Ram Katha: नारद मुनि तो पार्वती जी को आशीर्वाद देकर चले गए, रामकथा में पढ़ें तब पर्वतराज की पत्नी मैना ने क्या कहा
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Ram Katha: नारद मुनि तो पार्वती जी को आशीर्वाद देकर चले गए, रामकथा में पढ़ें तब पर्वतराज की पत्नी मैना ने क्या कहा

Ramayan Story: नारद मुनि ने पार्वती जी का भविष्य सुनाते हुए पर्वतराज हिमाचल से कहा कि संसार में बहुत से वर मिल जाएंगे, किंतु इस कन्या के लिए शिवजी को छोड़कर दूसरा वर नहीं है, इसलिए किसी भी तरह का संदेह न करो, तुम्हारा कल्याण होगा.

 

 

राम कथा

Ramayan Story in Hindi: पर्वतराज हिमाचल की पुत्री पार्वती जी की कुंडली बांचते हुए देवर्षि नारद ने गुणों के आधार पर उनके संभावित के रूप में शिवजी नाम सुनते ही पार्वती जी मन ही मन शिवजी के चरणों के प्रति प्रेम करने लगीं. नारद मुनि ने कहा कि समर्थ लोगों पर कोई दोष नहीं लगता है. गंगा जी में शुभ और अशुभ हर तरह का जल बहता है, फिर भी कोई उन्हें अपवित्र नहीं कहता है. सूर्य, अग्नि और गंगा जी की भांति समर्थ में कोई दोष नहीं होता है. उन्होंने कहा यदि कोई मूर्ख व्यक्ति ज्ञान के घमंड में इस प्रकार की होड़ करता है तो वह नरक में ही पड़ता है. भला कहीं जीव भी कभी ईश्वर के समान हो सकता है.

समझाया ईश्वर और जीव में अंतर 

उन्होंने ईश्वर और जीव के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि गंगाजल से भी बनाई हुई शराब को जानकर संत लोग कभी भी उसे नहीं ग्रहण करते हैं, किंतु वही शराब गंगा जी में मिल जाने पर पवित्र हो जाती है. ईश्वर और जीव में इसी तरह का अंतर है. शिवजी सहज ही समर्थ हैं, क्योंकि वे भगवान हैं, इसलिए इस विवाह में सब प्रकार से कल्याण है.

तप करने से प्रसन्न होते हैं महादेव

नारद मुनि ने कहा कि महादेव की आराधना बहुत कठिन है, किंतु तप करने से वह बहुत जल्द संतुष्ट होकर प्रसन्न हो जाते हैं. उन्होंने पर्वतराज से कहा कि यदि तुम्हारी कन्या तप करे तो त्रिपुरारि महादेव होनहार को मिटा सकते हैं. संसार में वर तो अनेक हैं, किंतु इस कन्या के लिए शिवजी को छोड़कर दूसरा वर नहीं है. शिवजी वर देने वाले, शरणागतों के दुखों का नाश करने वाले, कृपा के समुद्र और सेवकों के मन को प्रसन्न करने वाले हैं. शिवजी की आराधना किए बिना योग और जप करने पर भी वांछित फल नहीं मिलता है.

नारद मुनि ने दिया पार्वती जी को आशीर्वाद

ऐसा कहने के बाद नारद मुनि ने भगवान का स्मरण किया और पार्वती जी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि पर्वतराज, तुम संदेह का त्याग कर दो अब तुम्हारा कल्याण ही होगा. इतना बोलकर नारद मुनि ब्रह्मलोक को चले गए. उनके जाने के बाद पार्वती जी की मां मैना ने पर्वतराज को एकांत पाकर कहा कि हे नाथ, मैं मुनि के वचनों का अर्थ नहीं समझ सकी हूं.

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