Sudan War: अफ्रीकी देश सूडान में सेना और पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स के बीच जंग छिड़ीं है. 80 लाख लोग अपने घरों को छोड़ चुके हैं. जंग से हालात अब इस कदर बिगड़ गए हैं कि 50 लाख लोगों के पास खाने को नहीं हैं. लेकिन आइए जानते हैं कैसे इसी सूडान में गधों के अच्छे दिन आ गए हैं.
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Donkey Demand Surges In Sudan: अफ्रीकी देश सूडान पिछले 11 महीनों से जल रहा है. वहां की सेना और पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स में जंग छिड़ने की वजह से लगातार गोलीबारी और बमबारी हो रही है. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की एजेंसी के अनुसार 2.5 करोड़ लोग पहले ही खाने की कमी से जूझ रहे हैं तो वहीं 50 लाख लोगों को तो एक दिन का भरपूर खाना भी नसीब नहीं है.
सूडान में महंगाई इतनी हो गई कि लोग अब जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. आराजकता इतनी है कि लोग घर से निकल नहीं पा रहे हैं. ईंधन की कीमत इतनी बढ़ गई है कि लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए खर्च नहीं दे पा रहे हैं. नतीजा सूडान में गधों की डिमांड अचानक बढ़ गई है. अराजकता और ईंधन की कमी से सामान्य मोटर यातायात पूरी तरह से रुक गया है. बीमार लोगों को अस्पतालों तक ले जाने में मुश्किलें आ रही हैं.
महंगा हुआ पेट्रोल तो गधों के आए अच्छे दिन
इस जंग से आम नागरिकों की मुश्किलें बढ़ी हैं. बिना सड़कों के परिवहन नहीं हो पा रहा है. जगह-जगह पर चेकपॉइंट बने हैं और पेट्रोल पंप पूरी तरह सूख गए हैं. सेना के नियंत्रण वाले क्षेत्रों के ईंधन आपूर्तिकर्ताओं ने पेट्रोल स्टेशनों को तेल देना बंद कर दिया है. ईंधन की कमी ने इसकी कीमतों को भी बढ़ाया है. ईंधन अब 20 गुना महंगा हो गया है. एक लीटर पेट्रोल इस समय 25,000 सूडानी पाउंड या लगभग 20 डॉलर (1654 रुपए) प्रति लीटर में बिक रहा है.
50 लाख लोग अब भुखमरी की चपेट में
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) का कहना है कि देश भर में 10 में से नौ लोग ऐसे हैं जिन्हें भर पेट खाना भी नहीं मिल पा रहा है. इसकी एक वजह है कि ये सभी लोग ऐसे हिंसा प्रभावित इलाकों में फंसे हुए हैं जहां राहत सामग्री पहुंचाना बहुत ही मुश्किल काम है. युद्ध की वजह से 1.8 करोड़ लोग गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षित हैं और 50 लाख लोग अब भुखमरी का सामना कर रहे हैं. डब्ल्यूएफपी के कार्यकारी निदेशक सिंडी मैक्केन ने कहा है कि, ”बीस साल पहले, दारफुर में दुनिया का सबसे बड़ा भूख संकट था और दुनिया प्रतिक्रिया देने के लिए एकजुट हुई थी. लेकिन आज सूडान के लोगों को भुला दिया गया है. लाखों लोगों की जिंदगियां और पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता दांव पर है.”
सूडान में अपने घर को छोड़कर आए एक व्यक्ति ने मीडिया से बात करते बताया कि मैं खार्तूम में युद्ध से बच गया और अल-कादरिफ़ पहुँच गया. दूसरों की तरह मुझे भी यहां नौकरी नहीं मिली. इसलिए मैंने यह गधा गाड़ी खरीदने का फैसला किया. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सूडान में क्या हालात हैं.
फ़ेसबुक पर वायरल एक वीडियो में अल-क़दरिफ़ के शुक्रवार बाज़ार में गधों की खूब सारी भीड़ देखी गई. सूडान में पिछले अप्रैल से चल रहे गृह युद्ध में हजारों लोग अब तक मारे जा चुके हैं.
जंग की वजह क्या है?
15 अप्रैल 2023 को सूडानी सशस्त्र बल (Sudanese armed force) प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान और उनके पूर्व डिप्टी मोहम्मद हमदान डागलो, अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (Rapid Support Forces) के कमांडर के बीच सत्ता और ताकत को लेकर जंग छिड़ गई थी. जिसकी कीमत आज पूरा देश चुका रहा है. 45.7 मिलियन आबादी वाला यह देश युद्ध के चलते लगभग खाली हो चुका है और दिन पर दिन हालात बदतर ही होते जा रहे हैं.