UP News: उत्तर प्रदेश सरकार मछली पालन के लिए बड़ा कदम उठा रही है. मछली के तालाबों के साथ केला उत्पादन के जरिये भी सरकार ने हजारों लोगों को रोजगार देने का बीड़ा उठाया है.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती के साथ किसानों की आय में वृद्धि के लिए प्रयासरत योगी आदित्यनाथ सरकार के मार्गदर्शन में बस्ती जिले ने बेहद अनूठा प्रयास किया है। नरेगा के तहत बस्ती जिले ने ग्रामीण क्षेत्रों में एक ही जगह केले की खेती और मछली पालन के लिए तालाबों को विकसित किया है. इन तालाबों में जहां मत्स्य पालन किया जा रहा है तो वहीं इसके चारों ओर बाड़ लगाकर केले के पेड़ भी लगाए गए हैं.
पूरे जिले में अब तक ऐसे 1085 केला और मछली तालाबों को विकसित किया गया है. इस महत्वपूर्ण पहल के माध्यम से जिले के ग्रामीणों को आर्थिक सुरक्षा, रोजगार, और आजीविका के नए स्रोत प्राप्त होंगे यह अनूठी परियोजना एकीकृत खेती के साथ बागवानी और मछलीपालन को एक समन्वित तरीके से समर्थ बनाएगी। इसके अलावा, यह प्रकल्प स्थानीय ग्रामीणों को निरंतर आय का स्त्रोत प्रदान करेगा और साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी सुनिश्चित करेगा.
14 विकास खंडों में किया गया विकास
बस्ती जिले के डीएम आंद्रा वामसी ने इस पहल के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इस स्मार्ट पहल के माध्यम से, बस्ती जिले की समृद्धि और समृद्धि को सुनिश्चित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है. इस परियोजना के तहत अब तक पूरे जिले में कुल 1085 तालाबों का निर्माण किया गया है. इस परियोजना के अंतर्गत जिले के 1085 गांवों का संवर्धन किया गया है. 14 विकास खंडों में गांवों में एक केला और मछली तालाब विकसित किया गया है. प्रति तालाब खर्च की गई राशि 1.28 लाख से 6 लाख रुपये के बीच है, जो तालाब के आकार पर निर्भर करती है. परियोजना के लिए कुल 1111 तालाबों को चिन्हित किया गया था. इनमें से 1085 में परियोजना को पूरा कर लिया गया है. कुल मिलाकर इन तालाबों में 9761 किलो मछलियों का संचयन किया गया है.
तालाब से हजारों को रोजगार
डीएम आंद्रा वामसी के अनुसार, इस परियोजना के दौरान 547129 मानव दिवस सृजित किए गए हैं. कुल 9150 जॉब कार्ड धारकों को रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं. इन तालाबों की मेड़ पर कुल 42493 केले के पौधे रोपे गए हैं. इनसे बड़ी संख्या में केलों का उत्पादन सुनिश्चित होगा. प्रत्येक तालाब से अगले वर्ष 682 किलोग्राम का अपेक्षित मछली उत्पादन होने की उम्मीद है.
प्रति तालाब प्रति वर्ष 1364 किलोग्राम का अपेक्षित मछली उत्पादन होने की संभावना है. इस महत्वपूर्ण पहल को सफल बनाने में अग्रिम स्तर पर शामिल सभी अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों, और स्थानीय निवासियों का योगदान महत्वपूर्ण रहा है. इस प्रकल्प से न केवल आर्थिक विकास होगा, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा.