Mahashivratri 2023: सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाशिवरात्रि महापर्व पर गोरखपुर के महादेव झारखंडी मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन-पूजन किए. इस मंदिर से सीएम योगी का खास लगाव है. आज हम आपको इस मंदिर की मान्यता और पौराणिक कथा बताएंगे.
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Jharkhandi Mahadev Mandir: आज पूरे देश में महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) की धूम है. शिवालयों में भोर से ही भोलेनाथ के दर्शन के लिए लंबी-लंबी कतारे लगी हैं. सूबे की मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने भी इस मौके पर गोरखपुर के महादेव झारखंडी मंदिर (Gorakhpur Jharkhandi Mahadev) पहुंचे. यहां सीएन ने भोलेनाथ का दर्शन-पूजन किया. यह गोरखपुर का एक ऐसा मंदिर जहां भगवान भोलेनाथ खुद प्रकट हुए थे. इस मंदिर की कहानी बड़ी रोचक है.
क्या है पौराणिक कथा?
झारखंडी महादेव मंदिर के पुजारी रामनाथ गोस्वामी के मुताबिक, पहले मंदिर के स्थान पर एक जंगल था. लकड़हारे यहां से लकड़ी काटकर ले जाते थे और बेचकर अपना जीवनयापन करते थे. एक दिन एक लकड़हारा यहां पर पेड़ काट रहा था. तभी उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूटकर एक पत्थर से टकरा कर गई. उस पत्थर से खून की धारा बहने लगी. यह देख लकड़हारा घबरा गया. जब लकड़हारे ने देखा तो शिवलिंग नजर आया. इस पर लकड़हारे ने शिवलिंग को ऊपर लाने की कोशिश की. लेकिन लकड़हारा जितना शिवलिंग को ऊपर लाने की कोशिश करता वो उतना ही नीचे धंसता जाता.
घबराया हुआ लकड़हारा तुरंत आस-पास के गांवों में पहुंचा और घटना के बारे में बताया, लेकिन किसी को उसकी बातों पर यकीन नहीं हुआ. कुछ दिनों बाद यहां के जमींदार गब्बू दास को रात में भोलेनाथ का सपना आया. भगवान शिव ने बताया कि तुम्हारी जमीन में अमुक स्थान पर शिवलिंग है. उसकी खुदाई करवाकर वहां मंदिर का निर्माण कराओ. इसके बाद जमींदार और स्थानीय लोगों ने वहां पहुंचकर खुदाई कराई, तो शिवलिंग निकला. तब से उसी स्थान पर शिवलिंग की पूजा-अर्चना होती आ रही है.
Uttar Pradesh | Devotees throng Jharkhandi Mahadev Temple in Gorakhpur to offer prayers on the occasion of #MahaShivaratri pic.twitter.com/jkOcP0SHY0
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 18, 2023
कैसे पड़ा महादेव झारखंडी नाम?
दावा है कि इस शिवलिंग पर आज भी कुल्हाड़ी के निशान मौजूद हैं. मान्यता है कि जंगल होने की वजह से ये स्वयंभू शिवलिंग हमेशा झाड़ियों और पत्तों से ढका रहता था. इसी वजह से मंदिर का नाम महादेव झारखंडी पड़ा. इस मंदिर की एक और खासियत यह है कि इस पर कोई छत नहीं है.
पेड़ में बनी है शेषनाग जैसी आकृति
स्थानीय लोगों के मुताबिक, कई बार मंदिर की छत बनाने की कोशिश की गई, लेकिन वह कभी पूरी नहीं हो पाई. यही वजह है कि आज भी झारखंडी महादेव शिवलिंग खुले आसमान के नीचे है. शिवलिंग के बगल में ही एक पीपल का पेड़ है. यह विशालकाय पांच पौधों को मिलाकर बना है. इसकी जड़ के पास शेषनाग जैसी आकृति बनी हुई है, जो भक्तों की आस्था का केंद्र है.
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सीएम योगी का मंदिर से है खास लगाव
बता दें कि मुख्मंत्री योगी आदित्यनाथ का भी इस मंदिर से खास लगाव है. बीते विधानसभा चुनाव के दौरान भी सीएम योगी ने मंदिर पहुंचकर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव की अराधना की थी. मुख्यमंत्री ने शिवलिंग का जलाभिषेक किया था. सीएम योगी अक्सर झारखंडी महादेव मंदिर पहुंचकर भोलेनाथ की अराधना करते रहे हैं.
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