Kumbh Mela 2025: प्रयागराज में महाकुंभ के लिए आह्वाहन अखाड़े के साधु-संतों का नगर प्रवेश किया. जिसमें करीब 300 से अधिक साधु-संत अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ हिस्सा लिया. यह आयोजन महाकुंभ की तैयारियों का एक अहम हिस्सा है.
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Kumbh Mela 2025: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियों के बीच बुधवार को आह्वान अखाड़े ने भव्य नगर प्रवेश किया. इस नगर प्रवेश में ढोल-नगाड़ों और गाजे-बाजे के साथ नागा संन्यासियों सहित आह्वान अखाड़े के संत घोड़े और पालकियों पर सवार होकर नगर की सड़कों से गुज़रे.
शोभायात्रा का आरंभ अरेल के तपस्वी आश्रम से हुआ, जो मड़ौका स्थित आश्रम तक चली. इस यात्रा के दौरान संतों ने पूजा-अर्चना की और महाकुंभ के सफल और निर्विघ्न रूप से संपन्न होने की कामना की. यात्रा में भक्तों का भी भारी हुजूम सड़कों पर दिखाई दिया, जो इस भव्य आयोजन में शामिल हुए.
इससे पहले, बड़ा उदासीन अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा और जूना अखाड़े के संतों का भी नगर प्रवेश हो चुका है. बुधवार को आह्वाहन अखाड़े के संतों ने अपनी भव्यता और दिव्यता के साथ नगर प्रवेश किया, जिससे वातावरण और भी धार्मिक हो गया. आह्वान अखाड़े के महामंत्री सत्य गिरी महराज ने बताया कि अब से महाकुंभ क्षेत्र में आह्वान अखाड़े के शिविर निर्माण कार्यों में तेजी आएगी. मड़ौका स्थित आश्रम से लेकर छावनी प्रवेश तक संतों का पड़ाव रहेगा.
नगर प्रवेश का महत्व
नगर प्रवेश का मतलब है कि जब साधु-संत किसी शुभ मुहूर्त में नगर में आते हैं, तो वे वहां पड़ाव डालते हैं. इसके बाद कुंभ मेले की गतिविधियां शुरू होती हैं. महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान से होती है और इसका समापन महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी को होगा.
महाकुंभ का पौराणिक आधार
महाकुंभ के आयोजन के पीछे एक पौराणिक कथा है. जिसमें राक्षसों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन के दौरान अमृत की रक्षा के लिए युद्ध हुआ. अमृत की कुछ बूंदें चार जगहों पर गिरी प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक, जहां हर 12 साल में महाकुंभ मेला आयोजित किया जाता है.
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