Organ Transplant Antibody: ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बाद बड़ी समस्या रिजेक्शन की होती है. रिजेक्शन को रोकने के लिए इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं दी जाती हैं. इन सबके बीच एंटीबॉडी मेडिसिन पर शोध ने बड़ी उम्मीद जगाई है.
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Organ Transplant Antibody News: ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बाद रिजेक्शन की समस्या आम बात है. चाहे किडनी ट्रांसप्लांट हो या चाहे लिवर ट्रांसप्लांट(liver transplant). बड़ी कीमत अदा करने के बाद भी मरीजों को डर हमेशा सताता रहता है. ऑर्गन रिजेक्शन ना करें इसके लिए इम्यूनो सप्रेसिव दवाएं दी जाती हैं लेकिन उसके भी दुष्प्रभाव हैं, मसलन शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है लिहाजा इंफेक्शन होने की आशंका अधिक रहती है. इन सबके बीच राहत भरी खबर है, एमियोट्राफिक लैटरल सिलेरोसिस ने एक एंटीबॉडी के बारे में जानकारी दी है जो ऑर्गन रिजेक्शन(organ rejection) से बचने के लिए प्रभावी बताया जा रहा है.
अब इंसानों पर क्लिनिकल ट्रायल
यदि इंसानों पर क्लिनिकल ट्रायल(organ transplant antibody trial) कामयाब रहा तो यह मील का पत्थर साबित होगा. ड्यूक विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजिस्ट और ट्रांसप्लांट( kidneytransplant) सर्जन एलम किर्क के मुताबिक पिछले 20 वर्षों से इस दिशा में प्रयास किए जा रहे है और उम्मीद है कि हम टर्निंग प्वाइंट पर हैं. यह ट्रांसप्लांट के मरीजों के लिए बेहतरीन आविष्कार साबित हो सकता है. बहुत से मरीजों के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट ही जीवन बचाने का रास्ता है. लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या ऑर्गन रिजेक्शन का है. मरीज का इम्यून सिस्टम फॉरेन ऑर्गन को आसानी से स्वीकार नहीं कर पाता है. इम्यून रिस्पांस को ही ऑर्गन रिजेक्शन के नाम से जाना जाता है.
एटी 1501 मोनोक्लीनिकल एंटीबॉडी
एटी 1501 मोनोक्लीनिकल एंटीबॉडी(AT 1501 Monoclinical antibody) की मदद से रिजेक्शन को कम करने में मदद मिली है, खास बात यह है कि इम्यूनोसप्रेसिव ड्रग्स की मात्रा को बढ़ाने की जरूरत नहीं है. इम्यूनोसप्रेसिव ड्रग्स का एक बड़ा साइड इफेक्ट ब्लड क्लॉटिंग का है जिससे कम करने में मदद मिलती है. इस पूरे अध्ययन को एल्डेन फॉर्मास्यूटिकल्स ने फंड किया है.ये उपचार प्रतिरक्षा प्रणाली को दबा देते हैं, जिससे रोगियों को संक्रमण और अंग क्षति का खतरा होता है, और कई गैर-प्रतिरक्षा जटिलताओं जैसे मधुमेह और उच्च रक्तचाप का कारण बनते हैं.
एटी-1501 जैसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को एक प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिका की क्लोनिंग करके मानव एंटीबॉडी की तरह कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एटी-1501 कुछ टी कोशिकाओं की सतह पर सीडी40 लिगैंड नामक एक विशिष्ट प्रोटीन को लक्षित करता है, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में शामिल एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका है. एटी-1501 सीडी40 लिगैंड से जुड़कर टी कोशिकाओं की सक्रियता के खिलाफ एक एंटीबॉडी की तरह काम करता है. इस तरह से टी सेल सक्रियण को रोकने से कई प्रतिरक्षा और सूजन प्रतिक्रियाओं को रोकने में मदद मिलती है जो प्रत्यारोपित अंग को अस्वीकार करने में योगदान करती हैं.