Kundru Farming Business Idea: अगर आप परंपरागत फसलों जैसे गेहूं, मक्का, चावल से हटकर कोई और फसल लगाना चाहते हैं, जिससे कई साल तक आपको तगड़ा मुनाफा मिल सके तो आपको कुंदरू की फसल की बुवाई करनी चाहिए. आप कुंदरू की फसल कहीं भी लगा सकते हैं.
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Business Idea: अगर आप भी किसान हैं और अपने खेतों में कोई ऐसी फसल लगाना चाहते हैं, जिससे कि एक बार फसल लगाने पर सालों-साल अच्छा खासा पैसा कमाया जा सके. वहीं, अगर आप परंपरागत फसलों जैसे गेहूं, मक्का, चावल से हटकर कुछ लगाने के बारे में सोच रहे हैं, तो हम आपको एक ऐसी ही फसल का नाम बता रहे हैं, जिसकी बुआई में सिर्फ एक बार मेहनत करनी होती है.
इसके बाद फिर लगभग 3-4 साल तक आपको फसल मिलती रहती है. हम बात कर रहे हैं कुंदरू की खेती (Kundru Farming) की. आज हम जानेंगे कि कुंदरू की खेती (How To Do Kundru Farming) कैसे की जाती है और इसमें कितना मुनाफा है.
ऐसे होती है कुंदरू की खेती
गर्म इलाके में इस खेती से साल भर उत्पादन मिलता है. वहीं, जहां बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है वहां 7-8 महीने ही फसल मिल पाती है, क्योंकि इस सीजन में पैदावार कम होती है. वहीं, अगर मचान तैयार करके आप कुंदरू की खेती करेंगे तो इससे ज्यादा पैदावार हासिक करेंगे.
ऐसे मिलेगी अच्छी पैदावार
कुंदरू की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी वाले खेत सबसे बढ़िया होते हैं, इस मिट्टी में कुंदरू का उत्पादन बहुत बढ़िया होता है. इसके अलावा खेत की मिट्टी का पीएच 7 पॉइंट से ज्यादा नहीं होना चाहिए. कुंदरू की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसकी अच्छी पैदावार चाहिए तो 30-35 डिग्री टेम्प्रेचर के बीच बहुत अच्छा होता है. जब आप कुंदरू की फसल के लिए खेत तैयार करते हैं तो इसमें पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट डालना न भूलें.
कुंदरू की बुआई करने जा रहे हैं तो एक बात का जरूर ध्यान रखें कि अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्म के बीजों का ही चयन करें, नहीं तो छोड़े से पैसे बचाने के चक्कर में आप अपना ही नुकसान कर बैठेंगे. इसकी फसल लगाने के लिए सबसे पहले बीजों से नर्सरी तैयार करना पड़ता है और उसके बाद बुआई की जाती है.
पहली बार बुआई करने के लिए बारिश का मौसम ही चुनें
बारिश में बुवाई करने से फसल आसानी से जड़ पकड़ लेगी और तेजी से बढ़ने लगेगी. जब पौधों की बेल बनने लगें तो पांडाल प्रणाली से बांस और तार की मदद से मचान तैयार करना होगा. इसके बाद कुंदरू की बेलों को मचान पर चढ़ा दें.
कुंदरू की फसल में गर्मी में 4-5 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए. वहीं सर्दी में 8-10 दिन पर सिंचाई की जरूरत पड़ती है. रोपाई के तकरीबन 2 महीने से भी कम समय में कुंदरू की फसल तैयार हो जाती है. आप पहली बार 45-50 दिन में इसकी तुड़ाई कर सकते हैं. इसके बाद हर 4-5 दिन में आप इसकी हार्वेस्टिंग कर सकते हैं.
कुंदरू के सेवन से सेहत को होते हैं कई फायदे
कुंदरू सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होते हैं. इसमें फ्लेवोनोइड्स, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी बैक्टीरियल, कैल्सियम, आयरन, फाइबर, विटामिन-ए और सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है. कुंदरू खाने से आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है. वहीं, दिल और किडनी के लिए भी यह सेहतमंद माना जाता है. जो लोग बढ़ते वजन से परेशान हैं, उनके लिए कुंदरू का सेवन फायदेमंद होता है.
इतना होगा मुनाफा
प्रति हेक्टेयर खेती से आपको 300-450 क्विंटल तक का उत्पादन हो सकता है. फुटकर बाजार में कुंदरू 80-100 रुपये किलो और थोक में 40-50 रुपये किलो के हिसाब से बिकता है. इस तरह लगभग 400 क्विंटल की पैदावार को 40 रुपये के हिसाब से भी बेचते हैं तो आप 16 लाख रुपये कमा सकते हैं. इतना ही नहीं एक बार बुवाई करने के बाद लगभग 4 साल तक आपको उत्पादन मिलता रहेगा. इसके अलावा आप चाहे तो नीचे जमीन पर अदरक-हल्दी जैसी फसलें भी लगा सकते हैं. इससे आपको दोगुनी आय प्राप्त होगी.