Japan-India Realation: जापान ने अपनी रक्षा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए लड़ाकू विमान दूसरे देशों को बेचने का फैसला किया है. हमेशा से शांति के रास्ते पर चलने की बात करने वाले जापान ने अब देश के डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने का मन बना लिया है.
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Japan-India Realation: जापान ने अपनी रक्षा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए लड़ाकू विमान दूसरे देशों को बेचने का फैसला किया है. हमेशा से शांति के रास्ते पर चलने की बात करने वाले जापान ने अब देश के डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने का मन बना लिया है. जापान, ब्रिटेन और इटली की मदद से एडवांस तकनीकों से लैस फाइटर जेट्स तैयार कर रहा है. इसके निर्यात के लिए जापान कैबिनेट से मंजूरी भी मिल चुकी है. जापान के बदले मिजाज ने एक और सवाल को जन्म दिया है कि क्या भारत इन फाइटर जेट्स को खरीदेगा या नहीं?
रक्षा नीति को लेकर जापान का बड़ा फैसला
जापान ने अपनी रक्षा नीति को बदलते हुए हथियार निर्यात नियमों को आसान बना दिया है. जिससे कि वह अपने हथियारों और हाल ही में तैयार किए फाइटर जेट्स को उन देशों को बेच सके, जिनके साथ जापान ने रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किया है. चीन और उत्तर कोरिया के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते दखल के बीच जापान ने अपनी रक्षा नीति में बदलाव का फैसला लेकर दुनिया को चौंका दिया है.
भारत और जापान स्वाभाविक साझेदार
बता दें कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये पर भारत हमेशा आपत्ति जताता रहा है. हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा था कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए जापान-भारत एक स्वभाविक साझेदार देश हैं. इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल को देखते हुए भारत और जापान ने हमेशा साझा विचार व्यक्त किया है. यह कहना गलत नहीं होगा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के लिए भारत-जापान का मजबूत संबंध महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
जापान के फाइटर जेट्स खरीदेगा भारत?
अब जापान के इन फाइटर जेट्स की बात करें तो इसकी खरीद के लिए कई देशों ने डील फाइनल कर ली है. जापान के इस फाइटर जेट को टेम्पेस्ट (तूफानी) कहा गया है. जो पायलटों की मदद के लिए आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस और एडवांस सेंसर से लैस होगा. इसके 2035 तक तैयार होने की उम्मीद है. जापान से अच्छे संबंध होने के नाते भारत इन फाइटर जेट्स के खरीददार देशों में एक हो सकता है. इसे लेकर भारत की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार इस डील को जापान के साथ भविष्य के बड़े हथियार समझौतों में से एक के रूप में देख रहे हैं.