Rahul Gandhi News: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार शाम को आयोजित चयन समिति की बैठक के बाद ज्ञानेश कुमार को भारत के नए सीईसी के रूप में नियुक्त किया गया. इस समिति में गृह मंत्री और राहुल गांधी भी शामिल हैं. कांग्रेस नेता ने इस नियुक्ति पर कड़ी असहमति जताई. उन्होंने अपना असहमित नोट भी सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर साझा किया.
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Rahul Gandhi’s Dissent Note on CEC Appointment: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने नए मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति पर कड़ी असहमति जताई. उन्होंने मंगलवार को चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को बाहर करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले की भी आलोचना की.
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि ऐसे वक्त में यह फैसला आधी रात को लेना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के लिए गरिमा के प्रतिकूल है, जब चयन समिति की संरचना और प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है और 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है. उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम साल 2023 में आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मूल भावना का घोर उल्लंघन है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार शाम को आयोजित चयन समिति की बैठक के बाद ज्ञानेश कुमार को भारत के नए सीईसी के रूप में नियुक्त किया गया. इस समिति में गृह मंत्री और राहुल गांधी भी शामिल हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने अपना असहमित नोट ‘एक्स’ पर साझा किया, जिसमें उन्होंने पैरवी की थी कि कोर्ट की सुनवाई तक इस बैठक को टाला जाना चाहिए. यह बैठक सोमवार शाम खत्म हुई और फिर देर रात कुमार के चयन की अधिसूचना जारी की गई.
राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘अगले मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने के लिए हुई समिति की बैठक के दौरान मैंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को एक असहमति नोट प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया था कि कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने की प्रक्रिया है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करके और भारत के प्रधान न्यायाधीश को समिति से हटाकर, मोदी सरकार ने चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी को लेकर करोड़ों वोटर्स की चिंताओं को बढ़ा दिया है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘नेता प्रतिपक्ष के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब आंबेडकर और हमारे नीति निर्माता नेताओं के आदर्शों को कायम रखूं और सरकार को जिम्मेदार ठहराऊं.’
समिति की संरचना और प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
राहुल गांधी ने कहा कि समिति की संरचना और प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में नए सीईसी का चयन करने के लिए आधी रात को फैसला लेना प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की गरिमा के प्रतिकूल और असभ्य दोनों है. असहमति नोट में राहुल गांधी ने 2023 के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का उल्लेख करते हुए कहा, ‘दुर्भाग्य से उच्चतम न्यायालय के आदेश के तुरंत बाद भारत सरकार ने अगस्त, 2023 में एक कानून अधिसूचित किया, जिसने उच्चतम न्यायालय के आदेश की भावना को दरकिनार कर दिया. सरकारी कानून ने प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और पीएम द्वारा नियुक्त एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल करने और प्रधान न्यायाधीश को समिति से हटाने के मकसद से सीईसी और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित समिति का पुनर्गठन किया.’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम उच्चतम न्यायालय के आदेश की मूल भावना का घोर उल्लंघन है. कांग्रेस नेता ने 17 फरवरी की तारीख की इस नोट में कहा, ‘इस सरकारी आदेश को बाद में एक जनहित याचिकाकर्ता द्वारा चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने 48 घंटे से भी कम समय बाद 19 फरवरी 2025 को इस मामले पर सुनवाई करने का संकेत दिया है.’ राहुल गांधी का कहना था कि इसलिए कांग्रेस पार्टी का मानना है कि अगले सीईसी को चुनने की प्रक्रिया को ,सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तक टाल दिया जाए और इस बैठक को स्थगित कर दिया जाए. उन्होंने कहा, ‘इस समिति के लिए अगले सीईसी को चुनने की अपनी प्रक्रिया को जारी रखना संस्थानों के साथ-साथ हमारे देश के नीति निर्माताओं के प्रति अनादर होगा, जब जल्द ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई की जानी है.’
During the meeting of the committee to select the next Election Commissioner, I presented a dissent note to the PM and HM, that stated: The most fundamental aspect of an independent Election Commission free from executive interference is the process of choosing the Election… pic.twitter.com/JeL9WSfq3X
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 18, 2025
19 फरवरी को EC की नियुक्तियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों (ईसी) की नियुक्तियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 19 फरवरी को ‘प्राथमिकता के आधार’ पर सुनवाई करेगा. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच को एक गैर सरकारी संगठन की तरफ से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सूचित किया कि संविधान पीठ के 2023 के फैसले में कहा गया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियां ऐसा पैनल करेगा जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) भी शामिल होंगे लेकिन सरकार ने सीजेआई को इसमें शामिल नहीं किया और इस तरह से ‘लोकतंत्र का मजाक’ उड़ाया.
उन्होंने कहा, ‘यह मामला 19 फरवरी के लिए लिस्टेड है लेकिन इसे ‘आइटम नंबर’ 41 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. सरकार ने संविधान पीठ के दृष्टिकोण की अनदेखी करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त, निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की है. इसे पहले उठाएं क्योंकि मामले पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है.’ ( भाषा इनपुट के साथ )