Meerapur Byelection 2024: यहां अपनों पर नहीं है लोगों को भरोसा, बाहरी ही चुना जाता है विधायक, जानें सीट का समीकरण
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2498209

Meerapur Byelection 2024: यहां अपनों पर नहीं है लोगों को भरोसा, बाहरी ही चुना जाता है विधायक, जानें सीट का समीकरण

UP Byelection: 1967 से लेकर आज तक इस विधानसभा का एक भी व्यक्ति विधायक नहीं चुना गया. विधायक जो बने सब बाहरी रहे. यहां 57 वर्षों के दौरान 14 विधायक चुने गए . सबके सब बाहरी. कह सकते हैं कि यहां की जनता बाहरी लोगों पर अधिक विश्वास करती है.

up byelection

Meerapur Upchunav: उत्तर प्रदेश उपचुनाव को लेकर इस समय सूबे में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस बार जिन 9 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है उसमें मीरापुर सीट भी है. मीरापुर सीट मुजफ्फरनगर जिले में आती है. यहां भी 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. इस बार कुल 11 प्रत्याशी उपचुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट के बारे में कहा जाता है कि यहां हमेशा बाहरी ही चुनाव जीतता है. दरअसल यहां का चुनावी इतिहास ही कुछ ऐसा है. 

इतिहास: आपको बता दें कि इस सीट को 2012 से पहले मोरना कहा जाता था. इसका एक हिस्सा जानसठ विधानसभा और दूसरा हिस्सा मोरना विधानसभा क्षेत्र में आता था. यह सीट 2012 के परिसीमन के बाद मीरापुर के नाम से जानी गई. मोरना से पहले इसे भोकरहेड्डी विधानसभा क्षेत्र कहा जाता था. 1962 में इस सुरक्षित सीट से शुगनचंद मजदूर विधायक बने थे.

ये क्षेत्र आते हैं इस सीट में- मीरापुर, भोपा, पीसी सलारपुर, जटवारा, कवल, धनसारी, जॉली, रुड़काली तालाबाली, नगला बुजुर्ग, काम्हेड़ा, तिसा, काकरौली, जनसठ केसी के तेवड़ा, मीरापुर एनपी और जनसठ तहसील के भोकरहेरी इस सीट के तहत आते हैं.

क्या है समीकरण - इस सीट पर कुल 273236 वोटर हैं. इनमें से पुरुष वोटर 149209 और महिला वोटर 124004 हैं. यहां गुर्जर, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समीकरण प्रभावी है. प्रजापति, सैनी, पाल और अन्य बिरादरी के मतदाता भी इस विधानसभा क्षेत्र में अच्छी तादाद में हैं.

दादा से लेकर पोते तक जीते चुनाव - उत्तर प्रदेश के पहले डिप्टी सीएम बाबू नारायण सिंह यहीं से विधानसभा क्षेत्र से जीतकर ही विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद साल 1996 में उनके बेटे संजय चौहान ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर मोरना विधानसभा चुनाव का जीता और वह विधायक बने. 2022 में इस सीट से संजय चौहान के बेटे चंदन चौहान विधायक चुने गए. दिलचस्प बात ये है कि साल 2009 में संजय चौहान बिजनौर से सांसद हुए और इस साल उनके बेटे चंदन भी बिजनौर से सांसद हो गए हैं. चंदन के इस्तीफे से ही यह सीट खाली हुई.अब उपचुनाव हो रहा है.

इस बार किसके बीच है मुकाबला - साल 2007 के विधानसभा चुनाव में कादिर राणा बसपा के टिकट पर मोरना से विधायक चुने गए थे. बाद में एक उपचुनाव में कादिर राणा के भाई नूर सलीम राणा रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल से हार गए थे. इन्हीं मिथलेश को आरएलडी ने 2024 उपचुनाव में टिकट दिया है. इस बार उनके खिलाफ कादिर राणा की बहू सुम्बुल राणा चुनाव लड़ रही हैं. इन्हीं दो के बीच इस बार का मुख्य मुकाबला माना जा रहा है.

वहीं बीएसपी ने इस बार शाह नजर को और आजाद समाज पार्टी ने जाहिद हसन को उपचुनाव का टिकट दिया है. एआईएमआईएम ने यहां से अरशद राणा को अपना प्रत्याशी बनाया है.

विधायकों की सूची

1967 कांग्रेस राजेंद्र दत्त त्यागी

1969 बीकेडी धर्मवीर त्यागी

1974 कांग्रेस नारायण सिंह

1977 जनता पार्टी नारायण सिंह

1980 जनता एस मेहंदी असगर

1985 कांग्रेस सईदुज्जमां

1989 जनता दल अमीर आलम

1991 भाजपा रामपाल सैनी

1993 भाजपा रामपाल सैनी

1996 सपा संजय सिंह

2002 बसपा राजपाल सैनी

2007 बसपा कादिर राणा

2009 रालोद मिथलेश पाल

2012 बसपा मौलाना जमील

2017 भाजपा अवतार भड़ाना

2022 भाजपा चंदन चौहान

यह भी पढ़ें:

'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे पर बसपा सुप्रीमो का आया रिएक्शन, दे दिया ये नया नारा

Trending news