Paralympics 2024 : भारत ने रिकॉर्ड 29 मेडल के साथ खत्म किया पेरिस पैरालंपिक, यहां देखें हर विजेता का नाम
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Paralympics 2024 : भारत ने रिकॉर्ड 29 मेडल के साथ खत्म किया पेरिस पैरालंपिक, यहां देखें हर विजेता का नाम

दिव्यांग लेकिन असाधारण रूप से दृढ़ भारत के पैरा एथलीट को अपने पैरालंपिक अभियान पर गर्व महसूस होगा, क्योंकि अधिकांश नाम उम्मीदों पर खरे उतरे. कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने अपने ही रिकॉर्ड तोड़कर मेडल जीते. भारत ने कुल 29 पदक जीते, जिसमें से 7 गोल्ड हैं, जो देश के लिए पहली बार हुआ है. 

Paralympics 2024 : भारत ने रिकॉर्ड 29 मेडल के साथ खत्म किया पेरिस पैरालंपिक, यहां देखें हर विजेता का नाम

India Meadlists list of Paris Paralympics 2024 : दिव्यांग लेकिन असाधारण रूप से दृढ़ भारत के पैरा एथलीट को अपने पैरालंपिक अभियान पर गर्व महसूस होगा, क्योंकि अधिकांश नाम उम्मीदों पर खरे उतरे. कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने अपने ही रिकॉर्ड तोड़कर मेडल जीते. भारत ने कुल 29 पदक जीते, जिसमें से 7 गोल्ड हैं, जो देश के लिए पहली बार हुआ है. भारत ने 2016 से पैरालंपिक में अपना सफर शुरू किया, जिसमें देश के पैरा एथलीट 4 मेडल जीत सके थे.

इसके बाद उनका प्रदर्शन शानदार होता चला गया और टोक्यो में पैरा खिलाड़ियों ने 19 मेडल जीते. 5 खेलों में कुल 29 मेडल से केवल ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में ही 17 मेडल मिले, जिसने सुनिश्चित किया कि देश इन खेलों में टॉप-20 में शामिल रहा. पैरालंपिक में एक बार फिर चीन का दबदबा रहा, जिसने 200 से ज्यादा पदक जीते. भारत अब भी ओलंपिक लेवल पर एक ताकत बनने से बहुत दूर है, लेकिन देश निश्चित रूप से दिव्यांगों की प्रतियोगिता में एक ताकत के रूप में उभरा है. 

ट्रैक और जूडो में मेडल

भारत के 84 सदस्यीय दल ने पैरालंपिक इतिहास में ट्रैक इवेंट्स सहित कई पहले स्थान सुनिश्चित किए, जिसमें धावक प्रीति पाल ने महिलाओं की 100 मीटर टी35 और 200 मीटर टी35 श्रेणी में ब्रॉन्ज जीता. टी35 कैटेगरी उन खिलाड़ियों के लिए है जिनमें हाइपरटोनिया, अटैक्सिया और एथेटोसिस जैसे विकार होते हैं. प्रीति के पैर जन्म से कमजोर थे और बड़े होने पर उनकी स्थिति और खराब होती गई. वहीं, पहली बार जूडो में मेडल मिला. कपिल परमार ने पुरुषों की जूडो के 60 किग्रा जे1 वर्ग में ब्रॉन्ज जीतकर भारत को गौरवान्वित करते हुए इस खेल में पहला मेडल जीता. कपिल (24 वर्ष) बचपन में अपने गांव के खेतों में खेलते समय बिजली के झटके से घायल हो गए थे, लेकिन उन्होंने इस दुर्घटना से खुद को उबारा. उन्हें जरूरतों को पूरा करने के लिए चाय बेचने के लिए भी मजबूर होना पड़ा लेकिन उन्होंने हालात को बदल दिया.

तीरंदाजी और क्लब थ्रो ने भारत को पदक तालिका में आगे बढ़ाया

हरविंदर सिंह और धरमबीर जैसे खिलाड़ियों ने क्रमशः तीरंदाजी और क्लब थ्रो में गोल्ड मेडल हासिल करके भारत को मेडल टैली में काफी ऊपर पहुंचाया. बिना हाथों के जन्म लेने वाली तीरंदाज शीतल देवी पहले से ही लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण थीं. मिक्स्ड टीम में ब्रॉन्ज जीतने के बाद इस 17 वर्षीय खिलाड़ी ने कभी हार नहीं मानने का का जज्बा दिखाया. उन्होंने अपने हाथों की बजाय पैरों का इस्तेमाल करके निशाना साधा, जिससे वह पेरिस में दर्शकों की पसंदीदा बन गईं. हालांकि, उनके सिंगल्स इवेंट में 1/8 एलिमिनेशन से बाहर होने के बाद दर्शकों को बहुत निराशा हुई. 

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हरविंदर ने रचा इतिहास

कुछ दिन बाद हरविंदर ने दबाव में संयम बरतते हुए तीरंदाजी में भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता और साथ ही टोक्यो के अपने ब्रॉन्ज का रंग भी बदला. वहीं, क्लब थ्रो इवेंट में पहला और दूसरा स्थान हासिल करना भारत के लिए दुर्लभ उपलब्धि रही, जिसमें धर्मबीर और प्रणव सोरमा एफ51 वर्ग में पोडियम फिनिश करने में सफल रहे. धर्मबीर एक दुर्घटना में कमर से नीचे लकवाग्रस्त हो गए थे, लेकिन सोनीपत निवासी को साथी पैरा एथलीट अमित कुमार सरोहा से बहुत समर्थन मिला जिन्होंने उनका मार्गदर्शन किया.

