''...तो जिंदा नहीं रहता'', बुढ़ापे में आर्थिक तंगी झेल रहे घनश्याम के लिए ऐसे सहारा बनी आयुष्मान योजना
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''...तो जिंदा नहीं रहता'', बुढ़ापे में आर्थिक तंगी झेल रहे घनश्याम के लिए ऐसे सहारा बनी आयुष्मान योजना

मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि फतेहपुर में एक लाख 32 हज़ार 98 परिवारों के दो लाख 57 हज़ार 379 गोल्डन कार्ड बनें है. जिसमें 1456 बीमारियों का निःशुल्क ईलाज होता है. जिन बड़ी बीमारियों का इलाज जनपद के चिन्हित अस्पतालों में संभव नहीं है, उनका इलाज बाहरी बड़े अस्पतालों में होता है. 

''...तो जिंदा नहीं रहता'', बुढ़ापे में आर्थिक तंगी झेल रहे घनश्याम के लिए ऐसे सहारा बनी आयुष्मान योजना

अवनीश सिंह/फतेहपुर: प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना गरीब परिवार के लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है. 60 वर्षीय घनश्याम सोनी का हर्ट ब्लॉकेज हो गया था, या यूं कहे जिंदगी ने जीने का साथ छोड़ना तय कर लिया था. पहले वह दूसरों की गाड़ी में ड्राइविंग का काम कर मजदूरी से दो वक्त की रोटी का इंतजाम करते थे. लेकिन इस उम्र में यह काम भी बंद हो गया तो फिर हार्ट बायपास सर्जरी का एक लाख से ऊपर का इलाज किसी मौत से कम नहीं था. लेकिन आयुष्मान योजना के गोल्डन कार्ड ने तो जिंदगी ही वापस दे दी. 

लाभार्थी घनश्याम सोनी का कहना है कि ड्राइविंग का काम कर अपनी कमाई से अपने परिवार का भरण पोषण करते थे, लेकिन बुढ़ापे में उनके पास कोई कारोबार व आय का कोई अन्य माध्यम नहीं है. पत्नी के साथ किसी तरह जीवन यापन करते हैं. काफी दिनों से हार्ट संबंधी बीमारी थी लेकिन जब तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी तो प्राइवेट अस्पताल में दिखाने गए. डॉक्टर के जरिये मालूम चला कि हार्ट की नसें ब्लॉक और लाखों का खर्चा बताया.

फिर आयुष्मान कार्ड के जरिए डॉक्टर ने कहा आपके इलाज में पैसा नहीं लगेगा और आपका ऑपेरशन हो जायेगा, फिर एडमिट होकर उनके हर्ट का ऑपेरशन होकर वॉल्व बदले गए. जिसमें लगभग एक लाख 39 हज़ार का आयुष्मान कार्ड से इलाज हुआ. अगर कार्ड ना होता तो आज जीवित नहीं होते. लाभार्थी समेत उनके परिवार जन योजना को लाभकारी बताते हुए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हैं. 

फतेहपुर में 1 लाख 32 हजार से ज्यादा परिवारोंके बने गोल्डन कार्ड 
मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि फतेहपुर में एक लाख 32 हज़ार 98 परिवारों के दो लाख 57 हज़ार 379 गोल्डन कार्ड बनें है. जिसमें 1456 बीमारियों का निःशुल्क ईलाज होता है. जिन बड़ी बीमारियों का इलाज जनपद के चिन्हित अस्पतालों में संभव नहीं है, उनका इलाज बाहरी बड़े अस्पतालों में होता है. लाभार्थी घनश्याम सोनी ने हार्ट का ईलाज कार्डियोलॉजी कानपुर में कराया है, जिनका आयुष्मान कार्ड से एक लाख 39 हज़ार का खर्च आया है. 

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