Independence Day 2023: हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का इतिहास काफी गौरवपूर्ण रहा है. कितने ही वीरों ने इस तिरंगे के लिए अपने जान की आहुति दे डाली...इस दिन हर भारतीय देशभक्ति के भाव से सराबोर होता है...यहां पर हम आपको तिरगें के बारे में बताने जा रहे हैं कि ये कितनी बार बदला...
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Independence day 2023: आज यानी15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2023) बड़ी ही धूमधाम से देश भर में मनाया जा रहा है. 15 अगस्त, 1947 को भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था. 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को अंग्रेजी हुकुमत से आजादी मिली थी. इसके बाद से हर साल 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं. हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का इतिहास काफी गौरवपूर्ण रहा है. कितने ही वीरों ने इस तिरंगे के लिए अपने जान की आहुति दे डाली. ऐसे में हम आपको तिरगें की अस्तित्व में आने की कहानी बताने जा रहे हैं. 1906 से अब तक कई बार राष्ट्रीय ध्वज का स्वरूप बदल चुका है।
15 अगस्त 2023 को देश की आजादी को 76 वर्ष पूरे हो रहे हैं. पिछले साल 75 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में हर घर तिरंगा अभियान के तहत गांव से लेकर शहर के लोगों को तिरंगा लहराने की अपील की थी. इस साल भारत 'राष्ट्र पहले, हमेशा पहले' (Nation First, Always First) थीम के तहत स्वतंत्रता दिवस मनाने वाला है।
पहला राष्ट्रीय ध्वज-1906
पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था. जिसे अब कोलकाता कहा जाता है. इस झंडे को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था. इसमें ऊपर हरा, बीच में पीला और नीचे लाल रंग था. इसके साथ ही इसमें कमल के फूल और चांद-सूरज भी बने थे.
दूसरा राष्ट्रीय ध्वज-1907
भारत का पहला गैर आधिकारिक ध्वज अधिक समय तक नहीं रहा और भारत को अगले ही साल नया राष्ट्र ध्वज मिल गया. दूसरा राष्ट्रीय ध्वज पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था. हालांकि, कई लोगों का कहना है कि यह घटना 1905 में हुई थी. यह भी पहले ध्वज के जैसा ही था. इस राष्ट्रध्वज में भी चांद सितारे आदि मौजूद था. साथ ही इसमें तीन रंग केसरिया, हरा और पीला शामिल था. बाद में इसे एक सम्मलेन के दौरान बर्लिन में भी फहराया गया था.
तीसरा राष्ट्रीय झंडा-1917
तीसरा ध्वज, 1917 में आया. डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया था. इस झंडे में पांच लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर सात सितारे बने थे. वहीं, बांई तरफ ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था. एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था.
चौथा राष्ट्रीय ध्वज-1921
चौथा तिरंगा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान फहराया गया था. आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया था. यह कार्यक्रम साल 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया था. यह दो रंगों (लाल और हरा) का बना हुआ था. ये ध्वज दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है.
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पांचवा राष्ट्रीय ध्वज-1931
भारत का चौथा राष्ट्र ध्वज 1921 में निर्मित हुआ जो 10 सालों तक अस्तित्व में रहा. 1931 में हिंदुस्तान को एक बार फिर नया राष्ट्रध्वज मिला. चौथे राष्ट्रध्वज की तरह ही पांचवे राष्ट्रध्वज में भी चरखा का महत्वपूर्ण स्थान रहा. इस बार रंगों में हेर-फेर हुआ. चरखा के साथ ही केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग का संगम रहा. इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी) ने औपचारिक रूप से इस ध्वज को अपनाया था.
पहले अलग था तिरंगा?
हमारा राष्ट्रीय ध्वज का विकास आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौर से गुजरा था. एक रूप राजनैतिक विकास को दर्शाता है. हमारे राष्ट्रीय ध्वज के विकास में कुछ ऐतिहासिक पड़ाव भी आए.
ध्वज को बनने में लगे थे 5 साल
वर्तमान तिरंगे की डिजाइन आंध्र प्रदेश के पिंगली वैकेंया ने बनाई थी. सेना में काम कर चुके पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) को महात्मा गांधी ये जिम्मेदारी सौंपी. ब्रिटिश इंडियन आर्मी (British Indian Army) में नौकरी कर रहे पिंगली वेंकैया की गांधी जी से मुलाकात दक्षिण अफ्रीका में हुई थी. इस दौरान वेंकैया ने अपने अलग राष्ट्रध्वज होने की बात कही जो गांधीजी को बेहद पसंद आई थी. इस ध्वज को बनने में पांच साल लगे थे.
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