यहां लड़कियों-औरतों के छाती ढकने पर फाड़ दिए जाते थे कपड़े, साइज के हिसाब से देना पड़ता था TAX
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यहां लड़कियों-औरतों के छाती ढकने पर फाड़ दिए जाते थे कपड़े, साइज के हिसाब से देना पड़ता था TAX

Breast Tax: क्या आपको मालूम है कि कई साल पहले महिलाओं को पहले अपनी छाती को ढकने के लिए टैक्स देने पड़ते थे. इस कानून के मुताबिक, महिलाएं अपने स्तन नहीं ढक सकती थीं. 

 

यहां लड़कियों-औरतों के छाती ढकने पर फाड़ दिए जाते थे कपड़े, साइज के हिसाब से देना पड़ता था TAX

Breast Tax Mulakaram: पहले के जमाने में कई ऐसे काम कराए जाते थे, जिनके बारे में आज भी किसी को कोई जानकारी नहीं है. चलिए आज हम आपको एक चौंकाने वाली कानून के बारे में बताते हैं जिसे पढ़कर आप स्तब्ध रह जाएंगे. क्या आपको मालूम है कि कई साल पहले महिलाओं को पहले अपनी छाती को ढकने के लिए टैक्स देने पड़ते थे. इस कानून के मुताबिक, महिलाएं अपने स्तन नहीं ढक सकती थीं. अगर वह ऐसा करती हैं तो उनसे टैक्स वसूला जाता था. अब आप जानना चाहते होंगे कि आखिर यह किस समय में हुआ करता था तो चलिए हम आपको बताते हैं कि यह कानून 19वीं शताब्दी में था.

इस साम्राज्य में छाती ढकने पर लिया जाता था टैक्स

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सन 1729 में मद्रास प्रेसीडेंसी में त्रावणकोर साम्राज्य की स्थापना की गई. इस साम्राज्य में नए कायदे-कानून बनाए गए और राजा मार्थंड वर्मा ने कई तरह के टैक्स लेने की पद्धति की शुरुआत की. बिक्री कर, जीएसटी और गृह कर के अलावा उन्होंने ब्रेस्ट टैक्स यानी स्तन कर के लिए भी कानून बनाया. इस नियम के तहत, दलित और ओबीसी वर्ग की महिलाओं को अपनी छाती को ढांकने के लिए टैक्स देना पड़ता था.  त्रावणकोर साम्राज्य में यह भी नियम था कि निचली जाति की महिलाओं को सिर्फ कमर तक ही कपड़ा पहनना होगा.  

सन 1729 के समय में राजा ने बनाया था कानून

इतना ही नहीं, इस साम्राज्य की महिलाओं को अपनी ब्रेस्ट साइज के हिसाब से टैक्स वसूला जाता था. जैसे अगर किसी की ब्रेस्ट छोटी है तो उसे कम टैक्स और जिसका बड़ी ब्रेस्ट होती है तो उनको ज्यादा टैक्स देना होता है. इस टैक्स का नाम मूलाक्रम था. अगर कोई ऐसी महिला जो अपनी छाती ढकने के बावजूद टैक्स नहीं देती थी तो अधिकारी उनके कपड़े भी फाड़ देते थे. हालांकि, कुछ समय के बाद महिलाओं ने इसका विरोध करना शुरू किया. नांगेली नाम की महिला ने विरोध जताया और अपनी छाती ढकनी शुरू कर दी. इससे ऊंची जाति के लोग भड़क उठे. उसके पति ने भी साथ दिया और फिर राजा ने नांगेली और उसके पति से जबरदस्ती टैक्स वसूलने लगा. एक बार जब राजा के अधिकारी नांगेली से जबरदस्ती टैक्स लेने उसके घर गए तो उसने अपना स्तन काटकर उसे दे दिया और लगातार खून बहने से उसकी मौत हो गई.

अपना स्तन काटकर दे दी अपनी जान

मौत के बाद नांगेली के पति चिरकंडुन ने भी अपनी जान दे दी. ऐसा कहा जाता है कि भारत के इतिहास में कोई भी पुरुष पहली बार 'सती' हुई. इसके बाद विरोध और भी बढ़ गया और फिर महिलाओं को अपनी छाती ढकने की आजादी मिल गई. बाद में साम्राज्य के राजा को भी यह घोषणा करनी पड़ी कि अब निचली जाति की महिलाओं पर स्तन ढकने का कोई भी टैक्स नहीं देना होगा. इस स्टोरी पर एक शॉर्ट फिल्म भी बन चुकी है, जिसका नाम है मूलाक्रम.

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