Kalashtami Puja: मान्यताओं के मुताबिक कालाष्टमी भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर जल्दी स्नान कर लेनी चाहिए. इस दिन काल भैरव के लिए एक विशेष पूजा की जाती है
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Kalashtami Puja: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक बाबा काल भैरव को भगवान शिव का पांचवा अवतार कहा जाता है. काल भैरव जयंति के दिन शक्ति की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा का भी पूजन होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार कालाष्टमी, हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. कालभैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है. ऐसे में काल भैरव की पूजा करने से इंसान भयमुक्त हो जाता है. इस पूजा को मनाने के लिए कुछ विधियां हैं तो आज हम आपको बताते हैं कि कालाष्टमी कैसे मनाएं.
कैसे मनाएं कालाष्टमी
मान्यताओं के मुताबिक कालाष्टमी भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर जल्दी स्नान कर लेनी चाहिए. इस दिन काल भैरव के लिए एक विशेष पूजा की जाती है और अपने सभी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे. शिव के भक्त इस दिन जीवन में समृद्धि, सुख और सफलता हासिल करने के लिए उपवास करते हैं.
भगवान भैरव को प्रसन्न करने के उपाय
कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की मूर्ति के आगे सरसो के तेल का एक दीपक जलाएं. इस दौरान श्रीकालभैरवाष्टकम् का पाठ करनी चाहिए. ऐसा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. कालाष्टमी के दिन 'ॐ नम: शिवाय' चंदन से लिखें और 21 बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाएं. इस दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं. क्योंकि कुत्ते को काल भैरव की सवारी मानी जाती है.
दान-पुण्य का है विशेष महत्व
इस दिन कुत्ते को दूध, दही और मिठाई भी खिलाया जाता है. इस उपाय को करने से बाबा भैरव और शनिदेव दोनों ही अपने भक्तों पर प्रस्सन होते हैं. इस दिन दान पुण्य का बहुत ही ज्यादा महत्व है. ऐसे में जरुरतमंदों और ब्राह्मणओं को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें. इन उपायों को करने से बाबा भैरव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)