Black Hole Growth Rate: ब्रह्मांड के सबसे विशालकाय ब्लैक होल आकाशगंगाओं के केंद्र में पाए जाते हैं. इन्हें 'सुपरमैसिव ब्लैक होल' कहा जाता है. इस तरह के ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य से करोड़ों-अरबों गुना ज्यादा होता है. हमारी आकाशगंगा, मिल्की वे के केंद्र में भी एक सुपरमैसिव ब्लैक होल जिसे Sagittarius A* कहते हैं. ये सुपरमैसिव ब्लैक होल कैसे इतने विशालकाय बन जाते हैं? इस सवाल का जवाब खोजने के लिए, खगोल वैज्ञानिकों की एक टीम ने ब्रह्मांड के 13.8 अरब साल के इतिहास में पीछे जाकर देखा कि शुरुआती दिनों से लेकर आज तक विशालकाय ब्लैक होल कैसे विकसित हुए हैं. पता चला कि ब्लैक होल के विकास की रफ्तार धीमी पड़ रही है.
ब्लैक होल हमारे ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमयी पिंड हैं. इनका गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है कि उनसे कुछ भी बच पाता, यहां तक कि प्रकाश भी नहीं. आमतौर पर माना जाता है कि ब्लैक होल, मरते हुए तारों के ढहने से बनते हैं.
पहले यह माना जाता था कि सुपरमैसिव ब्लैक होल की शुरुआत तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल के रूप में हुई थी, जो समय के साथ पदार्थ को एकत्रित करते रहे. हालांकि, हबल और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के एक्सएमएम-न्यूटन जैसे अंतरिक्ष दूरबीनों ने शुरुआती ब्रह्मांड में सुपरमैसिव ब्लैक होल को देखा है, जहां उन्हें छोटे तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल से विकसित होने का समय नहीं मिला होगा.
सुपरमैसिव ब्लैक होल का विकास मुख्यतः: दो तरीके से होता है. वे अपनी आकाशगंगाओं की गैस निगलते हैं, इस प्रक्रिया को एक्रीशन कहते हैं. दूसरा तरीका यह है कि जब आकाशगंगाएं टकराती हैं तो उनके सुपरमैसिव ब्लैक होल्स का विलय होता है.
जब सुपरमैसिव ब्लैक होल होल्स गैस को खाते हैं, तो उनसे हमेशा ताकतवर एक्स-रे किरणें निकलती हैं. ये किरणें हमें दिखाई नहीं देतीं. लेकिन सवाल उठता है कि जब किसी भी तरह का प्रकाश ब्लैक होल से नहीं बचता, तो अदृश्य एक्स-रे किरणें कैसे बच जाती हैं? सीधे कहें तो यह प्रकाश ब्लैक होल का नहीं, बल्कि उनके चारों तरफ मौजूद गैस से आता है.
पिछले दो दशक में, एस्ट्रोनॉमर्स ने ताकतवर एक्स-रे मशीनों की मदद से ब्रह्मांड के कई सुपरमैसिव ब्लैक होल्स की पहचान की है. इनके डेटा से वैज्ञानिकों को यह अनुमान लगाने में मदद मिली कि सुपरमैसिव ब्लैक होल, गैस खाकर कितनी तेजी से बड़े होते हैं.
औसतन, एक सुपरमैसिव ब्लैक होल हर साल सूर्य के द्रव्यमान के बराबर गैस को लील सकता है. हालांकि, इसका सटीक मान विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, डेटा से पता चलता है कि एक ब्लैक होल की वृद्धि दर, लाखों वर्षों में औसतन, इसकी मेजबान आकाशगंगा में सभी तारों के द्रव्यमान से दृढ़ता से जुड़ी हुई है.
गैस खाने के अलावा, सुपरमैसिव ब्लैक होल अपने जैसे किसी और ब्लैक होल से विलय के चलते बड़े होते हैं. सुपरकंप्यूटर कॉस्मोलॉजिकल सिमुलेशंस से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ऐसी घटनाएं कितनी बार होती हैं. ये सिमुलेशन दिखाते हैं कि आकाशगंगाएं और उनमें स्थित महाविशाल ब्लैक होल, ब्रह्मांडीय इतिहास के दौरान कई बार विलय से गुजर सकते हैं.
वैज्ञानिकों ने पाया कि अरबों वर्ष पहले, जब ब्रह्मांड युवा था, विशालकाय ब्लैक होल बहुत तेजी से बढ़े थे. लगभग 8 अरब वर्ष पहले, सुपरमैसिव ब्लैक होल्स की संख्या स्थिर हो गई थी। तब से इसमें कोई खास वृद्धि नहीं हुई है. जब सुपरमैसिव ब्लैक होल्स के बढ़ने के लिए पर्याप्त गैस उपलब्ध नहीं होती, तो उनके बड़े होने का एकमात्र तरीका विलय होता है.
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