UP News In Hindi: भारत में डिजिटल न्यूज़ मीडिया के क्षेत्र में हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव का सामने आया बयान मीडिया इंडस्ट्री के लिए राहत दिलाने वाला है.
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UP News: भारत के डिजिटल न्यूज मीडिया के संबंध में सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसकी बहुत चर्चा हो रही है. केंद्रीय मंत्री का यह बयान मीडिया इंडस्ट्री को बड़ी राहत देने वाला है. उनके बयान को विस्तार से जानें, उससे पहले कुछ बातों के बारे में जान लेना बहुत जरूरी है. दरअसल, पिछले कुछ सालों से डिजिटल न्यूज और प्लेटफॉर्म्स के साथ ही न्यूज पब्लिशर द्वारा गूगल व मेटा जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों के एकाधिकार के विरुद्ध आवाज उठाई जा रही थी. डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स और न्यूज पब्लिशर का कहना था कि भारतीय डिजिटल न्यूज इंडस्ट्री के लिए इन कंपनियों के व्यापार के तरीके खतरे की घंटी बने हुए हैं. इससे बचने के लिए कड़े नियमों को लागू करने की आवश्यकता है.
बड़ी टेक कंपनियों का एकाधिकार
डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में बड़ी टेक कंपनियां, विशेषकर गूगल व मेटा काफी लंबे वक्त से अपनी प्रभुत्व की स्थिति में हैं. न्यूज पब्लिशर्स के तैयार किए कॉन्टेंट से ये कंपनियां भारी भरकम रेवेन्यू कमाती हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि इन कंपनियों द्वारा इसके बदले में न्यूज पब्लिशर्स को उचित भुगतान तक नहीं किया जाता है. वो भारतीय डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स जो न्यूज रूम में भारी पैसों का निवेश करते हैं व पत्रकारिता के सिद्धांतों का पालन करते हुए काम करते हैं उनको ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है. इन बड़ी कंपनियों का एकाधिकार और इनका “ले लो या छोड़ दो” वाला रवैया डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स के लिए परेशानी का सबब बन रहा है. बड़ी समस्या तो ये है कि इनमें किसी भी तरह का ट्रांसपेरेंट रेवेन्यू शेयरिंग का मौका तो दूर बातचीत तक का मौका प्रदान नहीं किया जाता है.
ग्लोबल लेवल पर कदम
कुछ बीते सालों पर गौर करें तो बड़ी तकनीकी कंपनियों के खिलाफ दुनिया भर में कार्रवाई की जा रही है. चाहे ऑस्ट्रेलिया, यूरोप हो या फिर ब्रिटेन, कनाडा या अमेरिका जैसे देश ही क्यों न हों, यहां इन कंपनियों के विरुद्ध सख्त कदम उठाए गए हैं. वहीं, अगर भारत की बात करें तो इन कंपनियों की प्रथाओं की जांच कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) द्वारा शुरू कर दी गई है. वैसे, अभी तक इस पर किसी भी तरह की विस्तृत रिपोर्ट जारी नहीं की गई है.
वैष्णव का बयान और भविष्य की दिशा
पिछले 18 महीनों के भीतर डिजिटल मीडिया के रेगुलेशन मुद्दे पर चर्चा में वृद्धि हुई है. सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भी इससे पहले बड़ी तकनीकी कंपनियों पर नजर रखने की आवश्यकता जता चुके हैं. अब अश्विनी वैष्णव के बयान पर आते हैं, जिसमें उन्होंने इन कंपनियों के बिना जवाबदेही काम किए जाने को गंभीरता से स्वीकार किया है. ऐसा होना दर्शाता है कि डिजिटल न्यूज मीडिया के सामने जो खतरा मंडरा रहा है, उसको सरकार भी समझ रही है और इस ओर कदम उठाने का मन भी बनाने लगी है.
फेक न्यूज और एआई
दिग्गज न्यूज पब्लिकेशन्स द्वारा फेक और अनवेरिफाइड खबरों की बढ़ती समस्या को हमेशा से उठाया जा रहा है. जो इन बड़ी कंपनियों के सर्च इंजन पर अक्सर ही ज्यादा दिखाई पड़ती हैं. इन कंपनियों के एल्गोरिदम की वजह से कई दफा ऐसा होता है कि क्रेडिबल जर्नलिज्म से ज्यादा प्रमुख सनसनीखेज और मिसलीडिंग न्यूज हो जाती हैं. ऐसा होना समाज और लोकतंत्र के लिए खतरे वाली बात है. इस मुद्दे को बहुत सही समय पर केंद्रीय मंत्री वैष्णव द्वारा उठाया गया है.
स्थानीय पहलू और स्वायत्तता
एआई टूल्स का उभार मीडिया लैंडस्केप में नया मोड़ लेकर आया है. एआई टूल्स वाले प्लेटफॉर्म्स भारत के वास्तविकता को पश्चिमी अवधारणा से प्रदर्शित और प्रस्तुत करते हैं, इससे भारतीय सामाजिक और राजनीतिक सोच के गलत दिशा में जाने का खतरा बढ़ जाता है. ध्यान देने वाली बात ये है कि एआई जनरेटेड कंटेंट के बढ़ते प्रभाव से भारत में मीडिया के स्थानीय पहलू के साथ ही ऑटोनॉमी को नुकसान होने का भी खतरा है.
सरकार से क्या हैं उम्मीदें
अब, डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स की उम्मीदें सरकार से हैं कि इन समस्याओं और सामने दिख रहे खतरों को लेकर एक निर्णायक कदम उठाया जाए. सरकार को ऐसा मैनुअल तैयार करना चाहिए जो न्यूज पब्लिशर्स को उनके योगदान का उचित भुगतान दिला सके, एक ऐसा मैनुअल जो उन्हें एआई और अन्य तकनीकी बदलावों से निपटने के लिए उनको पूरी तरह सशक्त कर सके.
सिद्धांतों और इनोवेशन के बीच कैसे हो बैलेंस?
यह समय भारतीय सरकार के लिए अहम मौके की तरह है क्योंकि अब उसे डिजिटल मीडिया में हो रहे तेज बदलाव के साथ अलाइन करना होगा. पत्रकारिता के सिद्धांतों और इनोवेशन के बीच बैलेंस बनाए रखने के लिए एआई टूल्स के उपयोग पर सख्त नजर रखने की जरूरत है.