Mamta Kulkarni in Mahakumbh 2025: नब्बे के दशक में बाॉलीवुड की मशहूर हीरोइन रही ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं. उन्होंने शुक्रवार को को प्रयागराज संगम में अपना और परिवार का पिंडदान किया. अब वह यामाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी.
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Mamta Kulkarni News: बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा रह चुकीं ममता कुलकर्णी अब आध्यात्मिक सफर पर निकल पड़ी हैं. वे किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं. इससे पहले उन्हें शुक्रवार को प्रयागराज महाकुंभ के संगम में अपना पिंडदान किया जो संन्यास परंपरा का हिस्सा है.
ममता कुलकर्णी का ग्लैमर वर्ल्ड को अलविदा
ममता ने सालों पहले फिल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया था और साध्वी का जीवन अपना लिया. 25 सालों के बाद वे भारत लौटी हैं. महाकुंभ में शामिल होकर उन्होंने इसे अपने जीवन का सबसे पवित्र अनुभव बताया। ममता ने कहा, "महाकुंभ की भव्यता को देखना और इसका हिस्सा बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. संतों का आशीर्वाद मिलना मेरे लिए बेहद खास है."
जब ममता किन्नर अखाड़े पहुंचीं, तो उन्हें देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी. लोग उनके साथ सेल्फी लेने और फोटो खिंचवाने के लिए बेताब नजर आए.
बॉलीवुड से आध्यात्म का सफर
ममता कुलकर्णी ने 1991 में तमिल फिल्म 'ननबरगल' से अपने करियर की शुरुआत की थी. उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘मेरा दिल तेरे लिए’ भी इसी साल रिलीज हुई. ममता ने अपने करियर में 34 फिल्मों में काम किया. 1993 में फिल्म ‘आशिक आवारा’ के लिए उन्हें बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला. ‘करण अर्जुन’,‘क्रांतिवीर’, और ‘वक्त हमारा है’ जैसी हिट फिल्मों में नजर आने वाली ममता की आखिरी फिल्म ‘कभी तुम कभी हम’ 2002 में रिलीज हुई थी.
विवादों में रहीं ममता
ममता कुलकर्णी का करियर कई विवादों से भी घिरा रहा. 1993 में स्टारडस्ट मैगजीन के लिए उनका टॉपलेस फोटोशूट काफी चर्चा में रहा. इसके अलावा, फिल्म ‘चाइना गेट’ के दौरान डायरेक्टर राजकुमार संतोषी के साथ विवादों ने सुर्खियां बटोरीं थी.
ममता पर अंडरवर्ल्ड ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी के आरोप भी लगे. हालांकि, ममता ने हमेशा इन खबरों को खारिज किया. ममता ने अपनी किताब 'ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगिनी' में लिखा कि उन्होंने भगवान को अपना पहला प्यार मान लिया है.
क्या होती है महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया
महामंडलेश्वर बनने के लिए कड़ी आध्यात्मिक प्रक्रिया का पालन करना होता है. पहले संन्यास दीक्षा दी जाती है, जिसमें मुंडन, स्नान, और परिवार के साथ खुद का पिंडदान शामिल है. इसके बाद अखाड़े के संतों की उपस्थिति में पंचामृत से पट्टाभिषेक किया जाता है. अखाड़े की ओर से चादर भेंट की जाती है, और नए महामंडलेश्वर को अखाड़े में प्रवेश दिया जाता है.
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