PAC Constable Transfer Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि पीएसी व सिविल पुलिस दोनों एक पुलिस बल है. इसके साथ ही पीएसी से सिविल पुलिस में तबादले के खिलाफ याचिकाएं खारिज कर दी हैं.
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PAC Constable Transfer Case: मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिसमें कहा है कि प्रांतीय सशस्त्र बल (PAC) और सिविल या सशस्त्र पुलिस अलग फोर्स नहीं हैं. दोनों ही एक पुलिस बल है. इसलिए पीएसी से सिविल पुलिस या सिविल पुलिस से पीएसी में तबादला किया जा सकता है. कोर्ट ने प्रदेश के विभिन्न जिलों के पीएसी कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल का व्यापक पैमाने पर सिविल पुलिस में किए गए तबादले को वैध करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि मूल कानून के खिलाफ नियम नहीं बनाये जा सकते. कोर्ट ने तबादले के खिलाफ दाखिल दर्जनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है. जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने सुनील कुमार चौहान व 186 पीएसी कांस्टेबलों, हेड कांस्टेबलों सहित 27 याचिकाओं को एक साथ तय करते हुए यह आदेश दिया है.
याचियों का क्या कहना था ?
दरअसल, याचियों का कहना था कि पुलिस एक्ट व पीएसी एक्ट अलग-अलग है. पीएसी एक अलग कैडर है. पीएसी से सिविल पुलिस या सशस्त्र पुलिस में तबादले से उनकी आंतरिक वरिष्ठता व पदोन्नति के अवसर प्रभावित होंगे. इसलिए कैडर नहीं बदला जा सकता. वहीं, राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि 1861 का पुलिस कानून पीएसी सहित सभी पुलिस बलों पर लागू है. दो साल से कम अवधि के लिए एसपी को सिविल से सशस्त्र बल में तबादले का अधिकार है. दो साल से अधिक एवं दस साल से कम सशस्त्र बल में तबादला किया जा सकता है. पुलिस रेग्यूलेशन 396 व 525 में इसका अधिकार है.
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सरकार की तरफ से पेश अपर महाधिवक्ता का कहना था कि दोनों पुलिस का मुखिया पुलिस महानिदेशक है. कानून व्यवस्था के लिए जनहित में दोनों पुलिस का एक दूसरे में तबादला किया जा सकता है. पीएसी सहित सारी पुलिस एक है. कोर्ट ने कहा मूल कानून के खिलाफ ऐसे नियम नहीं बनाये जा सकते, जिससे तबादला करने पर रोक लगती हो. पुलिस कानून 1861 वैधानिक कानून है. जिसके तहत सिविल पुलिस से सशस्त्र पुलिस बल में तबादला किया जा सकता है.
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