China News: चीन की एटॉमिक सिक्योरिटी वाच संस्था ने देश में थोरियम से चलने वाले परमाणु संयंत्र को मंजूरी दे दी है. इसकी क्षमता को लेकर दावा किया जा रहा है कि चीन ने इस फैसले से अगले 20 हजार सालों के लिए बिजली का इंतजाम कर लिया है.
Trending Photos
China nuclear reactor power plants: दुनिया के कुछ टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि तकनीक के मामले में चीन (China) आज अमेरिका से कहीं आगे निकल रहा है. आर्टिफिशियल सूरज बना चुके चीन ने एक और इतिहास रच दिया है. चीन में परमाणु सुरक्षा निगरानी संस्था ने थोरियम से चलने वाले परमाणु संयंत्र को मंजूरी दे दी है. ये परमाणु संयंत्र गोबी रेगिस्तान में स्थापित किया है. जिसे बीजिंग की उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकियों की खोज में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया जा रहा है.
थोरियम बेस्ड प्लांट के फायदे
थोरियम से चलने वाले इस रिएक्टर के कई फायदे हैं. इसका इस्तेमाल अन्य रेडियोएक्टिव पदार्थों की तुलना में कहीं ज्यादा सुरक्षित होता है. चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे बिजली बनाने पर कम कचड़ा निकलता है. एनर्जी प्रोडक्शन के लिए ये ज्यादा असरदार है. इस प्लांट को कहीं पर भी आसानी से लगाया जा सकता है.
20 हजार साल तक का इंतजाम
रेगिस्तान में लगा चीन का ये रिएक्टर अभी निर्धारित मात्रा में बिजली उत्पादन करेगा. इस रिएक्टर का संचालन चाइनीज अकादमी ऑफ साइंस के पास है. इस प्लांट को फिलहाल 10 साल चलाने की इजाजत दी गई है. थोरियम से चलने वाले इस रिएक्टर में लिक्विड फ्यूल का इस्तेमाल होता है. चीनी वैज्ञानिक अब थोरियम की मदद से ज्यादा से ज्यादा और जल्द से जल्द बिजली बनाने की तकनीक में पूरी दुनिया को पीछे छोड़ना चाहते हैं. चीन में थोरियम का विशाल भंडार है. जिससे उसे अगले 20000 साल तक साफ और सुरक्षित ऊर्जा यानी बिजली पैदा करने में आसानी होगी.
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2011 में हुई थी लेकिन इसका काम 2018 में शुरू हुआ. वैज्ञानिकों ने इसे 36 महीने में तैयार किया. कुछ समय की शांति के बाद अब एक बार फिर चीन की इस नई मुहिम यानी थोरियम रिएक्टर की चर्चा जोरशोर से हो रही है.
ऐआई (AI) हो या स्पेस इंजीनियरिंग चीन पूरी दुनिया को कड़ी टक्कर दे रहा है. चीन की काबिलियत की एक और मिसाल दें तो कई साल पहले बीजिंग के वैज्ञानिकों एक और चमत्कार तब किया था, जब उसने चंद्रमा के पिछले हिस्से यानी वो चांद का हिस्सा जो धरती से नज़र नहीं आता है, वहां अपना स्पेसक्राफ्ट चांग‘ई 4 (Chang’e 4) उतारा था. ये पहला मौका था जब चांद के अनछुए हिस्से पर किसी यान की लैंडिंग हुई थी.