Ram Katha: राज्याभिषेक के बाद श्रीराम ने वानर सखाओं को बुलाकर क्या कह दिया, राम कथा में जानिए...
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Ram Katha: राज्याभिषेक के बाद श्रीराम ने वानर सखाओं को बुलाकर क्या कह दिया, राम कथा में जानिए...

Ramayan Story: प्रभु श्रीराम ने राज्याभिषेक के करीब छह माह बाद अपने वानर सखाओं को बुलाया और आदर सहित उन्हें बैठने के लिए आसन दिया. उन्होंने कहा कि तुम लोगों ने मेरे लिए इतना कुछ किया है कि मैं उसका वर्णन ही नहीं कर सकता हूं. तुम लोगों ने मेरे लिए अपने घर परिवार तक छोड़ दिया.

 

राम कथा

Ramayan Story in Hindi: प्रभु श्रीराम अयोध्या के राज सिंहासन पर विराजमान हुए तो भगवान शंकर भी वहां पहुंचे. शिवजी ने उनकी स्तुति करते कहा कि आप गुणशील और कृपा के परम स्थान हैं. आप लक्ष्मी पति हैं. आप जन्म मरण, सुख-दुख, राग-द्वेष द्वंद समूहों का नाश करिए. हे पृथ्वी का पालन करने वाले राजन, आप इस दीन व्यक्ति की ओर भी अपनी कृपा दृष्टि डालिए. मैं आपसे बार-बार यही वरदान मांगता हूं कि मुझे आपके चरणों की अचल भक्ति और आपके भक्तों का सत्संग सदैव ही प्राप्त हो. इस तरह से श्र राम के गुणों की स्तुति कर उमापति महादेव हर्षित होकर कैलाश चले गए.

श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद ऋषि मुनि देवता और स्वयं भगवान शंकर पार्वती भी दर्शन करने के बाद चले गए. प्रभु श्रीराम के साथ लंका विजय में साथ रहने वाले वानर भी अयोध्या आ गए थे. वह यहां के वातावरण में इतने मग्न हो गए कि पता ही नहीं लगा और छह माह का समय बीत गया. गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरित मानस में लिखते हैं कि ऐसा लगा मानों, वह सब अपना घर ही भूल गए हों और अयोध्या को ही अपना घर समझ लिया.

श्रीराम ने सभी सखाओं को आपने पास बुलाया

इन स्थितियों को देखते हुए श्री रघुनाथ जी ने सभी सखाओं को अपने पास बुलाया और आदर सहित बैठाया. उन सबने भी श्रीराम के सम्मान में चरणों में सिर नवाया. इसके बाद श्रीराम ने कहा कि तुम सब लोगों ने मेरी बड़ी सेवा की है. अब सबके मुंह पर मैं क्या बड़ाई करूं. मेरे हित के लिए तुम लोगों ने अपने घरों तथा सभी प्रकार के सुखों का त्याग कर दिया. इससे तुम सब मुझे अत्यंत प्रिय हो.

श्रीराम ने वानरों से कहा, भाई और जानकी जी से भी अधिक प्रिय हो

प्रभु श्रीराम ने वानरों से कहा कि छोटे भाई, राज्य, संपत्ति, जानकी, अपना शरीर, घर, कुटुंब और मित्र सब मुझे प्रिय हैं है, किंतु तुम्हारे समान नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मैं झूठ नहीं कहता हूं, यह मेरा स्वभाव है. सेवक सभी को प्यारे लगते हैं, यह नियम भी है, किंतु मेरा तो दास से स्वाभाविक और विशेष प्रेम है, जिसे मैं शब्दों में नहीं कह सकता हूं. उन्होंने कहा कि इतने दिन साथ रहने के कारण अब यह प्रीति और भी गहरी हो गई है.

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