Aghori Baba Image: अघोरियों की वेशभूषा और उनकी रहस्यमयी दुनिया के कई पहलुओं से आज भी ज्यादातर लोग अनजान हैं. इसमें सबसे ज्यादा अजीब बात अघोरियों के खाने-पीने को लेकर हैं.
Aghori Sadhu : साधु-संतों की बिरादरी में एक समुदाय अघोरियों का भी है. आमतौर पर अघोरी बाबाओं की वेशभूषा देखकर ही लोग डर जाते हैं. लेकिन कुछ लोग उनके पास तंत्र-मंत्र कराने के लिए जाते हैं. अघोरी बाबा कैसे बनते हैं, क्या खाते हैं और कहां रहते हैं, ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब रोंगटे खड़े करने वाले हैं.
मूलत: अघोरी बाबा शमशान जैसी जगहों पर रहते हैं और रात के घुप्प अंधेरे में तंत्र क्रियाएं करते हैं. आमतौर पर समाज में जिन चीजों को घृणित समझा जाता है, वे अघोरियों के जीवन का अहम हिस्सा होती हैं.
अघोर पंथ के साधु भगवान शिव के भक्त होते हैं और उनके बाबा भैरवनाथ रूप की आराधना करते हैं. भगवान शिव को अघोर पंत का प्रणेता माना गया है. अघोरी बाबाओं में अघोरी महिलाएं भी शामिल हैं.
अघोरी बाबा कच्चा मांस खाते हैं. वे शमशान में रहते हुए अधजले शवों का मांस खाते हैं. रोचक बात यह है कि हमें भले ही यह बात वीभत्स लगे लेकिन अघोरियों का मानना है कि शवों का कच्चा मांस खाने से उनकी तंत्र शक्ति प्रबल होती है. साथ ही वे मदिरा सेवन भी करते हैं.
अघोरी बाबा वो साधु होते हैं जो ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते हैं. वे महिलाओं के शव के साथ संबंध बनाते हैं. साथ ही जीवित महिलाओं से मासिक धर्म के दौरान शारीरिक संबंध बनाते हैं. वे मानते हैं कि यदि संबंध बनाने के दौरान भी वे भगवान की भक्ति कर रहे हैं तो उनकी साधना का ऊंचा स्तर है.
ज्यादातर अघोरी बाबा अपने पास नरमुंड (इंसान की खोपड़ी) रखते हैं. कई बार तो वे इन नरमुंडों में खाते-पीते भी हैं.
अघोरी बाबाओं को ढूंढना वैसे तो आसान बात नहीं है लेकिन काशी या बनारस ऐसी जगह है जहां सबसे ज्यादा अघोरी रहते हैं. बल्कि शिव की नगरी काशी में अघोरी बाबा के आश्रम भी हैं.
शरीर पर जानवरों की खाल, मुर्दों की भस्म लपेटे और लंबी-लंबी जटाएं रखने वाले अघोरियों को कुत्तों से बहुत प्रेम होता है. आमतौर पर अधिकांश अघोरी कुत्ते पालते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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