जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में पारंपरिक समारोह में राष्ट्रीय खेल पुरस्कार प्रदान किए तो सबसे ज्यादा तालियां पैरा एथलीटों को मिली. मनु और गुकेश के साथ भारतीय पुरूष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पैरालम्पिक स्वर्ण पदक विजेता ऊंचीकूद के खिलाड़ी प्रवीण कुमार को भी देश का सर्वोच्च खेल सम्मान प्रदान किया गया.
दो ओलंपिक पदक जीतने वाली निशानेबाज मनु भाकर और शतरंज वर्ल्ड चैंपियन डी गुकेश ने चमक बिखेरी लेकिन शुक्रवार को जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में पारंपरिक समारोह में राष्ट्रीय खेल पुरस्कार प्रदान किए तो सबसे ज्यादा तालियां पैरा एथलीटों को मिली. मनु और गुकेश के साथ भारतीय पुरूष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पैरालम्पिक स्वर्ण पदक विजेता ऊंचीकूद के खिलाड़ी प्रवीण कुमार को भी देश का सर्वोच्च खेल सम्मान प्रदान किया गया.
22 साल की भाकर एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली स्वतंत्र भारत की पहली खिलाड़ी बनी जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत और मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता. हरमनप्रीत टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली हॉकी टीम के सदस्य थे. पेरिस ओलंपिक में वह टीम के कप्तान भी थे. दूसरी ओर बाएं पैर में विकार के साथ पैदा हुए प्रवीण ने टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीता और पेरिस में उसे स्वर्ण में बदला.
18 साल के गुकेश सबसे युवा वर्ल्ड चैम्पियन बने जिन्होंने पिछले महीने चीन के डिंग लिरेन को हराया. वह विश्वनाथन आनंद के बाद वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं. वह पिछले साल सितंबर में शतरंज ओलंपियाड में भारत की खिताबी जीत में भी सूत्रधार थे. इस बार 32 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार दिए गए जिनमें से 17 पैरा एथलीट हैं.
अर्जुन पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ियों में पेरिस ओलंपिक कांस्य पदक विजेता पहलवान अमन सेहरावत, निशानबाज स्वप्निल कुसाले, सरबजोत सिंह और पुरूष हॉकी टीम के सदस्य जरमनप्रीत सिंह, सुखजीत सिंह, संजय और अभिषेक शामिल हैं. इस बार पैरा एथलीटों की संख्या पुरस्कार जीतने वालों में अधिक थी जिन्होंने पेरिस पैरालम्पिक में सात स्वर्ण और नौ रजत समेत 29 पदक जीते. राष्ट्रपति मुर्मू परंपरा से हटकर व्हीलचेयर पर निर्भर कुछ खिलाड़ियों जैसे प्रणव सूरमा के लिए खुद आगे चलकर आईं.
समारोह में सबसे भावुक पल था जब भारत के पहले पैरालम्पिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर बैसाखियों के सहारे अर्जुन पुरस्कार (लाइफटाइम) लेने राष्ट्रपति तक पहुंचे. 80 साल के युद्ध नायक पेटकर को 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में कमर के नीचे गोली लगी थी. वह मूल रूप से मुक्केबाज थे लेकिन बाद में पैरा तैराक बन गए. उन्होंने 1972 पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीता था. वह पुरस्कार लेने आए तो तालियां तब तक बजती रही जब तक वह वापस अपनी सीट पर आकर नहीं बैठ गए. उनके लिए तालियां बजाने वालों में अभिनेता कार्तिक आर्यन भी थे जिन्होंने उन पर बनी फिल्म ‘चंदू चैम्पियन’ में मुख्य भूमिका निभाई थी.
खेलमंत्री मनसुख मांडविया, संसदीय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू , खेल सचिव सुजाता चतुर्वेदी भी इस मौके पर मौजूद थीं. खेलरत्न पुरस्कार के साथ 25 लाख रुपये नकद जबकि अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार के साथ 15 लाख रुपए दिए जाते हैं.
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