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धरती और चांद के समय में कितना अंतर है? आइंस्टीन वाली थ्‍योरी यूज करके वैज्ञानिकों ने पता लगाया

Earth Moon Time Difference: क्या आप जानते हैं कि चंद्रमा पर क्या समय हो रहा है? घड़ी के कांटे तो कोई भी सेट कर सकता है, लेकिन विज्ञान तो सबूत मांगता है. तभी तो वैज्ञानिक यह देखते हैं कि अंतरिक्ष में किसी जगह पर धरती के मुकाबले समय कितनी तेज या धीमे चलता है. यही बात तो 20वीं सदी की शुरुआत में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपनी 'थ्‍योरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी' में समझाई थी. अब उसकी का प्रयोग करते हुए, वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि धरती के मुकाबले चंद्रमा पर घड़ियां 56 माइक्रोसेकंड तेज चलेंगी. (Photos: NASA/ESA)

आइंस्टीन ने हमें क्या बताया था?

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आइंस्टीन ने हमें क्या बताया था?

आइंस्टीन का 'सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत' (Theory of General Relativity) कहता है कि अगर दो लोग एक ही दिशा में एक ही गति से नहीं चल रहे हैं, तो वे इस बात पर सहमत नहीं होंगे कि एक घंटा कितना लंबा है. यह असहमति पृथ्वी की सतह पर मौजूद व्यक्ति और कक्षा में मौजूद व्यक्ति या चंद्रमा पर मौजूद व्यक्ति के बीच भी होती है. यानी अगर कोई धरती पर हो और वह चंद्रमा पर मौजूद किसी एस्ट्रोनॉट से पूछे तो दोनों के बताए समय में अंतर होगा.

पृथ्वी और चंद्रमा के समय में अंतर

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पृथ्वी और चंद्रमा के समय में अंतर

कोलराडो स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी (NIST) में थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट, बीजूनाथ पाटला ने कहा, 'अगर हम चंद्रमा पर हैं, तो घड़ियां पृथ्वी की तुलना में अलग तरह से चलेंगी.' पाटला और उनके साथ नील एशबाई ने आइंस्टीन की थ्योरी का इस्तेमाल करके पता लगाया कि चंद्रमा और पृथ्‍वी के समय में 56 माइक्रोसेकंड का अंतर है.

क्यों चंद्रमा पर तेज चलती हैं घड़‍ियां?

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क्यों चंद्रमा पर तेज चलती हैं घड़‍ियां?

पृथ्वी के सापेक्ष चंद्रमा की गति के कारण घड़ियां हमारे मानक से धीमी चलती हैं, लेकिन इसका कम गुरुत्वाकर्षण घड़ियों को तेज चलने पर मजबूर करता है. पाटला के अनुसार, 'ये दो परस्पर विरोधी प्रभाव हैं, और इसका शुद्ध परिणाम 56-माइक्रोसेकंड प्रतिदिन (0.000056 सेकंड) का अंतर है.

क्यों अहम है यह अंतर?

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क्यों अहम है यह अंतर?

चंद्रमा पर समय तेज चलता है. 56 माइक्रोसेकंड का यह अंतर हमें और आपको भले ही ज्यादा न लगे, लेकिन जब अंतरिक्ष मिशनों की बात आती है तो पिन प्वाइंट एक्यूरेसी की जरूरत होती है, इसलिए समय का सटीक अंतर पता होना अहम है.

समय क्या है? एक छलावा!

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समय क्या है? एक छलावा!

आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी का नतीजा है कि विज्ञान समय को परम इकाई नहीं मानता. धरती पर मौजूद घड़ी उसकी कक्षा में धीमे चलेगी क्योंकि उसपर गुरुत्वाकर्षण का असर होगा. यही वजह है कि GPS सैटेलाइट्स को रिलेटिविटी को फैक्टर-इन करना पड़ता है.

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