दिव्यांग टीचर के जज्बे से बदली बदहाल स्कूल की तस्वीर, उत्कृष्ट कार्य के लिए यूपी के टॉप 8 स्कूल में किया गया शामिल
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1258820

दिव्यांग टीचर के जज्बे से बदली बदहाल स्कूल की तस्वीर, उत्कृष्ट कार्य के लिए यूपी के टॉप 8 स्कूल में किया गया शामिल

खास बात यह है कि दिव्यांग टीचर रीनू स्कूल की दीवारों पर पाठ्यक्रम की तस्वीरों के जरिए शिक्षा देने के लिए अपने निजी फंड से 4 लाख से अधिक की धनराशि अब तक खर्च कर चुकी हैं. दिव्यांग टीचर रीनू के इस जज्बे और बच्चों को शिक्षा के लिए किए गए उनके प्रयोग के लिए शिक्षा विभाग ने रीनू बंसल के प्राइमरी स्कूल को यूपी के टॉप 8 स्कूलों में शामिल किया है. यही नहीं रीनू बंसल के स्कूल को उत्कृष्ट कार्य के लिए सरकार की योजना मेरा विद्यालय, मेरी पहचान में भी जनपद में प्रथम स्थान प्रदान किया गया है. 

दिव्यांग टीचर के जज्बे से बदली बदहाल स्कूल की तस्वीर, उत्कृष्ट कार्य के लिए यूपी के टॉप 8 स्कूल में किया गया शामिल

सुनील सिंह/संभल: संभल जिले के एक गांव में प्राइमरी स्कूल में तैनात प्रधान अध्यापिका दिव्यांग रीनू बंसल ने बेमिसाल जज्बे से बदहाल स्कूल की तस्वीर बदलकर शिक्षकों के लिए मिसाल पेश की है. उन्होंने स्कूल में शिक्षकों की कमी के विकल्प के तौर पर स्कूल की दीवारों पर नौनिहालों की किताबों के पाठ्यक्रम की तस्वीरें पेण्ट कराकर बच्चों की शिक्षा के लिए अनोखी पहल की है.

जज्बे के चलते यूपी के टॉप 8 स्कूल में शामिल हुआ स्कूल
खास बात यह है कि दिव्यांग टीचर रीनू स्कूल की दीवारों पर पाठ्यक्रम की तस्वीरों के जरिए शिक्षा देने के लिए अपने निजी फंड से 4 लाख से अधिक की धनराशि अब तक खर्च कर चुकी हैं. दिव्यांग टीचर रीनू के इस जज्बे और बच्चों को शिक्षा के लिए किए गए उनके प्रयोग के लिए शिक्षा विभाग ने रीनू बंसल के प्राइमरी स्कूल को यूपी के टॉप 8 स्कूलों में शामिल किया है. यही नहीं रीनू बंसल के स्कूल को उत्कृष्ट कार्य के लिए सरकार की योजना मेरा विद्यालय, मेरी पहचान में भी जनपद में प्रथम स्थान प्रदान किया गया है. इसके अलावा शिक्षा विभाग ने शिक्षिका रीनू बंसल को अनेक राज्य स्तरीय पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया है. 

बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए प्रधानाध्यापिका ने किया नया प्रयोग
दिव्यांग रीनू बंसल संभल जनपद के चंदौसी तहसील के कैथल गांव के प्राथमिक स्कूल में प्रधान अध्यापिका हैं. चंदौसी तहसील के गांव कैथल के इस सरकारी प्राथमिक स्कूल की हालत कुछ वर्षों पहले तक काफी बदहाल थी. स्कूल में शिक्षकों की कमी के साथ ही स्कूल का भवन भी दयनीय हालत में था. इन हालातों में बच्चों की पढ़ाई सुचारू तौर पर न हो पाने से दिव्यांग प्रधानअध्यापिका रीनू बंसल ने स्कूल और बच्चो की शिक्षा के लिए एक नया प्रयोग किया.

खेल-खेल में शिक्षा हासिल कर रहे बच्चे 
दिव्यांग टीचर रीनू बंसल ने स्कूल में टीचर्स की कमी के विकल्प और बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा के लिए स्कूल के भवन और बदरंग दीवारों पर बच्चों के पाठ्यक्रम के चित्रों को स्कूल के भवन और दीवारों पर पेंट कराकर स्कूल की तस्वीर ही बदल दी. ख़ास बात यह है की बदहाल स्कूल को सजाने और संवारने के लिए दिव्यांग टीचर ने सरकार से मिलने बाली धनराशि के साथ ही अपने निजी फंड से 4, लाख की बड़ी धनराशि स्कूल के कायाकल्प पर खर्च की है. 

स्कूल में प्राइवेट स्कूल जैसी हैं सुविधाएं
दिव्यांग प्रधान अध्यापिका रीनू बंसल के इस प्राथमिक स्कूल में बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास से लेकर बह सभी सुविधाए मौजूद हैं, जोकि प्राइवेट कॉन्वेंट स्कूल में होती हैं. दिव्यांग प्रधान अध्यापिका रीनू बंसल के इस जज्बे और शिक्षकों की कमी के विकल्प के तौर स्कूल की दीवारों और फर्श पर बनाई गई तस्वीरों के जरिये बच्चों को शिक्षा देने के लिए जिले के डीएम मनीष बंसल और शिक्षा अधिकारियों ने प्रधान अध्यापिका रीनू बंसल की सराहना की है. 

कार्य के लिए हासिल कर चुकी हैं कई राज्य स्तरीय पुरस्कार
बदहाल स्कूल की तस्वीर बदल कर स्कूल को आइडल स्कूल में बदलने के लिए शिक्षा विभाग ने शिक्षिका रीनू बंसल के प्राइमरी स्कूल की यूपी के टॉप 8 स्कूलों में शामिल किया है, यही नहीं स्कूल को मेरा विद्यालय, मेरी पहचान योजना के तहत उत्कृष्ट कार्य के लिए जनपद प्रथम स्थान प्रदान किया गया है, इसके अलावा शिक्षिका रीनू बंसल को अनेक राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. 

WATCH LIVE TV

 

 

Trending news