एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कस्बों और शहरों में रहने वाले बच्चों में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों की तुलना में श्वसन संक्रमण का खतरा अधिक होता है.
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एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कस्बों और शहरों में रहने वाले बच्चों में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों की तुलना में श्वसन संक्रमण का खतरा अधिक होता है. अध्ययन में यह भी कहा गया है कि डे केयर में रहने, नम घरों में रहने या अधिक यातायात वाले क्षेत्रों के पास रहने जैसे फैक्टर की वजह से भी छोटे बच्चों में श्वसन संक्रमण का खतरा अधिक होता है, जबकि स्तनपान कराने से इसका जोखिम कम हो जाता है.
यह अध्ययन इटली के मिलान में यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसाइटी इंटरनेशनल कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया. डेनमार्क स्थित कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के निकलस ब्रस्टेड द्वारा प्रस्तुत अध्ययन में 663 बच्चों और उनकी मांओं को शामिल किया गया. माताएं गर्भावस्था से लेकर अपनी संतानों के तीन साल का होने तक शोध में शामिल रहीं.
शोधकर्ताओं ने गर्भावस्था के दौरान महिलाएं और उनके नवजात शिशुओं के खून की विस्तृत जांच भी की. जब बच्चे 4 हफ्ते के हो गए तो उनकी इम्यून सिस्टम की क्षमता का विश्लेषण किया गया. उन्होंने पाया कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की इम्यून सिस्टम में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की तुलना में अंतर पाया गया.
कमजोर इम्यूनिटी का कारण
शोधकर्ताओं का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण, धूल और अन्य हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने से बच्चों की इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकती है. इसके अलावा, शहरों में रहने वाले बच्चों को अक्सर डे केयर में भेजा जाता है, जहां वे अन्य बच्चों के संपर्क में आते हैं और उनसे बीमारियों को पकड़ सकते हैं. नम घरों में रहने वाले बच्चों को भी श्वसन संक्रमण का खतरा अधिक होता है.
किस बीमारी का अधिक खतरा
शोधकर्ताओं का कहना है कि स्तनपान कराने से बच्चों की इम्यून सिस्टम मजबूत होती है और इससे उन्हें श्वसन संक्रमण का खतरा कम होता है. उन्होंने कहा कि सरकारों को शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को श्वसन संक्रमण से बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए. इन कदमों में प्रदूषण को कम करना, डे केयर में रहने वाले बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी करना और स्तनपान को बढ़ावा देना शामिल है.