BJP: जिस यूपी में भाजपा ने सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था, उसी यूपी में बीजेपी की सीटें घटकर आधी रह गईं. सीएम योगी आज दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर सकते हैं.
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UP BJP: लोकसभा चुनावों में अगर सबसे ज्यादा नुकसान किसी पार्टी को हुआ है तो वो है बीजेपी. भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान यूपी में हुआ. पिछली बार की तुलना में उसकी आधी सीटें घट गईं और 80 में से 33 पर ठहर गई. बीजेपी के तुलना में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है. सपा ने 37 सीटें जीतीं. इन नतीजों ने सूबे से लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हलचल पैदा कर दी है. इसी सिलसिले में सूत्रों के हवाले से खबर है कि सीएम योगी आज शाम छह बजे तक दिल्ली पहुंच रहे हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर सकते हैं. यूपी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी दिल्ली रवाना हो गए हैं और आज केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर सकते हैं.
मुलायम सिंह यादव के दौर में पार्टी 2004 के लोकसभा चुनाव में यूपी में सबसे ज्यादा 35 सीटें जीती थी. अपने पिता के उस रिकॉर्ड को बेटे अखिलेश ने तोड़ दिया है. बीजेपी सीटों की संख्या के मामले में दूसरे नंबर पर पिछड़ गई है.
भीतरघात के कारण हारी बीजेपी?
सूत्रों के हवाले से खबर है कि यूपी में भीतरघात के कारण बीजेपी हार गई है. इस संबंध में राज्य इकाई रिपोर्ट तैयार करेगी और BJP आलाकमान इस पर एक्शन लेगा.भाजपा आलाकमान को इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी और इस पर बड़ी कार्यवाही हो सकती है.सिर्फ इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश संगठन में बदलाव तय माने जा रहे हैं. सबसे पहले राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में बदलाव होंगे उसके बाद प्रदेश में बदलाव किए जाएंगे. संभावित बदलाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाने वाले क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर जिला और महानगर अध्यक्ष तक पर गाज गिर सकती है. अगले महीने की 15 तारीख से पहले संगठन में बदलाव हो सकता है.
यूपी में मिली करारी हार पर दो दिन में सीएम योगी की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं आया है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो सीएम योगी चुप नहीं है. भले वो कुछ बोल नहीं रहे हैं लेकिन उन्होंने अपने पूरी फेहरिस्त तैयार कर रखी है.
संगठन में बदलाव
लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन गिरने के बाद अब उत्तर प्रदेश संगठन में बदलाव तय माने जा रहा है. सबसे पहले राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में बदलाव होंगे फिर इसके बाद प्रदेश में बदलाव किए जा सकते हैं. संभावित बदलाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाने वाले क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर जिला और महानगर अध्यक्ष तक पर गाज गिर सकती है.अगले महीने की 15 तारीख से पहले संगठन में बदलाव हो सकता है.
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