India-Pakistan Relations: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 16 अक्टूबर को पाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लिया. जिसके बाद से भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में नई उम्मीदें जगी हैं.
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India-Pakistan Relations: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 16 अक्टूबर को पाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लिया. जिसके बाद से भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में नई उम्मीदें जगी हैं. इस यात्रा ने भारत-पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों में एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगाई है. पूर्व पाकिस्तान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस संदर्भ में बात करते हुए आशा व्यक्त की कि जयशंकर की यात्रा से दोनों देशों के बीच संवाद बढ़ेगा. दोनों देश अतीत को पीछे छोड़ भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकेंगे.
क्या कहा नवाज शरीफ ने
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक नवाज शरीफ ने जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा को दोनों देशों के रिश्ते के लिए महत्वपूर्ण बताया. जिससे भारत और पाकिस्तान दोनों को अपनी समस्याओं जैसे ऊर्जा संकट और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिल सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों को शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की जरूरत है. जिससे पिछले तनावों को सुलझाया जा सके. शरीफ ने कहा, 'हमें वहीं से शुरुआत करनी चाहिए जहां हमने छोड़ा था.' उनका इशारा दोनों देशों के बीच दशकों से से चले आ रहे अनसुलझे मुद्दों को लेकर था. नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कहा कि अगर वे एससीओ बैठक में शामिल होने पाकिस्तान आते तो अच्छा होता.
अच्छे पड़ोसियों की तरह रहने की अपील
उन्होंने यह भी कहा कि 75 साल ऐसे ही बीत गए हैं. हमें 75 और साल बर्बाद नहीं करने चाहिए. शरीफ ने कहा कि हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते. हमें अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए. यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि भारत और पाकिस्तान को एक-दूसरे के साथ सहिष्णुता और सहयोग से पेश आना चाहिए.
पाकिस्तान में जयशंकर ने क्या कहा था..
जयशंकर ने SCO बैठक में भारत भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट किया था. उन्होंने पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार से मुलाकात की. बता दें कि इशाक डार नवाज शरीफ के करीबी सहयोगी हैं. इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई. जयशंकर ने अपने भाषण में पाकिस्तान पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि सीमापार गतिविधियां जो "तीन बुराइयों" (आतंकवाद, अतिवाद और अलगाववाद) से प्रभावित हैं, व्यापार, संपर्क और ऊर्जा प्रवाह को प्रोत्साहित नहीं करेंगी. उन्होंने कहा, "हमारे प्रयास तभी आगे बढ़ेंगे जब हमारी प्रतिबद्धता चार्टर के प्रति मजबूत रहेगी. चार्टर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह 'तीन बुराइयों' के खिलाफ कड़ा और अडिग रहना है."