S Jaishankar News: जयशंकर के पिता डॉ. के सुब्रह्मण्यम सचिव थे. उन्हें 1980 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पद से हटा दिया था. विदेश मंत्री ने खुद इस बात का जिक्र एक इंटरव्यू में किया है.
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Dr. K Subrahmanyam News: विदेश मंत्री एस जयशंकर नौकरशाह परिवार से आते हैं. जयशंकर के पिता डॉ. के सुब्रह्मण्यम सचिव थे. उन्हें 1980 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पद से हटा दिया था. विदेश मंत्री ने खुद इस बात का जिक्र न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में किया है. एस जयशंकर का यह भी कहना है कि राजीव गांधी के कार्यकाल में उन्हें बाहर रखा गया.
विदेश मंत्री ने कहा, 'मैं सर्वश्रेष्ठ विदेश सेवा अधिकारी बनना चाहता था. और मेरे विचार से, आप जो सबसे अच्छा कर सकते हैं उसकी परिभाषा में एक विदेश सचिव अंतिम है. हमारे घर में भी दबाव था, मैं इसे प्रेशर नहीं कहूंगा, लेकिन हम सभी इस बात से वाकिफ थे कि मेरे पिता जो कि एक ब्यूरोक्रेट थे, सेक्रेटरी बन गए थे, लेकिन उन्हें सेक्रेटरीशिप से हटा दिया गया. वह उस समय 1979 में जनता सरकार में संभवत: सबसे कम उम्र के सचिव बने थे.' बता दें जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव थे और इससे पहले उन्होंने चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित प्रमुख राजदूत पदों पर कार्य किया था.
‘समस्या इसी वजह से हुई हो’
जयशंकर ने कहा, '1980 में, वह रक्षा उत्पादन सचिव थे. 1980 में जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनी गईं, तो वे पहले सचिव थे जिन्हें उन्होंने हटाया था. और वह सबसे ज्ञानी व्यक्ति थे.' उन्होंने कहा कि उनके पिता भी बहुत ईमानदार व्यक्ति थे, 'हो सकता है कि समस्या इसी वजह से हुई हो, मुझे नहीं पता.'
विदेश मंत्री ने कहा, 'लेकिन तथ्य यह था कि एक व्यक्ति के रूप में उन्होंने नौकरशाही में अपना जो करियर देखा, वह वास्तव में रुका हुआ था. और उसके बाद वे फिर कभी सचिव नहीं बने. उन्हें राजीव गांधी काल के दौरान किसी ऐसे कनिष्ठ व्यक्ति के लिए पदावनत कर दिया गया था जो कैबिनेट सचिव बन गया था. यह कुछ ऐसा था जिसे उन्होंने महसूस किया... हमने शायद ही कभी इसके बारे में बात की हो. इसलिए जब मेरे बड़े भाई सचिव बने तो उन्हें बहुत, बहुत गर्व हुआ.'
पिता के निधन के बाद जयशंकर बने सचिव
जयशंकर ने कहा कि पिता के निधन के बाद वह सरकार के सचिव बने. विदेश मंत्री ने कहा, ‘2011 में उनका निधन हो गया, उस समय, मुझे वह मिला था जिसे आप ग्रेड 1 कहेंगे जो एक सचिव की तरह है …. एक राजदूत की तरह. उनके रहते मैं सचिव नहीं बना, मैं उनके जाने के बाद बना. हमारे लिए उस समय सचिव बनने का लक्ष्य था. जैसा कि मैंने कहा कि मैंने वह लक्ष्य हासिल कर लिया.’
कौन थे डॉ. के सुब्रह्मण्यम
जयशंकर के पिता के सुब्रह्मण्यम को भारत के सबसे प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतिकारों में से एक माना जाता है. उन्होंने कारगिल युद्ध के बाद कारगिल समीक्षा समिति सहित कई भारतीय सरकारी समितियों और जांच आयोगों का नेतृत्व किया. सुब्रह्मण्यम 2007 के भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के एक प्रमुख पैरोकार थे.
पद्म भूषण लेने से इनकार
सुब्रह्मण्यम ने 1999 में पद्म भूषण के भारत सरकार के सम्मान को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि नौकरशाहों और पत्रकारों को सरकारी पुरस्कार स्वीकार नहीं करना चाहिए.
परमाणु सिद्धांत का ड्राफ्ट
सुब्रह्मण्यम को 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा स्थापित भारत के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सलाहकार बोर्ड (NSCAB) का संयोजक नियुक्त किया गया था. बोर्ड ने भारत के परमाणु सिद्धांत का ड्राफ्ट तैयार किया, जो भारत के परमाणु शस्त्रागार के उपयोग और तैनाती के संबंध में सभी नीतिगत पहलुओं के बारे में था. इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू घोषित 'नो फर्स्ट यूज' नीति थी.
सीडीएस पद की सिफारिश
सुब्रह्मण्यम को 1999 में कारगिल युद्ध के बाद सरकार द्वारा गठित कारगित समिक्षा समित का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. सीमिति ने भारतीय खुफिया सेवाओं की संचरना में बदलाव और एक चीफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ती की सिफारिश की. सीडीएस नियुक्ती की सिफारिश को नरेंद्र मोदी सरकार ने 2019 में अपनाया.
हाईजैक किए गए विमान में थे सवार
सुब्रह्मण्यम 24 अगस्त 1984 को इंडियन एयरलाइंस फ़्लाइट 421 पर सवार थे, जब विमान को हाईजैक कर लाहौर, पाकिस्तान और आगे दुबई ले जाया गया था, जहां सभी यात्रियों को रिहा कर दिया गया.
पारिवारिक जीवन
सुब्रह्मण्यम का जन्म 19 जनवरी 1929 को हुआ था और वे तिरुचिरापल्ली और मद्रास में बड़े हुए. प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लेते हुए, उन्होंने 1950 में मद्रास विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में एमएससी की डिग्री हासिल की.
कम ही उम्र में, उनके माता-पिता उनका विवाह सुलोचना से कहा दिया. उनके तीन बेटे -IAS अधिकारी एस विजय कुमार, भारतीय राजनयिक और विदेश मंत्री (2019 से) एस जयशंकर, इतिहासकार संजय सुब्रह्मण्यम, और एक बेटी, सुधा सुब्रह्मण्यम है.
डॉ. के सुब्रह्मण्यम का निधन 2 फरवरी 2011 को हुआ. तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्र लिए की गई उनकी सेवाओं की तारीफ की थी.
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