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अब भारत की मुट्ठी में होगी चांद की मिट्टी...ISRO रचने जा रहा इतिहास, अब दुनिया में होंगे Fantastic Four

ISRO Spadex Mission: चंद्रयान-3 की अपार सफलता और गगनयान मिशन से चर्चाओं में आए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2024 साल को शानदार विदाई देने की पूरी तैयारी कर ली है. 30 दिसंबर को इसरो श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से स्पैडेक्स मिशन को लॉन्च करेगा. मिशन में पहली बार अंतरिक्ष में दो उपग्रहों की डॉकिंग और अन डॉकिंग करना शामिल है. इस मिशन में पीएसएलवी सी60/स्पैडेक्स मिशन को साथ में लॉन्च किया जाएगा. मिशन की कामयाबी भारत को दुनिया के चार दिग्गज देशों के साथ खड़ा कर देगी. तो आइए जानते हैं आखिर क्या है इस मिशन में खास.

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इसरो फिर इतिहास रचने की डेट को पूरी दुनिया के सामने बता दिया है. सोमवार को पीएसएलवी-सी60/स्पैडेक्स मिशन  21:58 बजे एसडीएससी शार, श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया जाएगा. प्रक्षेपण प्रथम लॉन्च पैड से होगा और इस पथप्रदर्शक मिशन की सफलता भारत को जटिल अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बना जाएगा.

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अतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि इसरो का रॉकेट ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) दो उपग्रहों एसडीएक्स-एक और एसडीएक्स-दो को 476 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित करेगा और जनवरी के पहले सप्ताह में अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पैडएक्स) का प्रयास करेगा.

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केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘यह मिशन अंतरिक्ष डॉकिंग में महारत हासिल करने में सक्षम देशों की विशेष श्रेणी में भारत के प्रवेश को रेखांकित करेगा.’’ स्पैडएक्स मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत के भविष्य के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित होने की उम्मीद है, जिसमें पृथ्वी पर चंद्रमा से चट्टानें और मिट्टी लाना, प्रस्तावित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा की सतह पर एक अंतरिक्ष यात्री को उतारना शामिल है.

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अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने ही अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल की है. इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘स्पैडएक्स मिशन का प्राथमिक उद्देश्य दो छोटे अंतरिक्ष यानों (एसडीएक्स-एक, जो कि चेजर है, और एसडीएक्स-दो, जो कि लक्ष्य है) के पृथ्वी की निचली वृत्ताकार कक्षा में संयोजन ‘डॉकिंग’ और ‘अनडॉकिंग’ के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी का विकास और प्रदर्शन करना है.’’

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मिशन का दूसरा उद्देश्य डॉक किए गए अंतरिक्ष यान के बीच विद्युत शक्ति के स्थानांतरण का प्रदर्शन करना है जो कि भविष्य के अनुप्रयोगों जैसे कि अंतरिक्ष में रोबोटिक्स, डॉकिंग से अलग होने के बाद समग्र अंतरिक्ष यान नियंत्रण और पेलोड संचालन के लिए आवश्यक है.

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सिंह ने कहा, ‘‘यह क्षमता भारत के चंद्र और अंतरग्रहीय मिशन के लिए महत्वपूर्ण है. डॉकिंग प्रौद्योगिकी बहु-प्रक्षेपण मिशन को सक्षम बनाती है और भविष्य में मानव अंतरिक्ष उड़ान का समर्थन करती है.’’ ‘डॉकिंग’ और ‘अनडॉकिंग’ प्रयोगों के प्रदर्शन के बाद, दोनों उपग्रह दो साल तक अलग मिशन के लिए पृथ्वी की परिक्रमा करना जारी रखेंगे.

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एसडीएक्स-एक उपग्रह हाई रेजोल्यूशन कैमरा (एचआरसी) से लैस है और एसडीएक्स-दो में दो पेलोड मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल (एमएमएक्स) पेलोड और रेडिएशन मॉनिटर (रेडमॉन) हैं. इसरो ने कहा कि ये पेलोड उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें, प्राकृतिक संसाधन निगरानी, ​​वनस्पति अध्ययन और कक्षा में विकिरण पर्यावरण माप प्रदान करेंगे, जिनके कई अनुप्रयोग हैं. सभी तस्वीरें इसरो के आधिकारिक अकाउंट से

 

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