ना अमेरिका ना इजरायल, इस ग्रुप को किसी का नहीं खौफ! जब चाहे किसी पर भी कर देता है हमला और बड़े शान से लेता है जिम्मेदारी
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ना अमेरिका ना इजरायल, इस ग्रुप को किसी का नहीं खौफ! जब चाहे किसी पर भी कर देता है हमला और बड़े शान से लेता है जिम्मेदारी

Yemen Houthis: हूती ने पूरी दुनिया के सामने डंके की चोट पर कह रखा है कि जब तक इजरायल गाजा में हमला नहीं रोकेगा, हम हमले करते रहेंगे, ये कौन है हूती? जिसे अमेरिका और इजरायल समेत पूरी दुनिया का खौफ ही नहीं.

ना अमेरिका ना इजरायल, इस ग्रुप को किसी का नहीं खौफ! जब चाहे किसी पर भी कर देता है हमला और बड़े शान से लेता है जिम्मेदारी

Houthis claim targeting US Israeli ships: गाजा में इजरायल और हमास के बीच जंग जारी है. इसके विरोध में हूती विद्रोहियों एक बार फिर लाल सागर और हिंद महासागर में दो जहाजों को निशाना बनाया है. अदन की खाड़ी में विद्रोहियों ने ड्रोन से अमेरिकी जहाज मेर्स्क यॉर्कटाउन को निशाना बनाया और युद्धपोत पर मिसाइलों से हमला किया. जबकि हिंद महासागर में एक और इजरायली जहाज एमएससी वेराक्रूज को ड्रोन से हमला किया. हमले करने के बाद बड़े शान से हूती के लोगों ने दुनिया को बता भी दिया है, हां, हमने हमला किया है. आइए जानते हैं हूती क्यों कर रहा हमला.

विद्रोहियों के हमलों को रोक नहीं सका अमेरिका और इजरायल
ईरान समर्थित हूतियों ने नवंबर में हमले शुरू किए थे और अमेरिका ने जनवरी में हवाई हमलों का अभियान शुरू किया था. हालांकि अमेरिका और इजरायल अब तक विद्रोहियों के हमलों को रोक नहीं सका है.

हमास के समर्थन में हूती का हमला
गाजा में इजरायल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद यमन के हूती विद्रोहियों ने अदन की खाड़ी से गुजरने वाले जहाजों पर हमला करना शुरू कर दिया था. तब से लेकर अब तक हूती विद्रोही कई जहाजों को निशाना बनाकर हमले कर चुके हैं. इसके जवाब में अमेरिका और ब्रिटेन ने हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर बमबारी की थी. इसके बावजूद हूती विद्रोही लगातार हमले कर रहे हैं.

व्यापारिक जहाजों को बनाते निशाना
हूती विद्रोही फलस्तीन के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट पर लाल सागर, अदन की खाड़ी में व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाते हैं. इन हमलों के चलते कई व्यापारिक फर्म ने अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट की बजाय अपने जहाजों को दक्षिण अफ्रीका के लंबे रूट से भेजना शुरू कर दिया है.  इसके चलते दुनिया में महंगाई बढ़ने की आशंका है.

हूती की वजह से अरब क्षेत्र में तनाव
हूती विद्रोहियों के हमले से इस्राइल हमास युद्ध के पूरे अरब क्षेत्र में फैलने का खतरा बढ़ गया है. अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट की सुरक्षा के लिए अमेरिका ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर निगरानी बढ़ा दी है. हालांकि हूती विद्रोही अमेरिका के युद्धक जहाजों को भी निशाना बना रहे हैं. अमेरिकी युद्धक जहाजों ने पूर्व में हूती विद्रोहियों के कई हमलों को नाकाम किया है. 

जहाज़ों पर हमले क्यों कर रहे हैं हूती विद्रोही?
बीबीसी की रिपोर्ट की माने तो यमन के हूती विद्रोहियों ने 19 नवंबर 2023 से लाल सागर और अदन की खाड़ी से गुजरने वाले व्यापारी जहाजों पर कम से कम 26 अलग-अलग हमले किए हैं. हूती विद्रोहियों का दावा है कि हमला गाजा में इसराइल की कार्रवाई के जवाब में हैं और वो इसराइल आने-जाने वाले जहाजों को निशाना बनाते हैं. हालांकि आलोचक कहते हैं कि हाल के दिनों में हुई कई हमले ऐसे जहाजों पर हुए हैं जिनका इसराइल से कोई नाता नहीं है. उनका कहना है कि अपनी लोकप्रियता बढ़ाने और क्षमता दिखाने के लिए वो गाजा के ख़िलाफ़ कार्रवाई को बहाना बना रहे हैं. उनका तर्क है कि हूती विद्रोही ईरान को दिखाना चाहते हैं कि वो प्रभावी सहयोगी हो सकते हैं.

हूती को रोकने के लिए कई देश आए आगे
अमेरिका ने बीते साल दिसंबर में प्रॉसपेरिटी गार्डियन नाम का एक बहुपक्षीय अभियान शुरू किया था, जिसका उद्देश्य लाल सागर और अदन की खाड़ी में पैदा हो रही सुरक्षा चुनौतियों से मिलकर निपटना था. इसके लिए अमेरिका, यूके समेत दर्जनों और मुल्क साथ आए थे और उन्होंने हूती विद्रोहियों को व्यापारी जहाज़ों पर हमले रोकने की चेतावनी दी थी. 11 जनवरी की रात को अमेरिका के नेतृत्व में एक दर्जन से अधिक मुल्कों ने हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले किए.

हूती के 60 ठिकानों पर किया था हमला
अमेरिका एयर फोर्स ने जनवरी में कहा था, "यूके, ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और हॉलैंड ने यमन में हूती विद्रोहियों के कब्ज़े वाली 16 अलग-अलग जगहों में उनके 60 से अधिक ठिकानों पर हमले किए हैं." हालांकि विश्लेषक कहते हैं कि सालों तक सऊदी अरब के नेतृत्व में गठबंधन मुल्कों की सेना ने हूती विद्रोहियों के ख़िलाफ़ हवाई हमले किए, लेकिन वो इस संगठन को व्यापक रूप से हरा नहीं पाए.

अब जानें कौन हैं हूती विद्रोही 
बात
 2014 की है, उस समय यमन में शिया-सुन्नी विवाद चल रहा था. 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे. हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी. हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे. उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए.

हूती को ईरान का समर्थन
अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सउदी भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े. एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला. तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सउदी अरब का. जिसके बाद  देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया.  2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था. 

इजरायल के विरोध में हूती
हमास, हिजबुल्लाह के बाद हूती ने इजरायल से जंग लड़नी शुरू कर दी थीहूती के प्रवक्ता याह्या सारी का कहना है कि संगठन फलस्तीनियों की मदद कर रहा है और जब तक इजरायल नहीं रुकेगा तब तक वह इसी तरह उसे निशाना बनाता रहेगा. 

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