दवा कंपन‍ियों पर सरकार कसेगी नकेल, एक जैसी द‍िखने और नाम वाली मेड‍िस‍िन होंगी बंद
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दवा कंपन‍ियों पर सरकार कसेगी नकेल, एक जैसी द‍िखने और नाम वाली मेड‍िस‍िन होंगी बंद

बाजार में उसी ब्रांड की दवाएं अस्‍त‍ित्‍व में रहेंगी, ज‍िन्‍हें न‍ियामक से पहले मंजूरी म‍िली है. एक जैसे नाम वाली या एक जैसी द‍िखने वाली दवाओं पर रोक लगेगी. 

दवा कंपन‍ियों पर सरकार कसेगी नकेल, एक जैसी द‍िखने और नाम वाली मेड‍िस‍िन होंगी बंद

बीमार‍ियां ठीक करने वाली दवाएं अगर मुनाफाखोरी का जर‍िया बन जाएं तो ये सेहत को ठीक करने की बजाय उसके ल‍िए समस्‍याएं खड़ी करने लगती हैं. ल‍िहाजा इन दवाओं पर नजर रखना जरूरी है. जांच एजेंसियों ने एक जैसी द‍िखने वाली दवाओं और एक समान लगने वाले ब्रांड पर अब नकेल कसने की तैयारी कर ली है. दरअसल, मेड‍िस‍िन मार्केट में एक जैसी द‍िखने वाली और म‍िलते-जुलते नाम वाली कई दवाएं मौजूद हैं, ज‍िसकी वजह से एक मरीज को भ्रम होता है और वह गलत दवा ले लेता है. इसकी वजह से वह जोखिम में पड़ सकता है.   

समझें पूरे मामले को 
इस बात को आप ब‍िजनेस की भाषा में समझें. मान लें क‍ि क‍िसी दवा की खपत बहुत ज्‍यादा है और इससे उसके न‍िर्माता कंपनी को बहुत लाभ हो रहा है. ऐसा ही मुनाफा दूसरी कंपनी भी उठाना चाहती है, तो वह उस दवा के ब्रांड से म‍िलते-जुलते नाम वाली दवा बाजार में उतार देगी. मरीजों को छोटा सा अंतर समझ नहीं आता और वो समान द‍िखने वाली और एक जैसे नाम वाली दवा ले आते हैं और उसका सेवन करते हैं. लेक‍िन इन दवाओं के फॉर्मूलेशन में अंतर होता है.  

ऐसे में सरकार अब केवल उन्हीं ब्रांड नामों को वैलिड मानेगी जिन्हें नियामक ने पहले मंजूरी दी गई थी. बाकी समान या समान नामों वाले और समान दिखने वाले ब्रांडों को बाजार में लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. दवा निर्माताओं को जल्द ही सरकार के पोर्टल पर अपने प्रोडक्‍ट्स के ब्रांड नामों के साथ-साथ फॉर्मूलेशन ड‍िटेल भी अपलोड करने के लिए कहा जाएगा. 

यानी अब दवा बनाने वाली कंपनियों को अगर अपने ब्रांड की दवा बाजार में लानी है तो उसे ये साब‍ित करना होगा क‍ि वह नियामक के पस पहले गई थी और उसे पहले स्‍वीकृत‍ि म‍िली है. इससे संबंध‍ित दस्‍तावेज वह सरकारी पोर्टल पर अपलोड करेगी. 

बता दें कि इससे पहले भी जांच में ऐसा ही मामला सामने आया था, ज‍िसमें ये पता चला था क‍ि बड़ी ब्रांडेड कंपनियां जरूरी स्वीकृति के बिना ही फिक्स डोज कांबिनेशन (एफडीसी) की दवाएं बना और बेच रही हैं. इसका सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है. एफडीसी में गड़बड़ी के कारण मरीजों को गैर जरूरी दवाएं भी खानी पड़ रही हैं.  

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