सुमित अंतिल और अवनि लेखरा ने डिफेंड किया खिताब 

जहां कई स्पर्धाओं में पहली बार मेडल आए तो वहीं भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल और निशानेबाज अवनि लेखरा सहित कुछ खिलाड़ियों से काफी उम्मीदें थीं, जिन्होंने टोक्यो में गोल्ड मेडल जीता था. सुमित का बायां पैर एक दुर्घटना के बाद काटना पड़ा था. उन्होंने लगातार दूसरी बार भाला फेंक में गोल्ड मेडल जीतकर अपना ही पैरालंपिक रिकॉर्ड तोड़ दिया, जबकि व्हीलचेयर पर रहने वाली राइफल निशानेबाज लेखरा ने एयर राइफल एसएच1 फाइनल में दबदबा बनाया. 

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बैडमिंटन में भी आया गोल्ड

बैडमिंटन कोर्ट से भी कुमार नितेश ने एक गोल्ड मेडल जीता, जिन्होंने एक रोमांचक फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को हराया. नितेश ने भी एक ट्रेन दुर्घटना के बाद अपना पैर खो दिया था. उन्होंने आईआईटी-मंडी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान बैडमिंटन खेलना शुरू किया था. भारत अगर पैरा तैराकों का एक पूल बना ले तो टॉप-10 में जगह बनाने की उम्मीद रख सकता है, क्योंकि पेरिस में केवल एक तैराक ने देश का प्रतिनिधित्व किया. वहीं, टॉप पर रहे चीन ने तैराकी में 20 गोल्ड सहित 54 पदक जीते.

भारत के पेरिस पैरालंपिक मेडलिस्ट

अवनी लेखरा - शूटिंग (महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1) गोल्ड 
मोना अग्रवाल - शूटिंग (महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1) ब्रॉन्ज
प्रीति पाल - महिलाओं की 100 मीटर T35 (एथलेटिक्स) ब्रॉन्ज
मनीष नरवाल - पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 (शूटिंग) सिल्वर
रूबीना फ्रांसिस - महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 (शूटिंग) ब्रॉन्ज
प्रीति पाल - महिलाओं की 200 मीटर T35 (एथलेटिक्स) ब्रॉन्ज
निषाद कुमार - पुरुषों की ऊंची कूद T47 (एथलेटिक्स) सिल्वर
योगेश कथुनिया - पुरुषों की डिस्कस थ्रो F56 (एथलेटिक्स) सिल्वर
नितेश कुमार - पुरुषों की एकल SL3 (बैडमिंटन) गोल्ड
थुलसिमाथी मुरुगेसन - महिलाओं सिंगल्स SU5 (बैडमिंटन) सिल्वर
मनीषा रामदास - महिला सिंगल्स SU5 (बैडमिंटन) ब्रॉन्ज
सुहास यतिराज - पुरुष सिंगल्स SL4 (बैडमिंटन) सिल्वर
राकेश कुमार / शीतल देवी - मिक्स्ड टीम कंपाउंड ओपन (तीरंदाजी) ब्रॉन्ज
सुमित अंतिल - भाला फेंक F64 (एथलेटिक्स) गोल्ड
नित्या श्री सिवन - महिला सिंगल्स SH6 (बैडमिंटन) ब्रॉन्ज
दीप्ति जीवनजी - महिला 400 मीटर T20 (एथलेटिक्स) ब्रॉन्ज
शरद कुमार - पुरुष ऊंची कूद T63 (एथलेटिक्स) सिल्वर
मरियाप्पन थंगावेलु - पुरुष ऊंची कूद T63 (एथलेटिक्स) ब्रॉन्ज
अजीत सिंह - पुरुष भाला फेंक F46 (एथलेटिक्स) सिल्वर
सुंदर सिंह गुर्जर - पुरुष भाला फेंक F46 (एथलेटिक्स) ब्रॉन्ज
सचिन खिलारी - पुरुष शॉट पुट F46 (एथलेटिक्स) सिल्वर
हरविंदर सिंह - पुरुष व्यक्तिगत रिकर्व ओपन (तीरंदाजी) गोल्ड
धरमबीर - पुरुष क्लब थ्रो 51 (एथलेटिक्स) गोल्ड
प्रणव सोरमा पु- रुष क्लब थ्रो 51 (एथलेटिक्स) सिल्वर
कपिल परमार - पुरुष -60 किग्रा जे1 (जूडो) ब्रॉन्ज
प्रवीण कुमार - पुरुष ऊंची कूद टी64 (एथलेटिक्स) गोल्ड
होकाटो होटोझे सेमा - पुरुष शॉट पुट एफ57 (एथलेटिक्स) ब्रॉन्ज
सिमरन - महिला 200 मीटर टी12 (एथलेटिक्स) ब्रॉन्ज
नवदीप सिंह - पुरुष भाला फेंक एफ41 (एथलेटिक्स) गोल्ड

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