Al Qadir Trust: इमरान खान 14 साल के लिए अंदर, सजा के बाद सुर्खियों में वो घड़ी, जिसके जाने के बाद शुरू हुआ बुरा वक्त!
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Al Qadir Trust: इमरान खान 14 साल के लिए अंदर, सजा के बाद सुर्खियों में वो घड़ी, जिसके जाने के बाद शुरू हुआ बुरा वक्त!

Pakistan News: इमरान खान (Imran Khan) और बुशरा बीबी (bushra bibi) को अल कादिर ट्रस्ट (Al Qadir Trust case) केस में दोषी ठहराये जाने के बाद सजा का एलान हो गया. इसी बीच तोशाखाना मामले (Toshakhana Case) से जुड़ी बेशकीमती घड़ी की चर्चा हो रही है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसे खास ऑर्डर देकर सिंगल पीस बनवाया गया था.

Al Qadir Trust: इमरान खान 14 साल के लिए अंदर, सजा के बाद सुर्खियों में वो घड़ी, जिसके जाने के बाद शुरू हुआ बुरा वक्त!

Priceless Diamond Graff Watch to Imran Khan: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अल-कादिर ट्रस्ट मामले में 14 साल की जेल हुई है, वहीं उनकी बीवी बुशरा बीबी को सात साल की सजा सुनाई गई है. इस बीच एक घड़ी की फोटो सुर्खियों में है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस घड़ी के उनसे दूर जाते ही इमरान खान का बुरा वक्त शुरू हो गया. यहां पर बात हाउस ऑफ ग्राफ (The House of Graff) की बेहतरीन कारीगरी, दुर्लभ पत्थरों की सजावट और चुनिंदा बेशकीमती घड़ियां बनाने के लिए शहूर है. ग्राफ का जिक्र इसलिए क्योंकि इससे जुड़ी कंट्रोवर्सी के मूल में वो शख्स है जिसने जेल में होने के बावजूद देश सिर पर उठा रखा है. इसी कंपनी का बनाया नायाब नगीना पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के हाथ से फिसल गया क्योंकि पैसे कमाने को लेकर उनके लालच ने ग्राफ द्वारा बनाई उस घड़ी को अपने से दूर कर दिया, जिसे दो देशों के बीच रिश्तों की मिसाल बताया गया था.

घड़ी का दीदार

अब पहले आप उस घड़ी का दीदार करें और सोंचे ग्राफ डायमंड्स हेलुसिनेशन के बारे में जिसे दुनिया की सबसे महंगी क्वार्ट्ज घड़ी कहा जाता है. इसमें 110 फैंसी हीरे हैं और इसे बनाने में 30 एक्सपर्ट्स को करीब 5 साल लगे.

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(Graff Diamonds Hallucination Watch)

करीब 55 मिलियन डॉलर की लागत से बनी यह बेशकीमती घड़ी ग्राफ के संस्थापक और हीरे की खदान के मालिक लॉरेंस ग्राफ का ड्रीम प्रोजेक्ट था. ये परियोजना उन्होंने दुनिया को ये दिखाने के लिए शुरू किया था कि उनकी किसी बात को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस घड़ी को कोई अभी तक खरीद नहीं पाया. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके मालिक ने इसे बेचना सही नहीं समझा. इसका मालिकाना हक कंपनी के मालिक लॉरेंस ग्राफ के पास है. ऐसा इसलिए क्योंकि, ग्राफ मानते है कि ऐसी घड़ियां बेची नहीं जातीं. तोशाखाना मामले के साथ-साथ अलकादिर ट्रस्ट केस का दंश झेल रहे इमरान खान के लिए एक बिजनेस टाइकून का बेशकीमती घड़ी  बेचना ऐसा सबक है, जिसे अभी इमरान को सीखने की जरूरत है.

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ऐसा तोहफा जो हर किसी के नसीब में नहीं

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर खान के कार्यकाल के दौरान, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उन्हें ऐसा बेशकीमती तोहफा दिया था, जो पाकिस्तान और सऊदी अरब के आपसी संबंधों का प्रतीक था. MBS ने इमरान को जो गिफ्ट हैंपर दिया उस सेट में एक अंगूठी, कफ़लिंक, एक पेन और एक हीरे की ग्राफ घड़ी थी जिसकी चमक ने इमरान खान को इतना शर्मसार कर दिया कि आज की तारीख में उन्हें 14 साल की जेल की सज़ा सुनाई जा सकती है.

घड़ी में ऐसा क्या खास था? 

घड़ी में हीरों के बिंदीदार ग्राफ पर 'खान-ए-काबा' का दीदार होता था. ये वो चीज़ थी जिसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती. बेशकीमती घड़ी को बेचकर इमरान खान, सऊदी क्राउन प्रिंस की गुड बुक्स से निकलकर वो आम आदमी बन गए, जिसे रिश्तों का मोल नहीं पता होता. ये तोहफा सऊदी अरब ने इमरान खान को पाकिस्तान के संरक्षक के रूप में दिए थे. यह सभी तोहफे दोनों देशों के बीच सद्भावना का प्रतीक थे, जिन्हें संभालना इमरान खान की जिम्मेदारी था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने के बजाए उसे बेच दिया. 

