Margashirsha Purnima: कब है इस साल की अंतिम पूर्णिमा और क्यों है खास? जानें- पूजा और दान का शुभ मुहूर्त
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Margashirsha Purnima: कब है इस साल की अंतिम पूर्णिमा और क्यों है खास? जानें- पूजा और दान का शुभ मुहूर्त

Margashirsha Purnima: धार्मिक मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत रखने से हर तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. ऐसे में इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा काफी खास है. तो आईए बताते हैं कब है डेट और क्या है शुभ मुहूर्त.

Margashirsha Purnima: कब है इस साल की अंतिम पूर्णिमा और क्यों है खास? जानें- पूजा और दान का शुभ मुहूर्त

Margashirsha Purnima: पूर्णिमा की तिथि भगवान श्रीहरि विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी जी को समर्पित माना जाता है. धार्मिक मान्यताएं हैं कि इस दिन लक्ष्मी जी के साथ विष्णु जी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. हालांकि इस माह यानि कि मार्गशीर्ष माह में आने वाले इस व्रत का खास महत्व है. मार्गशीर्ष भगवान कृष्ण को कहा जाता है ऐसे में इस महीने के नाम उनके नाम पर ही पड़ा है.

बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से है प्रसिद्ध

मान्यताओं के मुताबिक इस पूर्णिमा को कुछ लोग बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से जानते हैं तो कुछ लोग मोक्षदायिनी पूर्णिमा भी कहते हैं. धार्मिक मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत रखने से हर तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. ऐसे में इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा काफी खास है. तो आईए बताते हैं कब है डेट और क्या है शुभ मुहूर्त.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024 की तिथि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर 2024 को है. यानि कि यह पूर्णिमा साल 2024 की आखिरी पूर्णिमा है. इस दिन पूजा, स्नान, दान और तप का बहुत ही महत्व होता. इस दिन गंगा में डुबकी लगाने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. गंगा के किनारे घाटों पर जैसे हरिद्वार,बनारस,मथुरा, प्रयागराज और पटना में लोगों की भीड़ जुटती है.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024 मुहूर्त

मार्गशीर्ष पूर्णिम की तिथि कि अगर बात करें तो यह 14 दिसंबर 2024 को शाम 4 बजकर 58 मिनट से शुरू हो जाएगी. वहीं 15 दिसंबर 2024 को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर तिथि की समाप्ति हो जाएगी. स्नान दान के लिए मुहूर्त 15 दिसंबर की सुबह 5 बजकर 17 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगी.

इसके अलावा जो भी लोग पूर्णिमा का व्रत करते हैं वह सत्यानारायण भगवान की पूजा करते हैं. तो ऐसे में उनके लिए पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 24 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 16 मिनट तक है. इस दिन चंद्रमा का उदय शाम 5 बजकर 14 मिनट पर हो जाएगा.

क्यों खास है यह पूर्णिमा

मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है. जिसका अर्थ हुआ कि इस दिन अगर कोई भी व्यक्ति दान करता है तो उसे किए गए दान से 32 गुना अधिक फल मिलता है. ऐसे में यही कारण है कि लोग इस व्रत को करते हैं और जरुरतमंदों के बीच खूब दान करते हैं. ऐसा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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