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Rudraksha Niyam: हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का खास महत्व बताया गया है. मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसूओं से हुई है. ऐसे में महादेव क कृपा बनाए रखने और जीवन में कष्टों के लिए नाश के लिए व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है. शास्त्रों में रुद्राक्ष धारण करने और धारण करने के बाद कई नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है. मान्यता है कि जैसे भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए सोमवार के दिन व्रत, पूजा, रुद्राभिषेक किया जाता है, उसी प्रकार रुद्राक्ष धारण किया जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है, उसे जीवन में अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता. लेकिन रुद्राक्ष धारण करने के लिए कुछ नियमों का पालन बेहद जरूरी है. मान्यता है कि रुद्राक्ष धारण करते समय की गई जरा सकी लापरवाही महादेव को नाराज कर सकती है. साथ ही, व्यक्ति को भगवान शिव के भयंकर क्रोध का सामना करना पड़ता है. जानें रुद्राक्ष धारण करने के जरूरी नियम.
रुद्राक्ष धारण करते समय रखें इन बातों का ध्यान
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्ताह में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन किए गए छोटे-छोटे उपाय, पूजा-पाठ और भगवान का स्मरण भगवान शिव को प्रसन्न करता है और उनकी कृपा बरसाता है. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है. ऐसे में रुद्राक्ष धारण करने के लिए भ सोमवार का दिन ही उत्तम है.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप रुद्राक्ष की माला धारण करने की सोच रहे हैं,तो पहले ये देख लें कि उस माला में कम से कम 27 मनके जरूर होने चाहिए.
- शास्त्रों में बताया गया है कि रुद्राक्ष सीधा खरीद कर नहीं पहना जाता. बल्कि इसे बाजार से लेकर पहले माला को लाल रंग के कपड़े में बांध दें और फिर शिव मंदिर में रख दें. इसके बाद ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें.
- इसके बाद हाथ में थोड़ा सा गंगाजल लें और रुद्राक्ष की माला को धो लें. इसके बाद हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लें और फिर से रुद्राक्ष की माला को धारण करें. इस नियम के साथ माला धारण करने से महादेव प्रसन्न होकर कृपा बरसाते हैं.
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से पहले व्यक्ति को स्नान अवश्य करना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)