Mahakumbh 2025: महाकुंभ से गंगाजल ले जाने की परंपरा है. बहुत कम ही लोगों को पता है कि घर में रखा गंगाजल क्यों खराब नहीं होता. क्यों उसमें कीड़े नहीं पड़ते या क्यों बदबू नहीं आता.
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Mahakumbh 2025: दो दिन बाद 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू हो जाएगा. कल्पवासी एक महीने तक संगम किनारे रहकर गंगा-यमुना और संगम में डुबकी लगाएं. मान्यता है कि महाकुंभ में गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने से सभी पाप मिट जाते हैं. साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि संगम स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु अपने साथ गंगाजल साथ लाते हैं. पूजा-पाठ से लेकर शुभ कामों में गंगा जल की आवश्यकता पड़ती है. क्या आप जानते हैं सालों साल रखा गंगाजल क्यों खराब नहीं होता है?.
गंगाजल क्यों खराब नहीं होता?
सामान्य जल को अगर किसी बोतल में भरकर रख दें और कुछ बाद देखेंगे तो उसमें बदबू आने लगती है. साथ ही जिस बर्तन में पानी भरा रखेंगे उसमें काई जम जाती है. पानी भी सड़ने लगता और कीड़े दिखने लगते हैं, हालांकि गंगाजल के साथ ऐसा नहीं होता है. गंगाजल आप महीनों नहीं सालों तक रखकर भूल जाएंगे जब भी खोलेंगे वैसे के वैसे ही पाएंगे. एकदम स्वच्छ और पवित्र. बदबू भी नहीं आती न ही जिस बर्तन में रखा रहता है उसमें काई भी नहीं लगती. इसके पीछे की वजह भी रोचक है.
गंगा का उद्गम
हम सब जानते हैं कि गंगा हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली है. मां गंगा के जल में भारी मात्रा में गंधक, सल्फर और खनिज पाया जाता है. ये भी कारण है कि यह पानी साफ रहता है. हिमालय पर्वत से होकर गुजरते हुए यह नदी आगे बढ़ती है. गंगा के जल में भारी मात्रा में गंधक, सल्फर और खनिज पाए जाते हैं. इसके अलावा हिमालय में कई तरह तरह की औषधीय जड़ी-बूटियां भी पाई जाती हैं, जो गंगाजल को खराब नहीं होने देते हैं.
आध्यात्मिक दृष्टि से महत्व?
इसके अलावा एक और मान्यता है. अध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो गंगा को धरती की अन्य सभी नदियों से सर्वोत्तम स्थान प्राप्त है. इसीलिए तो भगवान शिव ने भी गंगा को अपने सिर पर धारण किया हुआ है. गंगा धरती पर मनुष्यों का उद्धार करने के लिए ही आयी है. यह हर पाप को नष्ट करके मोक्ष देती है तभी इनका जल कभी भी मलिन नहीं होता.
शोध में मिले ये वैज्ञानिक कारण
कई शोध भी हुए हैं. शोध के मुताबिक, अन्य नदियों की तुलना में, गंगा की रेत में तांबे, क्रोमियम और रेडियोधर्मी थोरियम की ट्रेस मात्रा अधिक होती है. ये तत्व गंगाजल में पत्थरों की रगड़ से उत्पन्न कीटाणुओं को नष्ट कर सकते हैं. गंगाजल में कलीफा नामक उपयोगी जीवाणु पाया जाता है, जो हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट कर जल को शुद्ध करता है.
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