Padma Ekadashi 2024: पार्श्व एकादशी हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. यह भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि (एकादशी) को पड़ती है. 2024 में पार्श्व एकादशी शनिवार, 14 सितंबर को मनाई जाएगी. भगवान विष्णु को समर्पित यह व्रत आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. पार्श्व एकादशी को परिवर्तिनी, पद्मा के नाम से भी जाना जाता है. तो आइए जानते हैं कि वृंदावन बरसाना व राधा रमण मंदिर में परिवर्तिनी एकादशी कब है और व्रत का समय व पारण समय क्या है?
राधारमण मंदिर के पूज्य गोस्वामी आचार्य श्री पुण्डरीक जी महाराज के अनुसार, श्री परिवर्तिनी एकादशी 14 सितंबर 30 यानी शनिवार को है. वहीं, राधा रमण मंदिर में भी एकादशी 14 अगस्त को ही है.
वहीं, श्री मलूकपीठ में भी 14 सितंबर शनिवार को पद्मा एकादशी है. इसी दिन व्रत रखा जाएगा. श्री राजेन्द्र दास जी महाराज के इंस्टाग्राम पेज पर दी गई जानकारी के अनुसार, पारण का समय अगले दिन (रविवार) सूर्योदय के पश्चात रहेगा.
परिवर्तिनी एकादशी: भाद्रपद माह (शुक्ल पक्ष)
-एकादशी तिथि प्रारम्भ - 13 सितंबर 2024 को रात्रि 10:30 बजे
-एकादशी तिथि समाप्त - 14 सितंबर 2024 को रात्रि 08:41 बजे
-पारण समय - 15 सितंबर 2024 - प्रातः 05:34 बजे से प्रातः 08:01 बजे तक
-पारण तिथि पर द्वादशी समाप्त होने का समय - 15 सितंबर 2024 - सायं 06:12 बजे
Parivartini Ekadashi 2024: एकादशी पर क्या करें?
-सुबह जल्दी उठें, पवित्र जल से स्नान करें.
-भगवान विष्णु को फूल, माला, चंदन का तिलक, तुलसी पत्र चढ़ाएं और देसी घी का दीया जलाएं.
-भगवान विष्णु को पंचामृत, तुलसी पत्र, फल और मखाना खीर (या कोई अन्य घर का बनी मिठाई) का भोग लगाएं.
-'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें, अजा एकादशी कथा का पाठ करें. पूरे दिन विष्णु महामंत्र का जाप भी कर सकते हैं.
-द्वादशी तिथि को दूध से बनी चीजें और फलों के साथ या चावल और नमकीन खाद्य पदार्थों के साथ पारंपरिक रूप से एकादशी व्रत खोलें.
-आरती करें और प्रत्येक परिवार के सदस्य को पंचामृत दें.
एकादशी के दिन करें इन मंत्रों का जाप
1. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय..!!
2. हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे..!!
Parivartini Ekadashi 2024: एकादशी का महत्व
हिंदुओं में एकादशी का बहुत बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. इस दिन को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. भगवान विष्णु के सभी भक्त एकादशी तिथि से कठोर उपवास रखते हैं और इसका समापन द्वादशी तिथि को होता है. लोगों को पारण के समय अपना उपवास तोड़ना होता है, इसलिए उन्हें सुबह जल्दी उठना होता है और पूजा करनी होती है और वे श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद लेते हैं. यह व्रत इतना शक्तिशाली माना जाता है कि लोगों को सभी सांसारिक इच्छाएं जैसे सुख, समृद्धि और सभी विलासिताएं मिलती हैं और जब भक्त मरते हैं, तो उन्हें सीधे श्री हरि विष्णु के निवास वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है.
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