आपको बता दें कि काफी पहले खाने को भी धर्म और जातियों के आधार पर बांट दिया गया था. इस बंटवारे का शिकार मछलियां भी हो चुकी हैं. विष्णु पाल के द्वारा लिखी गई किताब 'मनसामंगल' में इस बात का खुलासा किया गया है. इस किताब में कई रोचक दावे किए गए हैं.
मनसामंगल बुक में 36 तरह की मछलियों का जिक्र किया गया है. किताब के मुताबिक मां मनसा देवी के आशीर्वाद से ही मछुआरे मछलियों को पकड़ने में कामयाब होते हैं. इसी किताब में मछलियों की जातियों के बारे में भी बताया गया है.
अनाबासा मछली को लोहार जाति का बताया गया है. राजपूत और ब्राह्मण जातियों के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा. आपको जानकर हैरानी होने वाली है कि मछलियां भी राजपूत और ब्राह्मण की केटेगरी में शामिल हैं. किताब के अनुसार टेंगरा मछली राजपूत और बाली मछली ब्राह्मण होती है.
इतना ही नहीं बल्कि एक मछली को तो हिंदू धर्म से बाहर तक कर दिया गया था. साल मछली को पठान जाति का बताया जाता है. पोठिया मछली को वैश्य जाति करार दिया गया है. ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में जानकर सभी हैरान रह जाते हैं और यकीन नहीं कर पाते.
आपको बता दें कि मांगुर मछली माली, बागी मछली नाई, गांगतोड़ा मछली कायस्थ, गरई मछली किसान और कतला मछली को क्षत्रिय जाति से जोड़ा जाता है. एक जमाने में ऐसा माना जाता था कि जो मछली जिस जाति की है, उसे सिर्फ वही जाति के लोग खा सकते हैं.
ट्रेन्डिंग फोटोज़