What is protocol for peacock death in India: मरने के बाद मोर को कैसे दफनाया जाता है, यह आप सबके मन में सवाल उठ सकता है. प्रोटोकॉल के तहत पहले मोर के शव को भारतीय ध्वज में लपेटा जाता है. क्या यह सच है, जानें सारी सच्चाई.
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Peacock Death: राष्ट्रीय पक्षी मोर के अंतिम संस्कार के बार में आपको पता है? क्या आपको पता है कि आखिर किस प्रोटोकॉल के तहत उसका अंतिम संस्कार किया जाता है. हाल ही में 24 मोरों की मौत हो गई है, जबकि कई अन्य की हालत खराब है. आइए जानते हैं मोर के मौत के बाद के नियम-कानून. इसके पहले जानते हैं कहां और कब हुई 24 मोर की मौत.
4 जून को मोर के मौत की मिली सूचना
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पालम वायुसेना स्टेशन के परिसर में 24 मोरों की मौत हो गई है, जबकि कई अन्य की हालत खराब बताई जा रही है. सोमवार को चार मोरों की मौत की सूचना मिली. विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित प्रजाति मोर की मौत की पहली रिपोर्ट 4 जून को सामने आई थी.
कैसे हुई मोर की मौत
हालांकि, मौतों के पीछे के कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन कुछ सूत्रों ने दावा किया है कि यह हीटस्ट्रोक के कारण हुआ. हालांकि, कुछ अन्य स्रोतों ने बताया कि मृत पक्षियों की मौत क्यों हुई इसके पीछे की वजह नहीं खोजी गई. न ही उनकी गहन जांच या पोस्टमार्टम प्रक्रिया की गई थी.
वन विभाग को नहीं मिली सूचना
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मोर की मौत की सूचना वन विभाग को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई. इस मामले पर वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमें इस घटना की जानकारी नहीं है. चूंकि यह राष्ट्रीय पक्षी है और 24 की संख्या बड़ी है, इसलिए इसकी सूचना हमें सूचित किया जाना चाहिए था. ऐसे मामलों में शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है और कारणों का आकलन किया जाता है." कई लोग मोरों की मौत की वजह हीटस्ट्रोक बता रहे हैं.
राष्ट्रीय पक्षी मोर के बारे में जानें
तिरंगे में लपेटकर होता है अंतिम संस्कार?
वैसे तो भारत में जब किसी सैनिक या किसी महान हस्ती का निधन हो जाता है तो उनके शव को तिरंगे मे लपेटकर और उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाती है. लेकिन भारत में कुछ जगहों पर देश के राष्ट्रीय पक्षी मोर को राजकीय सम्मान के साथ दफनाया गया. जिसमें दाह संस्कार करने से पहले उसे तिरंगे में लपेटा गया. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट्स ने बताया है कि इस तरह का कोई प्रोटोकॉल नहीं है और यह गतिविधि वन्यजीव संरक्षण ऐक्ट, 1972 के उल्लंघन के दायरे में आ सकती है. इस ऐक्ट के तहत शेड्यूल-I जानवरों के शवों पर राज्य का अधिकार होता है और उनको जलाए जाने या दफनाने का अधिकार स्टेट फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास होता है. गौरतलब है कि मोर का अंतिम संस्कार केवल राज्य वन विभाग की तरफ से ही किया जाता है. लोग कभी-कभार मोर के शव पर पुष्प अर्पित भी करते हैं.
वन विभाग की अधिक जिम्मेदारी
ऐनिमल ऐक्टिविस्ट के मुताबिक कोई एनजीओ या पुलिस मोर के मरने के बाद उसका पोस्टमॉर्टम नहीं करा सकती है, और न ही उसे दफना सकती है. ऐसे मामले में सबसे पहले मोर की मौत होने पर वन विभाग को सबसे पहले सूचना दी जाती है और इसके बाद ही वही उनको दफनाना या जलाना सुनिश्चित करते हैं ताकि उनके अंगों की तस्करी न हो सके.
तिरंगा में किसका शव लपेटा जाता है?
अगर नियम-कानून की बात करें तो केवल वर्तमान और पूर्व प्रधान मंत्री, वर्तमान और पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान और पूर्व राज्य मंत्री ही इस तरह के अंतिम संस्कार के हकदार हैं. लेकिन समय के साथ नियम बदल गए हैं. लिखित रूप से नहीं, कार्यरूप से. अब यह राज्य सरकार के विवेकाधिकार पर है कि किसका पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.यानी कोई निर्धारित दिशानिर्देश नहीं हैं.
सरकार के हाथ में बहुत कुछ
राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने या तिरंगे द्वारा शव को ढकने के लिए सरकार राजनीति, साहित्य, कानून, विज्ञान और सिनेमा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मृत व्यक्ति द्वारा किए गए योगदान को ध्यान में रखती है. इसके लिए संबंधित राज्य का मुख्यमंत्री अपने वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगियों के परामर्श के बाद निर्णय लेता है. फैसला ले चुकने के बाद, इसे डिप्टी कमिश्नर, पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षक सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सूचित किया जाता है. जिससे कि राजकीय अंतिम संस्कार के लिए सभी व्यवस्थाएं हो सकें.