छी! चीन की बेहद घिनौनी हरकत, तिब्‍बत को हथियाने बच्‍चों को बना रहा निशाना, जबरदस्‍ती भेजा...
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छी! चीन की बेहद घिनौनी हरकत, तिब्‍बत को हथियाने बच्‍चों को बना रहा निशाना, जबरदस्‍ती भेजा...

China Tibetan: तिब्‍बत को हथियाने के लिए उस पर अपना ठप्‍पा लगाने के लिए चीन इतना बेताब है कि हर हद पार कर रहा है. इस बार उसने तिब्‍बत की संस्‍कृति पर हमला करने के लिए बच्‍चों को निशाना बनाया है.

छी! चीन की बेहद घिनौनी हरकत, तिब्‍बत को हथियाने बच्‍चों को बना रहा निशाना, जबरदस्‍ती भेजा...

Tibetan Children: चीन दलाई लामा का उत्‍तराधिकारी चुनने के लिए पूरी ताकत लगा रहा है ताकि तिब्‍बत पर वो अपना कब्‍जा जमा सके. लेकिन उसकी ये चाल कहीं नाकाम ना हो जाए, इसलिए चीन दूसरे हर्फे भी आजमा रहा है. अब चीन ने तिब्‍बत की संस्‍कृति को कमजोर करने और वहां चीनी संस्‍कृति फैलाने के लिए बच्‍चों को जरिया बनाया है. चीन बच्‍चों के जरिए तिब्‍बत की संस्‍कृति उसकी आत्‍मा को खत्‍म करने की फिराक में है. इसलिए वह जबरन तिब्‍बती बच्‍चों को बोर्डिंग स्‍कूल में भेज रहा है.

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बाल मन में चीन की घुसपैठ

तिब्बत के बच्चों को उनके परिवारों से अलग करके चीन तिब्बती पहचान मिटाने की कोशिश कर रहा है. इसके लिए वह तिब्बती बच्चों को उनकी भाषा के बजाय उनके लिए खासतौर पर बनाए गए बॉर्डिंग स्कूलों में चीनी भाषा पढ़ा रहा है. इन स्‍कूलों में तिब्बत के 6 साल से ज्यादा उम्र के बच्‍चों को जबरन भेजा जा रहा है. इसके लिए चीन ने तिब्‍बत में बड़ी संख्‍या में ये स्‍कूल और बोर्डिंग स्‍कूल बनाए हैं. यानी कि बाल मन में ही चीन घुसपैठ करके उनमें चीनी संस्‍कृति की जड़े जमा रहा है. इन स्‍कूलों में फ्री में पढ़ाई करवाई जाती है.

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तिब्‍बती कार्यकर्ताओं ने उठाई आवाज

इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों और तिब्बती कार्यकर्ताओं ने चीन पर आरोप लगाया है कि इसके जरिए चीन तिब्बत पर अपना नियंत्रण और मजबूत करना चाहता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तिब्बत में बने इन बॉर्डिंग स्कूलों में तिब्बती भाषा, संस्कृति और बौद्ध धर्म की जगह चीनी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है.  

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जिनपिंग ने किया था स्‍कूल का दौरान

बीते साल जून में शी जिनपिंग ने तिब्बत के एक ऐसे ही स्कूल का दौरा किया था और उसके बाद ऐसे स्‍कूल व उनमें तिब्‍बती बच्‍चों की संख्‍या तेजी से बढ़ी है. इस दौरे में जिनपिंग ने कहा था कि छोटी उम्र से ही बच्चों के दिलों में चीनी राष्ट्रीयता की चेतना पैदा करनी चाहिए.

चीनी सरकार का अपना अलग तर्क
 

चीनी अधिकारी कहते हैं कि ये स्कूल तिब्बती बच्चों को चीनी भाषा और आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी कौशल सीखने में मदद करते हैं. साथ ही मुफ्त शिक्षा होने से तिब्‍बती परिवारों पर भी स्‍कूली फीस का बोझ नहीं पड़ता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारी तिब्बती बच्चों को केवल स्‍कूल भेजने के लिए ही नहीं बल्कि उन्‍हें हॉस्‍टल में रखने के लिए भी दवाब बनाते हैं. ताकि बच्‍चे घर में रहकर तिब्‍बती संस्‍कृति से जुड़े ना रह सकें. यहां तक कि उन्‍हें लंबे-लंबे समय तक उनके माता-पिता से भी नहीं मिलने दिया जाता है.

4 में से 3 बच्‍चे चीनी स्‍कूलों में

वैसे तो चीनी सरकार इससे जुड़े कोई आंकड़े साझा नहीं करती है लेकिन तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि 6 से 18 साल की उम्र के करीब 8 लाख तिब्‍बती बच्‍चे चीन के स्‍कूलों में पढ़ रहे हैं. यानी कि हर 4 में से 3 बच्‍चे चीन के अप्रत्‍यक्ष नियंत्रण में है, जिन्‍हें वह तिब्‍बती संस्‍कृति को मिटाने के लिए हथियार के तौर पर इस्‍तेमाल कर रहा है.

 

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