Mathura News: मथुरा में एक उपभोक्ता ने महज 20 रुपये का अपना हक पाने के लिए के लिए 21 साल की कानूनी लड़ाई लड़ी. जिसके बाद उसके पक्ष में फैसला आया है. रेलवे द्वारा 30 दिन के अंदर धनराशि वापस न करने पर 20 रुपये पर 15% प्रतिवर्ष ब्याज से रकम देनी होगी.
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मथुरा: अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि किसी चीज की निर्धारित कीमत से ज्यादा दुकानदार पैसा वसूल लेते हैं, इसको लेकर या तो हम इस पर ध्यान नहीं देते या फिर नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाते हैं. लेकिन यह समझदारी बिल्कुल नहीं है. मथुरा में एक उपभोक्ता ने महज 20 रुपये का अपना हक पाने के लिए के लिए 21 साल की कानूनी लड़ाई लड़ी. जिसके बाद उसके पक्ष में फैसला आया है.
मथुरा के गली पीरपंच निवासी एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी ने 25 दिसंबर 1999 को मुरादाबाद जाने के लिए मथुरा के छावनी स्टेशन से दो टिकट 35 -35 रुपये के लिए थे. लेकिन टिकट विंडो पर बैठे लिपिक द्वारा उनसे 70 के स्थान पर 90 रुपये ले लिए गए. एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी द्वारा 20 रुपये वापस किए जाने की बात कही जाने के बाद भी उन्हें रुपये वापस नहीं किए गए. एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी ने 20 रुपये अवैध वसूली के विरुद्ध उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज कराया.
केस में जनरल भारत संघ द्वारा जनरल मैनेजर नॉर्थ ईस्ट गोरखपुर एवं मथुरा छावनी स्टेशन के विंडो क्लर्क को पार्टी बनाया गया था. 21 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई करने के बाद एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी के पक्ष में उपभोक्ता फोरम ने अपना फैसला सुनाते हुए 20 रुपए प्रतिवर्ष 12% की ब्याज सहित देने व तुंगनाथ चतुर्वेदी के मानसिक व आर्थिक शोषण के साथ ही वाद व्यय के 15 हज़ार रुपये जुर्माने का रूप में अदा करने का निर्देश दिए हैं.
रेलवे द्वारा 30 दिन के अंदर धनराशि वापिस न करने पर 20 रुपये पर 15% प्रतिवर्ष ब्याज से रकम देनी होगी. एडवोकेट तुंगनाथ चतुर्वेदी का कहना है कि 20 रुपये के लिये उन्हें 21 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद न्याय मिला है. वहीं रेलवे के अधिवक्ता राहुल सिंह ने मामले के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि रेलवे इस मामले में आगे अपील करेगी. साथ ही अधिवक्ता ने बताया कि 20 रुपये की एवज में ब्याज व जुर्माने सहित रेलवे को करीब बीस हजार रुपये चुकाने पड़ेंगे.