Islamisation Of Pakistan: पूर्व एनएसए शिवशंकर मेनन ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जिया उल-हक ने उन्हें पाकिस्तान के इस्लामीकरण की क्या वजह बताई थी.
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Islam In Pakistan: 1947 में देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान बना. पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर स्थापित पहला आधुनिक राज्य था. अपनी स्थापना के समय पाकिस्तान, दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश था. आज वह इंडोनेशिया के बाद दूसरा सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है. पाकिस्तान का इस्लामीकरण क्यों हुआ, इससे जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा वहां भारत के उच्चायुक्त रहे पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) शिवशंकर मेनन ने साझा किया है. मेनन ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और सैन्य शासक जनरल जिया उल-हक से इस्लामीकरण पर उनका नजरिया जानना चाहा था. जवाब में हक ने जो कहा, वह पाकिस्तान की राजनीतिक जमात की सोच को जाहिर करता है.
'पाकिस्तानी ने इस्लाम छोड़ा तो...'
75 साल के मेनन गुरुवार को केरल साहित्य महोत्सव (KLF) के आठवें संस्करण में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अब भी राष्ट्रीय पहचान बनाने की प्रक्रिया में है. मेनन ने बताया कि जिया उल-हक ने पाकिस्तान के इस्लामीकरण के लिए उनके तर्क के बारे में पूछने पर कहा कि 'एक मिस्रवासी इस्लाम छोड़ दे तो भी वह मिस्र का समझा जाएगा, लेकिन इस्लाम छोड़ने वाले पाकिस्तानी को भारतीय समझे जाने का जोखिम होगा.'
जिया उल-हक के अनुसार, पाकिस्तान का अस्तित्व इस्लाम से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है. तभी तो तानाशाह बनकर उन्होंने पाकिस्तान में इस्लामीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया. इसमें शरीयत कानून लागू करना, मदरसों का विकास करना और इस्लामी मूल्यों को राजनीति और समाज का हिस्सा बनाना शामिल था.
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'एक नहीं, कई पाकिस्तान हैं'
मेनन ने पाकिस्तान की कई पहचानों के बारे में भी बात की, जिनमें उसकी सेना, जिहादी गुटों और नागरिक समाज द्वारा गढ़ी गई पहचानें शामिल हैं. उन्होंने कहा, 'कई पाकिस्तान हैं, सेना का पाकिस्तान है, जिहादी ताकतों का पाकिस्तान है और हमें उनसे असली समस्या है, क्योंकि भारत के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों में उनका संस्थागत हित है. लेकिन पाकिस्तानी राजनेता, नागरिक राजनेता, वहां जाएंगे जहां उनका फायदा उन्हें ले जाएगा.' उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी नागरिक समाज की भारत के प्रति कोई शत्रुता नहीं है.
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'भारत-पाक में दुश्मनी से एलीट क्लास को फायदा'
मेनन ने पाकिस्तान को एक ‘बिल्कुल नया देश’ बताया जो अब भी अपनी राष्ट्रीय पहचान से जूझ रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि फिजी या डेनमार्क जैसे देशों के विपरीत भारत की पाकिस्तान के प्रति एक सुसंगत विदेश नीति नहीं हो सकती, क्योंकि उनके संबंध भारत की घरेलू राजनीति से प्रभावित होते हैं. पूर्व एनएसए ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सियासी रुख के चलते ‘शत्रुता के एक नियंत्रित स्तर’ की स्थिति है जो दोनों देशों के कुलीन वर्ग के हित में है.
उन्होंने कहा, 'शत्रुता का एक नियंत्रित स्तर है. आप शत्रुता चाहते हैं क्योंकि यह आपके राजनीतिक पदों को उचित ठहराता है और घर में आपके राजनीतिक हित को पूरा करता है. इसलिए आपने खुद को एक अजीब स्थिति में ला दिया है जो स्थिर है. उदाहरण के लिए, 2003 का युद्धविराम जिसे चार साल पहले दोबारा लागू किया गया, वह बरकरार है.' मेनन ने कहा, 'नियंत्रण रेखा पर शांति है. इसलिए, यह एक अच्छा रिश्ता नहीं है लेकिन आप इस अजीब संतुलन को बनाए रखने में काफी खुश हैं.'
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केवल अमेरिका है सुपरपावर
पूर्व एनएसए ने यह कहकर कुछ लोगों को हैरान कर दिया कि उन्हें विश्वास नहीं है कि हम ‘बहुध्रुवीय दुनिया’ में रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि केवल अमेरिका ही विश्व स्तर पर, जब भी और जहां भी चाहे, अपनी सैन्य शक्ति प्रदर्शित करने की क्षमता रखता है, जो सही मायने में दुनिया में उसके सैन्य आधिपत्य को स्थापित करता है. उन्होंने कहा कि 10 साल बाद का कोई नहीं जानता, लेकिन आज का विश्व सैन्य लिहाज से एकध्रुवीय है. (भाषा इनपुट)