कहां मात खा गए इमरान खान?

दरअसल ग्राफ की बनाई ये अनमोल घड़ी इमरान खान तो क्या कोई उनके बड़ा तीस मार खां भी चुपचाप उसे बेचकर उसका पैसा हजम नहीं कर सकता. ये ऐसी घड़ी थी जिसे बनाने वाला और बनवाने वालों का नाम इस बात की गारंटी था कि उसे कोई चोरी छिपे यानी चुपके से खरीद और बेच नहीं सकता. यानी घड़ी बिक जाती और किसी को कानोकान भनक नहीं पड़ती. इमरान खान बस यही चूक गए. उन्होंने सोचा महंगी है.. कौन पूछता है... क्या फर्क पड़ता है... मुझे मिली मैंने बेच दी. बस इसी नीयत में वो मात खा गए और जिस दिन इस बात का पता चला, पूरा देश शर्मसार हो गया. वहीं इमरान खान की भी जमकर किरकिरी हो गई.

शर्मनाक

इमरान को शर्मसार करने वाली इस कहानी के केंद्र में था दुबई का कारोबारी उमर फारूक जहूर. जहूर को एंटीक और नई बेशकीमती घड़ियां पसंद हैं. उनका कलेक्शन बेमिसाल है. सऊदी क्राउन प्रिंस के एक्सक्लूसिव ऑर्डर पर बनी घड़ी का पता चलते ही उन्होंने उसे खरीदने का मन बनाया. इमरान खआन ने पत्नी बुशरा बीबी के जरिए एक डील की.

जहूर ने 2023 में जियो न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा था कि खान ने फराह गोगी नामके एक बिचौलिए के जरिए उन्हें ग्राफ कस्टम सेट बेचा था. आपको बताते चलें कि गोगी बुशरा की सबसे करीबी दोस्त और साथी थी. वहीं बुशरा के लिए भी वो महज महंगी घड़ी थी. हालांकि महंगी थी.  इसलिए उसे दुबई में हैंडओवर किया गया. जहूर ने उस ग्राफ सेट को अपना बनाने के लिए $12 मिलियन डॉलर का पेमेंट किया. 

जब ग्रैफ़ सेट उसके पास आ गया, तो ज़हूर चुप नहीं बैठा. उसने मीडिया के सामने आ कर चीख चीख कर कहा कि वो एक ऐसी घड़ी के प्राउड ओनर हैं, जो दुनिया में किसी के पास नहीं है. यह दुनिया में एकमात्र घड़ी थी. 

बात निकली तो दूर तक गई

सउदी अरब को ये पता चला कि उनकी बनवाई नायाब चीज पड़ोस में दुबई में बेच दी गई तो वहां के लोगों को बहुत बुरा लगा. खुद पाकिस्तान में इमरान खान की सोशल मीडिया पर बड़ी छीछालेदर हुई. लोग खुश नहीं थे. खुद क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS), 'खान-ए-काबा' की तस्वीर लगी घड़ी को मुनाफे के लिए बेचे जाने पर भड़क गए थे.

तोशाखाना की कहानी

पाकिस्तान के तोशाखाना (राजकोष) के नियमों के अनुसार सरकारी अधिकारी सरकारी उपहारों को तब तक रख सकते हैं, जब तक वे उनका भुगतान करते हैं. लेकिन, उपहारों को पहले जमा करना होगा. तोशाखाना सरकार के मातहत आने वाला विभाग है, जो प्रमुख पदों पर बैठे नेताओं को मिले सरकारी तोहफों की देखभाल करता है. 

नियमों के हिसाब से, इमरान खान को उस ग्राफ सेट के अलावा, अन्य सरकारी तोहफों को तोशाखाना में जमा करना था. खान ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने वो तोहफे अपने पास भी नहीं रखे, सीधे बेच दिया, जिससे उन तोहफों को देने वालों को बहुत बुरा लगा. उस लिस्ट में MBS का नाम सबसे ऊपर था.

'ग्राफ' का क्लास 

ग्राफ की शुरुआत 1962 में हुई. ये कंपनी हाईक्वालिटी ज्वैलरी बनाती है, ये ब्रैंड पूरी दुनिया में पॉपुलर है. आपको बताते चलें कि ग्राफ की  ज्वैलरी, दुनिया के चंद रईस और प्रभावशाली लोगों की कलाई, कान और गर्दन में दिखती है. जिसे आगे नीलामी घरों को सौंप दिया जाता है, इस तरह विरासत आगे बढ़ती रहती है.

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