NASA News: नासा (Nasa) के द जेम्स वेब टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) ने एक टूटते हुए तारे की बेहद दुर्लभ तस्वीर दुनिया से साझा की है. ये वुल्फ रायेट स्टार (Wolf-Rayet Star) सूरज (Sun) से तीस गुना बड़ा था.
Trending Photos
Wolf-Rayet Star About Supernova: दुनिया के सबसे शक्तिशाली टेलीस्कोप ने गहरे अंतरिक्ष में वुल्फ-रेएट स्टार की पहले कभी नहीं देखी गई दुर्लभ तस्वीरों (The rare sight of a Wolf-Rayet star) को कैप्चर किया है. नासा (NASA) की इस सबसे ताकतवर मशीन ने मौत के कगार पर खड़े यानी टूटने वाले एक तारे की सबसे दुर्लभ तस्वीरों को खींचा है. ये तारा पृथ्वी से लगभग 15000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर धनु राशि में स्थित है. सुपरनोवा को ब्रह्मांड में सबसे बड़े विस्फोटों में से एक माना जाता है, जो एक तारे के जीवन के आखिरी समय में होने वाली प्रकिया है.
टेलिस्कोप का कमाल
जब सूरज से करीब तीस गुना बड़े तारे में विस्फोट हुआ, तो टेलिस्कोप ने उसे अपने कैमरे में कैद कर लिया. नासा ने बताया कि एक सामान्य प्रकिया के तहत कई तरह के गैस और कॉस्मिक डस्ट के बाहर निकलने के साथ ही इस तारे का अंत हुआ. ये बड़ा तारा सुपरनोवा (Supernova) बन चुका है. लेकिन तारे के मरने से ठीक पहले का मोमेंट कैमरे में कैद हो गया. टेलिस्कोप में लगा कैमरा आज से नहीं, बल्कि 2021 से ही इस तारे पर नजर रखे था.
नासा का बयान
इस स्टार का नाम WR 124 था, जो पृथ्वी से 15 हजार प्रकाश वर्ष की दूरी पर था. WR 124, सूर्य के द्रव्यमान का 30 गुना था. जब इसमें विस्फोट हुआ, तब आसपास आग से भरे गैस और स्पेस में धूल भर गई. हमारे वेब टेलिस्कोप ने तारे के टूटने की इमेज को हाइ रेसोल्यूशन क्वालिटी में कैद किया. इसी टेलिस्कोप के जुड़वा हुबल टेलिस्कोप ने भी इस मोमेंट को कैद किया था, लेकिन वो सिर्फ आग का एक गोला ही कैद कर पाया था.
नासा ने कहा कि ये टेलिस्कोप ब्रह्मांड में फैली धूल का अध्ययन करने के लिए नई संभावनाओं को खोलता है, जो कि प्रकाश के इन्फ्रारेड वेव लेंथ में सबसे अच्छी तरह से देखा जा सकता है. इससे पहले खगोलविदों के पास WR 124 के वातावरण को लेकर उठने वाले सवालों का जवाब जानने के लिए कोई इतनी कारगर मशीन नहीं थी.
जो तारा जितना बड़ा उसका जीवन उतना छोटा
वैज्ञानिकों ने बताया कि WR124 सूरज से 30 गुना ज्यादा बड़ा था. लेकिन उसकी जिंदगी छोटी थी. जो तारा जितना बड़ा होता है उसकी लाइफ शेल्फ उतनी कम होती है. ये तारे आखिर में सुपरनोवा बन जाते हैं. तारे के आखिरी वक्त में उसमें विस्फोट होता है. इस स्थिति को सुपरनोवा कहा जाता है. विस्फोट की वजह से तारा और भी ज्यादा चमकदार हो जाता है. वह मरते-मरते कई गुना ज्यादा रोशनी देकर जाता है.
हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे