doomsday clock 2025: प्रलय की घड़ी अपने 78 साल के इतिहास में आधी रात के सबसे करीब पहुंच गई है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है. पूरी दुनिया में तबाही मचने वाली है. सबसे खतरनाक तो तब रहा जब 2025 में प्रलय घड़ी 89 सेकंड पहले सेट की गई, यानी दुनिया नष्ट होने वाली है. जानें पूरा मामला और समझें क्या है प्रलय घड़ी.
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Doomsday Clock: दुनिया में प्रलय कब आएगा, कितने करीब है, ये समय भी हर साल तय होता है. दुनिया के नामी-गिरामी वैज्ञानिकों का एक समूह हर साल पृथ्वी के विनाश का समय तय करते हैं. समय निर्धारण के लिए एक घड़ी भी बनाई गई है. इसे डूम्सडे क्लॉक या प्रलय की घड़ी, या प्रलय घड़ी जाता है. पहली बार मंगलवार (28 जनवरी) को प्रलय की घड़ी आधी रात से 89 सेकंड पहले सेट की गई, जो 78 साल के इतिहास में आधी रात के सबसे करीब है. इस बात का खुलासा करने वाले परमाणु वैज्ञानिकों ने कहा कि मानवता खुद को नष्ट करने के करीब है.
सबसे खतरनाक समम में आई प्रलय घड़ी
wion में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, परमाणु, जलवायु और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का एक समूह, बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स ने मंगलवार को घोषणा की कि घड़ी आधी रात के करीब है. इसने रूपकात्मक रूप से यह भी बताया कि मानव जाति मानव निर्मित प्रगति के साथ खुद को नष्ट करने के कितने करीब है. बुलेटिन के विज्ञान और सुरक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डैनियल होल्ज़ ने कहा, "हमने घड़ी को आधी रात के करीब सेट किया है क्योंकि हम परमाणु जोखिम, जलवायु परिवर्तन, जैविक खतरों और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों में प्रगति सहित हमारे सामने आने वाली वैश्विक चुनौतियों पर सकारात्मक प्रगति नहीं देखते हैं." बुलेटिन इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि हम एक तबाही के बेहद करीब हैं, जो एक अत्यधिक खतरे का संकेत है और एक स्पष्ट चेतावनी है कि दिशा बदलने में हर पल की देरी वैश्विक आपदा की संभावना को बढ़ाती है.
'किसी भी क्षण परमाणु युद्ध'
वैज्ञानिकों के समूह ने कहा कि यूक्रेन युद्ध "किसी भी क्षण परमाणु" बन सकता है, साथ ही उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व में एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध "नियंत्रण से बाहर हो सकता है". वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन को कम करने के वैश्विक प्रयास "खराब बने हुए हैं" क्योंकि सरकारें ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए आवश्यक नीतियों को लागू नहीं कर रही हैं. होल्ज़ ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विकास "नीति, विनियमन और उनके परिणामों की गहन समझ से कहीं आगे निकल गया है."
प्रलय घड़ी को 89 सेंकड पहले किया गया सेट, इसका क्या है मतलब
"घड़ी को आगे बढ़ाकर, हम एक स्पष्ट संकेत भेजते हैं. होल्ज़ ने कहा, "क्योंकि दुनिया खतरनाक रूप से खाई के करीब है, इसलिए आधी रात की ओर किसी भी कदम को अत्यधिक खतरे के संकेत और एक स्पष्ट चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए." पिछले दो वर्षों से, घड़ी आधी रात से 90 सेकंड पहले ही रुकी हुई थी, और "जब आप इस खाई पर होते हैं, तो एक चीज जो आप नहीं करना चाहते हैं, वह है एक कदम आगे बढ़ना." समूह ने आगे कहा कि यदि नेता और राष्ट्र अस्तित्वगत जोखिमों को दूर करने के लिए मिलकर काम करते हैं, तो घड़ी को पीछे मोड़ा जा सकता है.
क्या है और कैसे काम करती है ‘प्रलय-घड़ी’?
दरअसल यह एक प्रतीकात्मक घड़ी है, जो दिखाता है कि मानव जाति अपने समूल नाश से कितनी दूर है. रात 12 बजे का समय उस वक्त का प्रतीक है जबकि प्रलय हो जाएगी और जीवन नष्ट हो जाएगा. 27 जनवरी को यह वक्त सिर्फ 89 सेकंड दूर रह गया. प्रलय-घड़ी ने दिखाया कि मानवजाति विनाश से सिर्फ 89 सेकंड दूर है. यह घड़ी ‘अंतिम समय’ के इतना करीब कभी नहीं आई थी और पिछले तीन साल से सौ सेकंड की दूरी बनी हुई थी.
कैसे काम करती है घड़ी?
यह घड़ी बनाई है अमेरिका के शिकागो से काम करने वाले एक समाजसेवी संस्थान बुलेटिन ऑफ द अटॉमिक साइंटिस्ट्स ने. यह संस्था धरती पर जीवन को मौजूद खतरों का सालाना आकलन करती है और उसके हिसाब से घड़ी का वक्त बदलती है. खतरों का आकलन करने के लिए वैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों का एक समूह अध्ययन करता है. इन विशेषज्ञों में 13 नोबल पुरस्कार विजेताओं के अलावा परमाणु तकनीक और जलवायु परिवर्तन के जानकार भी शामिल हैं. यही लोग मिलकर तय करते हैं कि घड़ी पर कितना वक्त होना चाहिए. यह घड़ी 1947 में तैयार की गई थी. (एजेंसियों से इनपुट के साथ)