Russian Crude Oil: भारत को कच्चा तेल देने के लिए मार्केट में उतरे नए खिलाड़ी, रूस के क्रूड पर दे रहे ये बड़ा ऑफर
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Russian Crude Oil: भारत को कच्चा तेल देने के लिए मार्केट में उतरे नए खिलाड़ी, रूस के क्रूड पर दे रहे ये बड़ा ऑफर

Cheap Russian Crude Oil: अपनी अर्थव्यवस्था (Ecomony) को अच्छी और दूरदर्शी नीतियों के जरिए मजबूत रखने वाले देशों को अक्सर कड़े फैसले लेने पड़ते हैं. भारत में भी पेट्रोल की कीमतें आसमान को छूने के बाद कुछ समय से लगभग स्थिर हैं. इसबीच देश की ऊर्जा जरूरतों को लेकर एक अच्छी खबर आई है.

 

सांकेतिक तस्वीर

Russia Ukraine war impact: आज रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) का 156वां दिन है. यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से अमेरिका (US) और यूरोप के देशों ने रूस के कच्चे तेल (Russian Crude) के बिजनेस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं. इस बीच भारत के लिए एक अच्छी खबर ये आ रही है कि भारत (India) के लिए सस्ते रूसी तेल (Russian Crude Oil) को खरीदने के कुछ नए रास्ते खुलने वाले हैं. जिनसे भारत को बंपर फायदा यानी डील होने पर नई दिल्ली को रूस के क्रूड पर अभूतपूर्व डिस्काउंट मिल सकती है.

  1. भारत के लिए बड़ी अच्छी खबर
  2. सस्ते क्रूड के आयात का ऑफर
  3. रूसी तेल को लेकर बड़ी जानकारी

भारत के लिए बड़ा ऑफर

ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Ukraine War) के महीनों गुजर जाने के बाद अब कई छोटे अंतरराष्ट्रीय व्यापारी (Oil middlemen traders) भारत (India) को उस रूसी तेल (Russian Oil) की सप्लाई करने के लिए आगे आ रहे हैं जिसे रूस के विरोधी खेमे ने लेने से इंकार कर दिया है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत की सरकारी रिफायनरी कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल कॉर्परेशन (Indian Oil Corporation) अब छोटे और कम गुडविल वाले व्यापारियों से तेल खरीदने के लिए तैयार हो रही हैं. 

बिजनेस में आसानी

वहीं रिफायनरी सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि अधिकारियों का मानना है कि रूसी उत्पादकों के साथ काम करने की बजाए उन मिडिल मैन छोटे कारोबारियों के साथ काम करना ज्यादा आसान है क्योंकि उनके साथ काम करने में ब्यूरोक्रेसी की भूमिका कम या लगभग न के बराबर होती है जो बातचीत को धीमा कर देती है. वेलब्रेड और मॉन्टफोर्ट जैसी कंपनियां रूसी तेल भारतीय खरीददारों को बेच रही हैं. अब वो कोरल एनर्जी और एवरेस्ट एनर्जी जैसे ट्रेडर्स की राह पर चल रही हैं. यह कंपनियां बड़े समूहों जैसे विटोल ग्रुप की कमियों को पूरा करने के लिए तैयार हैं. 

आपको बताते चलें कि ब्लूमबर्ग ने जब इस बारे में आईओसी, वेलब्रेड, मॉन्टफोर्ट, रोसनेफ्ट जैसी कंपनियों से सवाल करने के लिए ईमेल भेजे तो ये रिपोर्ट प्रकाशित होने तक किसी का जवाब नहीं आया था. हालांकि इस मुद्दे पर व्यापारियों और जहाज के बिचौलियों ने कहा कि वो इन कंपनियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते, उन्हें सिर्फ इतना पता है कि वो समय समय पर फ्यूल सप्लाई का काम करते हैं. 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

इस विषय पर ऑयल मार्केट (Oil Market) के एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बीच कुछ इस तरह की परिस्थितियां बनी है, जिसमें भारतीय तेल शोधन कंपनिया (Indian Refineries) रूस का सस्ता कच्चा तेल (Cheap Russian Crude Oil) खरीदने के लिए अब इन नए और छोटे ट्रेडर्स के साथ डील करने का खतरा उठाना चाहती हैं, क्योंकि इनसे मिलने वाला डिस्काउंट छोड़ना आसान नहीं है.

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