईं, क्योंकि पुलिस को पता चला था कि शरीफुल फकीर बांग्लादेशी था.
धारा 109 में क्या प्रावधान है?
पुलिस रिमांड या केस की जांच के दौरान धाराओं को जोड़ना सामान्य होता है. पुलिस सैफ का बयान दर्ज कराने अस्पताल गई थी. पुलिस ने डॉक्टरों से उनकी हालत का जायजा लिया होगा. ऐसे में कुछ वकीलों को लगता है कि मुंबई पुलिस को बीएनएस की धारा 109 लगानी चाहिए थी. सीनियर वकीलों ने ये भी कहा कि चूंकि हमले का विवरण जैसा मीडिया रिपोर्ट्स में देखा गया कि गर्दन और रीढ़ की हड्डी में लगातार वार होने से सैफ गंभीर रूप से घायल हुए थे. चाकू/हथियार उनकी रीढ़ की हड्डी में धंसा था, जो चोट के गंभीर होने का संकेत देता है. उनकी स्पाइनल कार्ड को खतरा हो सकता था. धारा 109 किसी हमले को अटैंप्ट टू मर्डर (हत्या के प्रयास) का अपराध बताती है. जिसके तहत किसी अपराधी को 10 साल की सज़ा या आजीवन कारावास/उम्र कैद हो सकती है.
वहीं वरिष्ठ वकील सतीश मानेशिंदे ने कहा, 'पुलिस को हत्या के प्रयास का मामला भी दर्ज करना चाहिए, क्योंकि आमतौर पर कोई चोर इतनी बार चाकू नहीं घोपता. लीगल एक्सपर्ट्स से इतर देश की जनता की बात करें तो बहुत से लोगों को ये लगता है कि हल्की धाराओं की वजह से पुलिस के शिकंजे से जल्दी छूटने वाला आरोपी आगे चलकर कुछ और कांड कर सकता है. ऐसे में उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए
Saif Ali Khan security: सैफ ने बदली सिक्योरिटी
सैफ अली खान का अपार्टमेंट बांद्रा की सतगुरु सरण सोसाइटी में है. हमले की वारदात के बाद मुंबई में उनके आस-पास के सिक्योरिटी दायरे में बदलाव हुआ है. जानकारी के मुताबिक सिक्योरिटी एजेंसी बदली गई है. अपार्टमेंट का सुरक्षा घेरा बढ़ा है, ताकि एक्टर के साथ दोबारा कोई अनहोनी न हो.