Qatar: इजरायल और हमास के बीच जंग को रोकने के लिए कई देशों ने पहल की है. जिसमें अमरीका, मिस्र के साथ साथ कतर ने तो अपनी पूरी ताकत लगा दी कि युद्ध विराम हो जाए और इजरायली बंधक रिहा हो जाएं, लेकिन अब कतर जो अब तक इस मामले में 'बड़की बुआ' की भूमिका में था. वह अपने हाथ खींच रहा है. जानें क्यों?
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Israel-Hamas: इजरायल और हमास के बीच एक खबर ने दोनों देशों के लिए परेशानी पैदा कर दिया है. कतर के प्रधान मंत्री ने बुधवार को कहा कि गाजा में संघर्ष विराम और बंधकों की रिहाई के लिए इजरायल और हमास के बीच बातचीत रुक गई है. पीएम का कहना था कि कतर देश सिर्फ मानवता वश इजरायल और हमास के बीच मध्यस्थता कर रहा था. लेकिन अब समय आ गया है कि हमें इस पर दोबारा सोचना पड़ेगा.
कतर क्यों हाथ खींच रहा पीछे
कतर के प्रधानमंत्री शेख़ मुहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल-थानी ने कहा है कि इजराइल और हमास के बीच युद्ध विराम कराने और इजराइली बंधकों को रिहा कराने की कोशिशों की बातचीत का लोग सियासी फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. कई लोग क़तर का शोषण और दुरुपयोग किया और पर्दे के पीछे से उसके हितों को चोट पहुंचाने की भी कोशिश की.
जबकि शांति के लिए चल रही मौजूदा बातचीत ‘बेहद नाज़ुक’ दौर में है. इसलिए अब आगे से कोई भूमिका निभाने से पहले कई बार सोचना होगा. जानकारी के लिए बता दें कि अमरीका और मिस्र के साथ साथ क़तर ने दोनों देशों के बीच बातचीत में बहुत भूमिका निभाई है.
किसने उठाया फायदा
पीएम का कहना था कि कतर ''उन राजनेताओं द्वारा ''प्वाइंट-स्कोरिंग'' का शिकार हुआ है जो कतर राज्य को कमजोर करके चुनाव अभियान चलाने की कोशिश कर रहे हैं.
कतर का हमास से अच्छा रिश्ता
जंग के पहले दिन से ही कतर इस मामले को देख रहा है. कतर का हमास से अच्छा रिश्ता है. ऐसे में युद्ध विराम की किसी भी बातचीत की कामयाबी के लिए उसकी भूमिका बेहद अहम हो जाती है. मध्यस्थों ने छह हफ़्ते के युद्ध विराम का प्रस्ताव रखा था. जिसके एवज़ में हमास भी 40 बंधकों को रिहा करने के लिए राज़ी हो गया था. इनमें महिलाओं और बच्चों के अलावा बुज़ुर्ग या बीमार बंधक शामिल थे. हालांकि, पिछले हफ़्ते के आख़िर में हमास ने सार्वजनिक रूप से इस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था.
अमेरिका पर निशाना
अब कतर ने खुलकर बता दिया है कि मध्यस्थता के तौर पर अपनी भूमिका पर नए सिरे से विचार कर रहा है. कतर इस मामले में कुछ बोल तो नहीं रहा है, लेकिन उसके पीछे कहीं न कहीं अमेरिका है. कतर का निशाना अमेरिका की तरफ ही है क्योंकि अमेरीकी संसद के भीतर से कुछ लोगों ने आवाज़ उठाई है कि क़तर, रियायतें देने के लिए हमास पर पर्याप्त दबाव नहीं बना रहा है.
जब हमास ने पिछले हफ़्ते के आख़िर में युद्ध विराम के ताज़ा प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था, तब अमरीका ने इस फ़लस्तीनी हथियारबंद संगठन पर इल्ज़ाम लगाया है कि, ‘वो युद्ध विराम की राह का रोड़ा बना हुआ है.’ जिससे कतर को लग रहा है कि अमेरिका उसका फायदा ही उठा रहा है.