Asthi Visarjan Niyam: अस्थि विसर्जन हिन्दू धर्म में मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक माना जाता है. हालांकि, शास्त्रों के अनुसार, कुछ तिथियों में अस्थियां विसर्जन करना अच्छा नहीं माना गया है. आइए जानते हैं कि किन-किन तिथियों में अस्थियां विसर्जन करने से बचना चाहिए.
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Asthi Visarjan: हिंदू धर्म में जब किसी व्यक्ति का दाह-संस्कार किया जाता है, तो उसकी कुछ अस्थियां (हड्डियां) शेष रह जाती हैं, जिन्हें धार्मिक अनुष्ठानों के अनुसार पवित्र नदी में विसर्जित करना आवश्यक होता है. यह प्रक्रिया दिवंगत आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए की जाती है. अस्थि विसर्जन के कुछ विशेष नियम और शुभ-अशुभ समय होते हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य माना गया है. आइए जानते हैं किन तिथियों में अस्थियां विसर्जन करना अशुभ माना गया है.
कितने दिनों भीतर करना चाहिए अस्थि विसर्जन?
हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद तेरह दिनों के भीतर दाह-संस्कार और अस्थि विसर्जन करने की परंपरा है. गरुड़ पुराण के अनुसार, मृतक के अंतिम संस्कार के तीसरे, सातवें और नौवें दिन अस्थियां इकट्ठा करनी चाहिए. दस दिनों के भीतर अस्थियों का गंगा या अन्य पवित्र नदी में विसर्जन करना शुभ माना जाता है.
मुख्य व्यक्ति द्वारा विसर्जन
जिस व्यक्ति ने दाह-संस्कार किया हो, उसी के द्वारा अस्थि विसर्जन किया जाना चाहिए. अगर ऐसा संभव ना हो तो परिवार के किसी अन्य सदस्य को यह कार्य विधिपूर्वक करना चाहिए.
कब-कब नहीं करना चाहिए अस्थि विसर्जन?
पंचक के दौरान- पंचक को अशुभ माना गया है और इस समय कोई भी अंतिम संस्कार या अस्थि विसर्जन नहीं किया जाता. यदि पंचक के दौरान ऐसा किया जाता है तो परिवार पर संकट आ सकता है.
अमावस्या के दिन- अमावस्या तिथि को पितरों के लिए विशेष माना जाता है, लेकिन इस दिन अस्थि विसर्जन वर्जित है. गरुड़ पुराण के अनुसार, इस दिन विसर्जन करने से विपरीत प्रभाव पड़ सकता है और परिवार को कष्ट झेलना पड़ सकता है.
सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण- ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार का धार्मिक कार्य करना निषेध है. इस समय किया गया अस्थि विसर्जन नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है, जिससे परिवार पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
शनिवार और मंगलवार- शनिवार और मंगलवार को उग्र तिथि माना जाता है. इन दिनों में अस्थि विसर्जन करने से परिवार पर संकट के बादल मंडराने लगते हैं. विशेष रूप से, शनि और मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव से दुर्घटनाएं और पारिवारिक कलह की संभावना बढ़ जाती है.
भद्रा और अन्य अशुभ योग- पंचांग में बताए गए भद्रा और अन्य अशुभ योगों के दौरान भी अस्थि विसर्जन नहीं करना चाहिए. इस समय किए गए कार्य का दुष्परिणाम पूरे परिवार को झेलना पड़ सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)