SCO Summit 2022: क्या SCO समिट में शी जिनपिंग से मिलने को राजी होंगे PM नरेंद्र मोदी? भारत ने दिया ये संकेत
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SCO Summit 2022: क्या SCO समिट में शी जिनपिंग से मिलने को राजी होंगे PM नरेंद्र मोदी? भारत ने दिया ये संकेत

SCO Summit 2022: करीब 2 साल बाद पूर्वी लद्दाख के पीपी-15 पॉइंट से डिसएंगेजमेंट के लिए राजी हुआ चीन उज्बेकिस्तान में होने जा रही SCO समिट में पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात की कोशिश कर रहा है. यह मुलाकात होगी या नहीं, इस बारे में भारत ने अहम संकेत दिया है. 

SCO Summit 2022: क्या SCO समिट में शी जिनपिंग से मिलने को राजी होंगे PM नरेंद्र मोदी? भारत ने दिया ये संकेत

SCO Summit 2022 in Uzbekistan: भारत-चीन (India China) के बीच सीमा पर चल रहे तनाव के बीच उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक होने जा रही है. इस बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping), भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और पाकिस्तान पीएम शहबाज शरीफ समेत 8 देशों के शासनाध्यक्ष भाग लेने वाले हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में पीएम मोदी की शी जिनपिंग और शहबाज शरीफ से मुलाकात हो सकती है. क्या यह उम्मीद सच बन  पाएगी या केवल उम्मीद बनकर रह जाएगी. इस बारे में Zee news ने उज़्बेकिस्तान में भारतीय राजदूत मनीष प्रभात से खास बातचीत की. आइए जानते हैं कि उन्होंने इस बारे में क्या कहा. 

सम्मेलन के नतीजों पर दुनिया की निगाहें

उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) में भारतीय राजदूत मनीष प्रभात ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत-चीन तनाव की वजह से SCO का यह सम्मेलन बेहद महत्वपूर्ण हो गया है. इस सम्मेलन के नतीजों पर दुनियाभर की निगाहें टिकी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए 15 सितंबर को उज्बेकिस्तान पहुंच जाएंगे. 

उन्होंने आशा जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की चीन और रूस के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बातचीत हो सकती है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी उनकी मुलाकात हो सकती है. भारतीय राजदूत ने कहा कि यह एक बहुराष्ट्रीय मंच है और 2 देशों के आपसी मसले इस मंच पर शामिल नहीं होते.

15 सितंबर को समरकंद पहुंचेंगे पीएम मोदी

उज़्बेकिस्तान (Uzbekistan) के समरकंद में होने जा रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन को लेकर भारतीय राजदूत मनीष प्रभात ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन एक महत्वपूर्ण संगठन है और भारत उसका एक अहम सदस्य है. सेंट्रल एशिया के 4 देशों और चीन, रूस ने ये संगठन बनाया था. बाद में साल 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके सदस्य बने. इस सम्मेलन में सुरक्षा, आतंकवाद, कोविड-19 महामारी से निपटने पर साथ ही आर्थिक मामलों में किस तरह से सहयोग कर सकते हैं, ऐसे कई मसलों पर बातचीत होती है.
 
भारतीय प्रधानमंत्री 15 तारीख को सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचेंगे. 15 और 16 सितंबर को उनके व्यस्त कार्यक्रम रहेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुछ द्विपक्षीय बातचीत भी होंगी, उसका प्रोग्राम तैयार किया जा रहा है. इसकी जानकारी सभी को जल्दी ही पता चलेगी. उन्होंने बताया कि भारत अगले साल SCO सम्मेलन की अध्यक्षता करने जा रहा है. ऐसे में एससीओ को हम किस दिशा में ले जाना चाहेंगे, इस बारे में भारत हमेशा की तरह सकारात्मक भूमिका निभाएगा. 

भारत और उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक संबंध

राजदूत मनीष प्रभात ने कहा कि दुनिया भर के बड़े नेता यहां आ रहे हैं. वे आपस में क्या बात करते हैं, यह उन्ही पर छोड़ते हैं. लेकिन भारत का जो रुख रहा है और जो विदेश नीति रही है उसकी सब ने तारीफ की है.

भारत और उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) के संबंधों की बात करें तो दोनों देशों के संबंध ऐतिहासिक और बहुत ही पुराने हैं. हमारे दो सभ्यताओं के बीच के संबंध हैं जो हजारों साल पुराने हैं. भारत और उज्बेकिस्तान के संबंध को हम स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप कहते हैं. भारत और उज्बेकिस्तान रक्षा समेत कई क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं. हमारे संबंध काफी रेगुलर हैं और लीडर्स के स्तर पर बातचीत लगातार होती रहती है.

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